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गृहमंत्री के दौरे से भी अलीगढ़ प्रशासन ने नहीं ली सीख, सीएम के कार्यक्रम में भी हुआ हंगामा

अलीगढ़ प्रशासन की सुस्‍ती का नतीजा रहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के कार्यक्रम के दौरान कुछ लोग वहां पहुंचे और हंगामा किया। इससे पहले 30 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में भी एक महिला ने हंगामा काटा था।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:22 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:22 AM (IST)
गृहमंत्री के दौरे से भी अलीगढ़ प्रशासन ने नहीं ली सीख, सीएम के कार्यक्रम में भी हुआ हंगामा
सीएम योगी का दौरा भले ही कोरोना नियंत्रण को लेकर हो, लेकिन विपक्ष राजनीतिक दृष्टि से भी देख रहा है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। UP Assembly Elections 2022 मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर शनिवार से ही सुरक्षा चक्र मजबूत बनाने की तैयारी शुरू हो गई थी। हैलीपेड से लेकर दीनदयाल अस्पताल तक इसे कई चरणों में बांटा गया। कागजी तैयारी देखकर तो सोचा भी नहीं जा सकता कि कोई उन तक पहुंच भी सकता है। लेकिन ये सारी व्यवस्थाएं दीनदयाल अस्पताल में उस समय धराशायी हो गईं जब मुख्यमंत्री मीडिया को संबोधित करते थे। छह-सात महिलाएं व कुछ पुरुष अपनी मांगों को लेकर उन तक पहुंच गए। पुलिस के हाथ-पांव फूलने थे, वही हुआ। उन्हें रोकने की कोशिश की गई तो हंगामा खड़ा हो गया। इसके बाद तो मीडिया का ध्यान सीएम से हटकर उन लोगों की तरफ हो गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, 30 दिसंबर को जब गृहमंत्री अमित शाह तालानगरी में सभा को संबोधित कर रहे थे तब एक महिला ने इसी तरह हंगामा काटा। इसके बाद भी अफसर चौकन्ना नहीं हुए।

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फिर कैसा खुफिया तंत्र

तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री को सुबह 11:40 बजे दीनदयाल अस्पताल पहुंच जाना था। मौसम खराब होने के कारण वह तीसरे पहर ढाई बजे के करीब पहुंचे। यानि इतने समय में तो पुलिस अस्पताल के पूरे कैंपस का चप्पा-चप्पा छान सकती थी। लेकिन अफसरों का ध्यान बाइक स्टैंड पर ज्यादा था। जो भी अफसर आता सबसे पहले स्टैंड के कर्मचारियों को जरूर हड़काता कि यहां बाइक क्यों खड़ी करवाई है? लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया कि स्टैंड से सटे पार्क और मीडिया की साइड में कुछ लोग ऐसे भी घूम रहे है जिनका कार्यक्रम से कोई वास्ता नहीं है। इनकी स्थित न तो खुफिया तंत्र भांप सका न इलाका पुलिस। जबकि सीएम ऐसे समय आए जब ओपीडी का समय भी खत्म हाे गया था। इसके बाद भी संदिग्ध लोगों पर नजर नहीं रखी गई। नतीजा ये रहा है कि लोग मांगों को लेकर सीएम तक पहुंच गए।

विपक्ष को नहीं भाया दौरा

सीएम योगी का दौरा भले ही कोरोना नियंत्रण को लेकर हो, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक दृष्टि से भी देख रहा है। सीएम ने अपने संबोधन में कहा भी कि पहले प्रदेश में कानून का नहीं उपद्रवियों का राज्य था। भ्रष्टाचार का बोलबाला था। महापुरुषों का अपमान होता है। अवैध बूचड खाने बंद करा दिए। अलीगढ़ में इस संदेश के मायने भी हैं। क्योंकि यहां भी अवैध कटान का बोलबाला था। जरा-जरा सी बात पर दंगे हो जाते थे। इससे पहले सीएम जब भी अलीगढ़ आए उन्होंने अवैध कटान और दंगा न होने की बात अपने भाषणाें में शामिल भी की। विपक्ष इसी को राजनीतिक मान रहा हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष तो पहले ही कह चुके हैं कि यह राजनीतिक दौरा है। जब अस्पताल में मरीज ही नहीं है तो कैसा दौरा? कोरोना भ्रमण की रोकथाम के बहाने ये तो चुनावी दौरा है। चुनाव आयोग को इस पर रोक लगनी चाहिए।

ये राजनीति है

नामांकन के बाद चुनावी शोर चरम पर है। वाेटरों को लुभाने के लिए प्रत्याशी सुबह से शाम तक दर-दर के चक्कर काट रहे हैं। उन गलियों व मोहल्लों में भी जा रहे हैं जहां पांच साल में एक भी बार नहीं गए। इस चुनावी सरगर्मी के बीच विरोध के स्वर भी निकल रहे हैं। ऐसा कोई दल नहीं जहां पार्टी के नेता ही प्रत्याशियों को लेकर सवाल न खड़ा कर रहे हों। वरिष्ठ भाजपा नेता रघुराज सिंह तो खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने यहां तक एलान कर दिया कि बरौली में वह भाजपा नेता के पक्ष मे प्रचार नहीं करेंगे। पार्टी को ये राजनीतिक कहां ले जाएगी ये तो मतदान के बाद ही पता चलेगा लेकिन इसे किसी के लिए भी ठीक नहीं माना जा रहा है। कांग्रेस, सपा में भी प्रत्याशियों को लेकर पहले ही नाराजगी सामने आ चुकी है। वरिष्ठ नेताओं के पुतला तक फूंके गए।


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