मिथाइल एल्कोहल से बनी शराब ने ली लोगों की जान Aligarh news
जहरीली शराब के धंधे का पर्दाफाश हो गया है। शराब के नमूनों की हुई जांच में पता चला है कि करसुआ स्थित ठेका पर मिथाइल एल्कोहल से बनी शराब की बिक्री हुई। जिसे पीकर लोगों की जान चली गई। ताला नगरी स्थित फैक्ट्री में भी मिथाइल मिलने की पुष्टि हुई।
अलीगढ़, जेेेेेेएनएन । जहरीली शराब के धंधे का पर्दाफाश हो गया है। शराब के नमूनों की हुई जांच में पता चला है कि करसुआ स्थित ठेका पर मिथाइल एल्कोहल से बनी शराब की बिक्री हुई। जिसे पीकर लोगों की जान चली गई। ताला नगरी स्थित फैक्ट्री में भी मिथाइल मिलने की पुष्टि हुई है। माफिया वैसे, इथाइल एल्कोहल, स्प्रिट व अन्य केमिकल से यह शराब बनाते हैं लेकिन माफिया ने इथाइल एल्कोहल की जगह मिथाइल एल्कोहल का प्रयोग कर दिया। जो विषैला केमिकल होता है। इसके पीने से लोगों की जान चली जाती है। प्रशासन व आबकारी विभाग ने जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
अलग फैक्ट्री में तैयार होता था मौत का सामान
जिले में अवैध शराब के तीन माध्यम हैं। इनमें एक गांव की भट्टियों पर तैयार होने वाली कच्ची शराब। दूसरा हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य गैर प्रांतों से शराब की तस्करी व तीसरी सरकारी ठेकों पर बिकनी वाली देसी शराव में मिलावट। इन दिनों जिले में इन सबमें मिलावटी शराब का धंधा सबसे अधिक फल फूल रहा है। जिले में सरकारी कोटे के हिसाब से 30 फीसद तक नकली शराब की ही आपूर्ति होती है। माफिया ने इसे बनाने के लिए अलग फैक्ट्री लगा रखी हैं।
ऐसे तैयार होती थी नकली शराब
प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि इथाइल एल्कोहल से नकली शराब तैयार होती है। इसमें स्पि्रट समेत कई केमिकल मिलाए जाते हैं। वहीं, मिथाइल एल्कोहल विशुद्ध जहर है। कैमिकल से जुड़े उद्योगों में इसका इस्तेमाल होता है। रंग, गंध और स्वाद में मिथाइल एल्कोहल बिल्कुल इथाइल जैसा लगता है, लेकिन है नहीं। कई बार अवैध शराब के धंधे से जुड़े लोग मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल शराब बनाने में करते हैं। इसमें गर्म पानी और रंग आदि मिलाकर बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में शराब जहरीली हो जाती है और पीने वालों की मौत हो जाती है। प्रारंभिक जांच में माफिया की यही गलती जिले में मौतों का कारण मानी जा रही है।
ऐसे होती है आपूर्ति
जिले में कुल 511 देसी व विदेशी शराब के ठेके हैं। इनमें से करीब सौ ठेके इन शराब माफिया से जुड़े सिंडीकेट ने ही ले रखी हैं। प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि बोतलें, ढक्कन, रैपर, सील समेत अन्य सभी सामान माफिया नकली ही लेते हैं। फिर, नकली शराब इनमें भरते हैं। जिले में अधिकतर माफिया गुड इवनिंग के नाम से पौवा तैयार करते हैं। फिर, गावों में सस्ते दामों में बेच दी जाती है। दुकानों पर भी इनकी आपूर्ति होती है। कई बार ठेकों पर काम करने वाले सेल्समैन भी लालच में आकर यही जहरीली शराब बेच देते हैं। माफिया के ठेकों पर भी यही शराब बिकती है। परचून और चाय आदि की दुकानों पर इसी शराब बिक्री होती है।
पहचान न कर सके कोई
जिले भी में गुड इवनिंग ब्रांड की देसी शराब की आपूर्ति होती है। ऐसे में माफिया भी इसी ब्रांड की नकली शराब तैयार करते हैं। असली पौवा की तरह ही नकली को तैयार किया जाता है। पौवा, ढक्कन, रैपर की बनावट ऐसी होती है कि कोई भी शक नहीं कर सके। अफसर भी एक बार बिना बार कोड स्कैन किए, इस शराब को पहचान नहीं सकते हैं।
इनका कहना है
इथाइल व मिथाइल एल्कोहल का रंग एक जैसा होता है। ऐसे में माफिया ने इथाइल की जगह मिथाइल का प्रयोग कर दिया। यह विशुद्व जहर होता है। जिले में दो स्थानों पर मिथाइल एल्कोहल की पुष्टि भी हो चुकी है। शासन को इसकी पूरी रिपोर्ट भेजी जा रही है।
चंद्रभूषण सिंह, डीएम
विशेषज्ञ की राय
विषैला है मिथाइल एल्कोहल : प्रो. मुनीर
अलीगढ़ मुस्लिम यूनविर्सटी के रासायनिक विज्ञान विभाग के चेयरमैन प्रो. मो. मनुीर के अनुसार मिथाइल एल्कोहल टॉक्सिस होता है। यह कैमिकल जो पीने लायक नहीं होता। पीने से लोगों की जान भी जा सकती है। पेट दर्द के साथ मरीज की इसके सेवन से आंख की रोशनी भी जा सकती है।