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सादाबाद की बालूशाही करती है हवाई यात्रा, जानिए क्‍या है खास Hathras news

पूरे देश में कहीं भी आप बालूशाही खा लीजिए लेकिन सादाबाद जैसी बालूशाही नहीं मिलेगी। बालूशाही के शौकीन काफी दूर-दूर से सादाबाद की बालूशाही खरीदने आते हैं। मुंबई की चौपाटी पर भी सादाबाद की बालूशाही आपको मिल सकती है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 01:53 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 01:53 PM (IST)
सादाबाद की बालूशाही करती है हवाई यात्रा, जानिए क्‍या है खास Hathras news
हाथरस के सादाबाद मेंं बालूशाही तैयार करता कारीगर

किशोर वार्ष्‍णेय, हाथरस: पूरे देश में कहीं भी आप बालूशाही खा लीजिए लेकिन सादाबाद जैसी बालूशाही नहीं मिलेगी। बालूशाही के शौकीन काफी दूर-दूर से सादाबाद की बालूशाही खरीदने आते हैं। 

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देश के तमाम हिस्सों से आर्डर

मुंबई की चौपाटी पर भी सादाबाद की बालूशाही आपको मिल सकती है। नामचीन मिठाई विक्रेता ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उन्होंने प्रमुख प्रदेशों से आने वाले ऑर्डर के लिए कोरियर के माध्यम से बालूशाही भेजना प्रारंभ किया। धीरे-धीरे अब वह दक्षिण भारत के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना आदि से भी ऑनलाइन ऑर्डर आने लगे हैं। इससे सादाबाद की बालूशाही अब हवाई यात्रा भी करने लगी है। 


विदेशों से भी आर्डर 

मिठाई विक्रेता की मानें तो उनके यहां देश के अलावा यूक्रेन व आस्ट्रेलिया से भी आर्डर आने लगे हैं, लेकिन अभी वहां ऑर्डर भेजना प्रारम्भ नहीं हुआ है। शीघ्र ही विदेशी आर्डर भी भेजना शुरू हो जाएगा।

बैनामा होते ही लगती थी पंगत

यहां की बालूशाही का इतना चाव रहा है कि उप निबंधन कार्यालय में बैनामा पंजीकृत हो जाता था, क्रय करने वाली पार्टी के लोग बालूशाही की दुकान पर जाकर पंगत लगाकर बैठ जाते थे और पेट भर कर बालूशाही खाते थे। अब समय बदला, तहसील परिसर में ही डिब्बों में पैक होकर बालूशाही पहुंच जाती है।


अधिकारी-कर्मचारियों की पसंद 

पूर्व में मथुरा जनपद तथा अब जनपद हाथरस में आने वाला ऐसा कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं होता है जिसको यहां की बालूशाही पसंद ना हो। अवकाश लेने के बाद जो भी अधिकारी कर्मचारी अपने घर जाता है निश्चित रूप से वह सादाबाद से बालूशाही पैक कराकर अवश्य ले जाता है। नाते-रिश्तेदारों में आने वाले लोग भी यहां से बालूशाही पैक करा कर ले जाते हैं।

1900 में सृजन 

बताते हैं वर्ष 1900 के आसपास  यहां एक हलवाई हुआ करते थे।  उन्होंने बालूशाही बनाने का प्रयोग किया और मिठाइयों में शामिल करते हुए बालूशाही का स्वाद लोगों को कराया। जब प्रयोग में ही लोगों ने इस मिठाई की तारीफ की तो उसके निर्माता के लिए एक अनोखा पल था और तब से लेकर आज तक बालूशाही की मिठास व बिक्री बढ़ती चली गई। उस समय एक मात्र दुकान हुआ करती थी। लेकिन आज बालूशाही के लिए विख्यात शुद्ध देसी घी से निर्मित तीन दुकानें सादाबाद में हैं। हालांकि वनस्पति घी तथा रिफाइंड से भी बालूशाही का निर्माण हो रहा है, लेकिन उनकी बिक्री न के बराबर है। 

इनका कहना है

बालूशाही का निर्माण हमारे पूर्वजों के जमाने से हो रहा है। समय परिवर्तन के साथ बालूशाही का स्वाद अभी भी पुराना ही है, किंतु पूर्व से अब तक काफी प्रसिद्धि पा चुकी है। 

-अनिल तायल, श्री श्याम बाबा मिष्ठान भंडार

बालूशाही का निर्माण करीब 100 वर्ष से हो रहा है। हमने मिठाइयों में बालूशाही सबसे अधिक बेची है। बालूशाही के नाम से ही उनकी दुकान विख्यात है। अब तो विदेशी धरती पर रहने वाले यहां के लोग भी बालूशाही ले जाना पसंद करते हैं।

-अशोक कुमार, ताराचंद मिष्ठान भंडार 


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