Move to Jagran APP

बासमती के बाद विदेशों में धाक जमाएगा अलीगढ़ का चिपसोना, जानिए पूरा मामला Aligarh news

बासमती के बाद अब अलीगढ़ का आलू भी विदेशों में धाक जमाएगा। यह पहली बार है जब यहां से आलू का सीधे निर्यात होगा। कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने इसके लिए लाइसेंस मांगा है। डेढ़-दो हफ्ते में लाइसेंस मिलने के बाद आलू का निर्यात हो सकेगा।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 06:04 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 07:15 AM (IST)
बासमती के बाद विदेशों में धाक जमाएगा अलीगढ़ का चिपसोना, जानिए पूरा मामला Aligarh news
बासमती के बाद अब अलीगढ़ का आलू भी विदेशों में धाक जमाएगा।

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । बासमती के बाद अब अलीगढ़ का आलू भी विदेशों में धाक जमाएगा। यह पहली बार है जब यहां से आलू का सीधे निर्यात होगा। कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने इसके लिए लाइसेंस मांगा है। डेढ़-दो हफ्ते में लाइसेंस मिलने के बाद आलू का निर्यात हो सकेगा। किसानों ने खेतों में 18 प्रजातियों का आलू उगाया था, जो शीतगृहों में संरक्षित हैं। यही आलू विदेश भेजा जाएगा।

loksabha election banner

उपलब्‍धता पर तय होती है आलू की कीमत

जनपद की मुख्य फसलों में आलू भी एक है। 27500 हेक्टेयर में किसान आलू उगाते हैं, जो मंडियों तक ही सीमित रहता है। आलू की उपलब्धता के आधार पर इसकी कीमत भी तय होती है। जनवरी-फरवरी तक आलू की ऊंची कीमतें थीं। स्थानीय किसानों ने आलू की आपूर्ति शुरू की तो कीमतें घटने लगीं। एफपीओ कोमोलिका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी से जुड़े किसानों को भी उम्मीद के मुताबिक लाभ नहीं मिल सका। एफपीओ के चेयरमैन आरपी पचौरी बताते हैं कि विदेशों में आलू का निर्यात होने से किसानों को कई गुना लाभ होगा। एफपीओ द्वारा डायरेक्टर जनरल आफ फारेन ट्रेड (डीजीएफटी) व एग्रीकल्चर एंड प्रोसीड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी (एपीडा) में लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है। डेढ़-दो हफ्ते में लाइसेंस मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि डीजीएफटी के लाइसेंस पर कहीं भी आलू का निर्यात किया जा सकता है। जबकि, एपीडा सोर्स बताती है। किस देश में आलू की डिमांड है, एपीडा से ही जानकारी मिलती है। यूरोपियन कंट्री में आलू का निर्यात नहीं किया जाएगा, वहां के अलग पैरामीटर हैं। बाकी देशों में निर्यात हो सकेगा।

आलू की 18 प्रजातियां

किसानों ने 18 प्रजातियों के आलू खेतों में उगाए हैं। गुजरात से इनके बीज मिले थे। इनमें चिपसोना वन, चिपसोना थ्री, चिपसोना फोर, एलआर, फ्राइसोना हैं, जो चिप्स आदि उत्पाद बनाने के काम में आते हैं। भोजन में प्रयोग होने वाले कुफरी बहार, कुफरी मोहन, ख्याति आदि प्रजातियों के आलू भी किए गए। आलू शीतगृहों में रखवा दिए हैं। एफपीओ के चेयरमैन ने बताया कि इन प्रजातियों का पहले यहां ट्रायल किया गया था। पैदावार ठीक होने पर फसल की गई। इसके अलावा राइस प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना भी है। प्लांट लगने से धान का प्रोसेसिंग के बाद यहीं से निर्यात किया जा सकेगा। वर्तमान में यहां के धान की प्रोसेसिंग हरियाणा और दिल्ली की मंडियों में हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.