एडीए वीसी ने संभाली नगर निगम की बागडोर, ये हैं प्राथमिकताएं Aligarh News
अलीगढ़ नगर निगम की बागडोर संभाल रहे नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल का तबादला हो गया। उन्हें सचिवालय (प्रशासन विभाग) में विशेष सचिव बनाया गया है। उनके स्थान पर फिलहाल नई नियुक्ति नहीं हुई है। एडीए वीसी प्रेम रंजन सिंह को शासन ने अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ नगर निगम की बागडोर संभाल रहे नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल का तबादला हो गया। उन्हें सचिवालय (प्रशासन विभाग) में विशेष सचिव बनाया गया है। उनके स्थान पर फिलहाल नई नियुक्ति नहीं हुई है। एडीए वीसी प्रेम रंजन सिंह को शासन ने अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। शाम को सेवाभवन पहुंचे एडीए वीसी ने कार्यभार ग्रहण कर लिया।
एडीए वीसी का किया स्वागत
प्रदेश सरकार की ओर से जारी तबादले की सूची में नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल का भी नाम था। हालांकि, इसकी जानकारी एक दिन पहले ही कुछ अधिकारियों को हो गई। शाम को एडीए वीसी के कार्यभार ग्रहण करने पर निगम के अधिकारियों ने बुके देकर स्वागत किया। चार्ज संभालने के बाद उन्होंने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आसीसीसी) का निरीक्षण कर यहां की कार्यप्रणाली को समझा। 2014 बेच के आइएएस अधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने बताया कि नगर आयुक्त के रूप में पहला अनुभव है। इससे पूर्व वह शासन में विशेष सचिव व उन्नाव के सीडीआे के पद पर रहे हैं। हाल ही में शासन ने यहां एडीए वीसी के रूप में नियुक्ति की थी। उनकी प्राथमिकता जनहित की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के साथ निगम की सेवाओं को प्रभावी बनाने की रहेगी। इस अवसर पर सहायक नगर आयुक्त राजबहादुर सिंह, चीफ इंजीनियर कुलभूषण वाष्र्णेय, सीटीओ विनय कुमार राय, आरपी सिंह, राजेश गुप्ता, संजय सक्सेना आदि मौजूद रहे।
इंटरनेट मीडिया पर छाया तबादला
नगर आयुक्त के तबादले की जानकारी लोगों ने इंटरनेट मीडिया के जरिए शेयर की। फेसबुक पर तरह-तरह की टिप्पणियां की गईं, वाट्सएप पर भी चर्चा का विषय बना रहा। उनके कार्यालय में विकास कार्यों पर कमेंट किए गए। हर कोई जानना चाहता था कि अचानक तबादला कैसे हो गया।
शिकायतें भी थीं
मेरठ में एडीएम प्रशासन रहे सत्यप्रकाश पटेल ने मई, 2018 में बतौर नगर आयुक्त कार्यभार ग्रहण किया था। साढ़े तीन साल के इस कार्यकाल में उन्होंने विकास कार्य कराए तो विवाद भी बने रहे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का कार्य समय से पूरा न होने, कूड़ा प्रबंधन, यूजर चार्ज पर विधायकों ने सीएम तक शिकायत की। 11 अरब रुपये से अधिक की सरकारी संपत्ति कब्जा मुक्त कराई तो सवाल उठने लगे। मेयर ने भी सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की थी।