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Amu news हुकूमत के साथ काम करे मुस्लिम समाज, तभी खुशहाली संभव : प्रो. शब्बीर

एएमयू के विधि संकाय के पूर्व डीन प्रो. एम शब्बीर ने कहा है कि सर सैयद ने मौजूदा समय की हुकूमत से मिलकर काम करने में विश्वास किया था। अगर ब्रिटिश हुकूमत उनसे नाराज रहती तो वो जिस मिशन के साथ काम कर रहे थे उसको कामयाबी नहीं मिलती।

By Parul RawatEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:14 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:14 PM (IST)
Amu news हुकूमत के साथ काम करे मुस्लिम समाज, तभी खुशहाली संभव :  प्रो. शब्बीर
कार्यक्रम को संबोधित करते प्रो. मो. शब्बीर

अलीगढ़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू ) के विधि संकाय के पूर्व डीन प्रो. एम शब्बीर ने कहा है कि सर सैयद ने मौजूदा समय की हुकूमत से मिलकर काम करने में विश्वास किया था। अगर, ब्रिटिश हुकूमत उनसे नाराज रहती तो वो जिस मिशन के साथ काम कर रहे थे उसको कामयाबी नहीं मिलती। आज के मुस्लिम समाज को इससे नसीहत लेनी चाहिए कि वह वक्त की हुकूमत के साथ काम करें। तभी उन की खुशहाली और तरक्की मुमकिन हैं। 

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सर सैयद डे समारोह का आयोजन

एएमयू एल्युमिनी एसोसिएशन की ओर से पिछले दिनों हापुड के मुलायम सिंह मेडिकल कॉलेज में सर सैयद डे समारोह का आयोजन किया गया। इसमें हापुड़ के साथ ही गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंदशहर और मेरठ के एएमयू से जुड़े लोग शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता एएमयू के विधि संकाय के पूर्व डीन प्रो. एम शब्बीर ने की। प्रो. शब्बीर ने कहा कि सर सैयद एजुकेशन मिशन से प्रभावित होकर मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्व विद्यालय स्थापित करने का काम शुरू किया। दावा किया कि सर सैयद से उन्होंने इस संबंध में मदद भी मांगी। सर सैयद ने उनकी उस समय के वायसराय से मुलाकात कराई। इसके बाद देश की इतनी बड़ी संस्था वजूद में आई। सर सैयद ने ‘तहज़ीब-उल-अखलाक़’ और इंस्टीट्यूट ऑफ गजट को देश की संस्थाओं और उनके हल का जायजा लेने के लिए वजूद में लाए।


सर सैयद की प्रासंगिकता

सर सैयद की प्रासंगिकता भारत में कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी।  प्रो. शब्बीर ने कहा कि भारतीय मुसलमान प्राथमिकता के साथ शिक्षा को अभी तक स्वीकार नहीं कर पाया है। इसी कारण वह हर क्षेत्र में पिछड़ रहा है। ऐसी स्थिति में आगामी 25 साल तक मुसलमान शिक्षा को प्राथमिकता दें। आने वाले समय में अधिक से अधिक शिक्षा संस्थानों की स्थापना करें। गरीबी के बावजूद अपने बच्चों को प्राथमिकता दें। शिक्षा से ही उद्योग, नौकरी में आगे बढ़ा जा सकता है। संसद में अपनी आबादी के अनुपात में अपना प्रतिनिधित्व कर सकता है। कहा, मौजूदा समय में धार्मिक और संस्कृतिक मुद्दों पर आए दिन मतभेद के कारण जो लड़ाइयां होती हैं, वह ठीक नहीं है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।


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