हाथरस में 100 लीटर कीटनाशक से भी नहीं मरे मच्छर, वायरल फीवर के बढ़े मरीज
मौसम में बदलाव आने के बाद मलेरिया और डेंगू का प्रकोप जिले में बढ़ रहा है। इस बार मलेरिया विभाग पहले जहां कोरोना से परेशान था वहीं अब सिस्टम ने उसे बीमार कर दिया है। मच्छरों को देखते हुए पांच एमटी डीडीटी शासन से आनी थी।
By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 07:13 AM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 07:13 AM (IST)
हाथरस, जेएनएन। मौसम में बदलाव आने के बाद मलेरिया और डेंगू का प्रकोप जिले में बढ़ रहा है। इस बार मलेरिया विभाग पहले जहां कोरोना से परेशान था, वहीं अब सिस्टम ने उसे बीमार कर दिया है। मच्छरों को देखते हुए पांच एमटी डीडीटी शासन से आनी थी। इसकी डिमांड भी भेजी, लेकिन डीडीटी नहीं मिल पाई। खानापूर्ति के लिए जिले के विभिन्न गांवों में सौ लीटर से अधिक कीटनाशक का छिड़काव करा दिया गया, मगर इससे न मच्छर मरे और न ही मलेरिया का प्रकोप कम हुआ।
डीडीटी उपलब्ध नहीं कराई
जिले के हसायन और सिकंदराराऊ ब्लॉक हाई रिस्क जोन में हैं। इन दोनों ही ब्लॉकों में मलेरिया का प्रकोप रोकने के लिए डीडीटी का छिड़काव होता है। इस बार शासन स्तर से डीडीटी उपलब्ध नहीं कराई गई, जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने साढ़े पांच एमटी डीडीटी के लिए डिमांड भेजी थी। वर्ष 2019-20 में 33104 लोगों का मलेरिया टेस्ट हुआ था, जिसमें से 117 लोग पॉजिटिव निकले थे। इस साल सिर्फ 9422 लोगों की स्लाइड बनाई गई, जिसमें 06 लोग पॉजिटिव निकले। इसमें अक्टूबर में 1894 लोगों की स्लाइड बनाई गई।
पूरे माह चला अभियान
संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत एक से 31 अक्टूबर तक अभियान पूरे जिले में चला। 474 ग्राम पंचायतों से जुड़े गांवों में मलेरिया विभाग ने एंट्री लार्वा दवाई (टेमोफास) का छिड़काव कराया। करीब सौ लीटर दवाई का छिड़काव हुआ, लेकिन इसके बाद भी म'छर नहीं मरे। लगातार मलेरिया का प्रकोप बना हुआ है। झोलाछाप चांदी काट रहे हैं।
मलेरिया संक्रमण से निपटने के लिए इस साल प्रयास किए गए। डीडीटी के लिए शासन को डिमांड भेजी गई लेकिन प्राप्त नहीं हो सकी। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत सौ लीटर एंटी लार्वा कीटनाशक का छिड़काव कराया गया।
-एमके जौहरी, मलेरिया अधिकारी, हाथरस।
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