अलीगढ़ में 10 जमातियों ने कबूला जुर्म, कोर्ट ने खत्म किए मुकदमे
लॉकडाउन के दौरान कोतवाली क्षेत्र की रंगरेजान मस्जिद से पकड़े गए 10 जमातियों के मुकदमों को कोर्ट ने खत्म करने के आदेश दिए हैं। सभी पर संक्रमण फैलाने की संभावना बनाने का आरोप था। जमातियों ने कोर्ट के सामने जुर्म कबूल कर लिया है।
अलीगढ़, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान कोतवाली क्षेत्र की रंगरेजान मस्जिद से पकड़े गए 10 जमातियों के मुकदमों को कोर्ट ने खत्म करने के आदेश दिए हैं। सभी पर संक्रमण फैलाने की संभावना बनाने का आरोप था। जमातियों ने कोर्ट के सामने जुर्म कबूल कर लिया है। इस पर कोर्ट ने जुर्माना लगाकर मुकदमे खत्म करने के आदेश दिए।
पुलिस ने जमातियों की तलाश में अभियान चलाया था
मार्च के अंत में लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान किसी को घर से बाहर निकलने व कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। तभी पुलिस ने जमातियों की तलाश में अभियान चलाया। 31 मार्च 2020 को ऊपरकोट कोतवाली के रंगरेजान मोहल्ले की मस्जिद से 11 जमाती, इमाम प्रबंधक व शाहजमाल में जमात रजिस्टर रखने वाले ओहदेदार समेत कुल 16 लोग पकड़े गए। इनमें दो श्रीलंकाई मूल के थे। दारोगा दीपक कुमार बालियान की ओर से सभी के खिलाफ लॉकडाउन तोडऩे, अपेक्षापूर्ण कार्य करने, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बने, सरकारी नियमों की अवज्ञा करने व महामारी अधिनियिम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। श्रीलंकाई मूल के जमातियों को वीजा नियमों के उल्लंघन में जेल भेजा गया। शेष जमातियों ने वरिष्ठ अधिवक्ता आले नबी के माध्यम से एसीजेएम प्रथम की कोर्ट में अर्जी दायर की। आले नबी ने बताया कि मस्जिद इमाम मोहम्मद खालिद निवासी रंगरेजान मस्जिद मूल निवासी छोटा बिसार भवानीपुर पूर्णिया (बिहार), मस्जिद प्रबंधक फजलुर्रहमान निवासी चंदन शहीद रोड, मोहम्मद शाहबुद्दीन खां निवासी मध्य प्रदेश, सोहेल निवासी सहारनपुर, मोहम्मद मुस्तफा निवासी तमिलनाडु, आफताब निवासी सहारनपुर, कमरुद्दीन निवासी मेवात (हरियाणा), खालिद निवासी पानीपत (हरियाणा), अलीशान निवासी सहारनपुर व नूर मोहम्मद निवासी मेरठ ने कोर्ट में अपना जुर्म कबूल लिया है। कोर्ट ने 2800-2800 रुपये के जुर्माने पर सभी के मुकदमे को खत्म कर दिया है।
अपने-अपने घर चले गए थे जमाती
वरिष्ठ अधिवक्ता आले नबी ने बताया कि सात साल से कम सजा वाले आरोप में लोगों की गिरफ्तारी नहीं होती। उन्हें थाने बुलाकर नोटिस पर हस्ताक्षर करवाकर आजाद कर दिया जाता है। लिखा जाता है कि जब भी कोर्ट बुलाएगी, उन्हें हाजिर होना पड़ेगा। इसी के तहत सभी जमाती अपने-अपने घर चले गए थे। अब कोर्ट के बुलाने पर हाजिरी लगाई और मुकदमे खत्म होने के आदेश पर घर लौट गए।