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सावन के अंतिम सोमवार को बम भोले के जयकारों से गूंजे शिवालय, नगरी हुई शिवमय Agra News

कान्‍हा के ब्रज की धरती पर शिव की भक्ति में डूबे भक्‍त। आगरा के पृथ्‍वीनाथ मंदिर में लगे मेले में उमड़ रहा आस्‍था का सैलाब।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 01:14 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 01:14 PM (IST)
सावन के अंतिम सोमवार को बम भोले के जयकारों से गूंजे शिवालय, नगरी हुई शिवमय Agra News
सावन के अंतिम सोमवार को बम भोले के जयकारों से गूंजे शिवालय, नगरी हुई शिवमय Agra News

आगरा, जेएनएन। भगवान शिव के प्रिय माह सावन का आखिरी सोमवार। हर कोई कर रहा था बस एक ही प्रयास कि अपने महादेव की सेवा तन मन से उनकी कृपा प्राप्‍त कर सके बारंबर। सावन के अंतिम सोमवार पर महादेव मंदिरों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है। शहर के प्रमुख मंदिर राजेश्‍वर महादेव, कैलाश महादेव, बल्‍केश्‍वर महादेव और पृथ्‍वीनाथ महादेव में तो आस्‍था का समुंद्र उमड़़ ही रहा है इसके अलावा शहर के विभिन्‍न क्षेत्रों में स्थित शिवालयों पर भी भोले के भक्‍तों की कतारें लगी हुई हैं। विशेषकर शहर के मध्‍य में स्थित आस्‍था के केंद्र मन:कामेश्‍वर मंदिर में तड़के से अब तक हजारों की संख्‍या में भक्‍तों का रेला पहुंच रहा है।

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सावन के अंतिम सोमवार पर पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पर परंपरागत मेला लगा है। सांसद एसपी सिंह बघेल, विधायक योगेंद्र उपाध्याय, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष विजय शिवहरे, समाजसेवी जितेंद्र चौहान, दिगंबर सिंह धाकरे, केके भारद्वाज, सुनील कर्मचंदानी आदि ने संयुक्त रूप से भगवान शंकर का दुग्धाभिषेक कर मेले का शुभारंभ रविवार शाम किया। इसके बाद से मेले में भीड़ उमड़नी शुरु हो गई थी।

पृथ्वीराज चौहान ने कराया निर्माण

शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक शाहगंज स्थित पृथ्वीनाथ महादेव का मंदिर है। सावन के चौथे सोमवार को यहां विशाल मेला लगता है। इस शिव मंदिर का अस्तित्व द्वापर युग से माना जाता है। कहा जाता है कि महादेव की प्रतिमा पृथ्वी के गर्भ से अवतरित हुई थी। सैकड़ों वर्ष पूर्व खोदाई में अनूठे शिव लिंग सहित इसके चारों खंभे निकले थे। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने जहां-जहां लीला रचाईं वहां शिवजी दर्शन को जाते थे। इसलिए पृथ्वीनाथ महादेव की प्रतिमा द्वापर युग की बताई जाती है। इसके बारे में बताया जाता है कि कन्नौज से युद्ध करके लौट रहे पृथ्वीराज चौहान ने शिव लिंग के साथ ही शिव परिवार की प्रतिमाएं विराजमान कराई थीं। व्यापारियों ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। कहा जाता है कि मंदिर के अंदर स्थापित चारों खंभे तथा शिव लिंग अभी भी 40 फीट पृथ्वी के गर्भ में दबे हुए हैं।

कान्हा की नगरी में शिवालय बम-बम भोले की गूंज से गुंजायमान

कान्हा की नगरी मथुरा में शिवालय सोमवार काे भगवान शिव की जयकार से गूंज उठे। अल सुबह तीन बजे से शिवालयों में लोग जलाभिषेक को उमड़ना शुरू हो गए। शहर के चारों काेनों पर प्रमुख चारों शिव मंंदिरों में लोग पूजन और अर्चन को पहुंचे। महिलाओं, पुरुषों की अलग-अलग लगी लाइनों में घंटों में लोगों का नंबर आया। दोपहर में पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर महिलाएं जेहर चढ़ाने घरों से निकलेंगी।

सोमवार को प्रदोष भी पड़ने से सावन के अंतिम साेमवार का महत्व बढ़ गया है। इस दिन महिलाओं के साथ ही पुरुषों ने भी व्रत रखा और महादेव को बनाने के लिए मंदिरों की ओर कदम बढ़ा चले। लोगों ने जलाभिषेक, पंचामृत स्नान, रुद्राभिषेक आदि कर भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा, पुष्प और फूल, मिष्ठान्न आदि से पूजन-अर्चन कर भाेलेनाथ से  परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

शहर में रंगेेश्वर, भूतेश्वर, गर्तेश्वर, नीलकंठेश्वर, गोकर्णनाथ, चकलेश्वर, पिपलेश्वर, चिंताहरण महादेव आदि बड़े मंदिरों पर सुबह नौ बजे तक मंदिरों के आसपास हालात इस कदर बिगड़ गए कि जाम की समस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ा। भूतेश्वर महादेव और रंगेश्वर महादेव के बाहर सड़क तक श्रद्धालुओं के वाहन खड़े होने के कारण मुख्य सड़कों पर जाम की समस्या बनी रही। हालांकि यहां पुलिस बल तैनात रहा पर उसे जाम से कोई सरोकार नहीं रहा।

एटा, मैनपुरी, फीरोजाबाद के शिवालयों में भी शिव भक्‍तों ने गंगाजल, बेल पत्र, धतूरा, पुष्‍प आदि चढ़ाकर शिव अर्चना की। कासगंज के सोरों में गंगा स्‍नान करने के बाद भक्‍तों ने महादेव की साधना की।

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