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World listening day: शहर हमारा आवाजों का जंगल, इस शोर में कहीं कम न हो जाए आपके सुनने की शक्ति

आज है विश्व श्रवण दिवस। एसएन मेडिकल कालेज में प्रति वर्ष 50 हजार लोग आते हैं कम सुनने की शिकायत लेकर। ध्वनि प्रदूषण और तेज आवाज संगीत लोगों में सुनने की क्षमता को कर रहा है कम। संगीत का आनंद भी मध्‍यम आवाज में लें तो बेहतर।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 10:40 AM (IST)
World listening day: शहर हमारा आवाजों का जंगल, इस शोर में कहीं कम न हो जाए आपके सुनने की शक्ति
अपने कानों की सुनने शक्ति बचानी हैं तो शोरगुल से दूर रहें।

आगरा, अली अब्‍बास। एमजी रोड और हाईवे पर सुबह से रात रात तक वाहनों की तेज आवाजें, समारोहों में डीजे पर बजता कानफोडृू संगीत, बाजारों में तेज आवाज में बजते लाउड स्पीकर। यह सब शहर को आवाजों के जंगल में बदल रहे हैं। लोगों के सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंच रहे हैं। लगातार बढ़ता ध्वनि प्रदूषण समेत अन्य कारण लोगों में बहरेपन का कारण बन रहा है। दुनिया भर मे तीन मार्च को बहरेपन को रोकने, सुनने की क्षमता की देखभाल के लिए विश्व श्रवण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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शहरी जीवन शैली और ध्वनि प्रदूषण, ईयरफाेन से लगातार तेज आवाज में संगीत ताजनगरी के लोगों की सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा रहा है।एसएन मेडिकल कालेज के ईएनटी विभाग में हर वर्ष करीब 50 हजार लोग सुनने की क्षमता की शिकायत लेकर पहुंचते हैं। इनमें नवजात से लेकर 90 वर्ष की आयु तक के लोग शामिल हैं। इनमें दस फीसद बुजुर्गों में यह समस्या उनकी आयु के चलते है। जबकि दो फीसद नवजात में यह समस्या जन्म के समय ज्वाइंडिस होने, मां के गर्भवती होने के दौरान किसी दवा के साइड इफेक्ट्स आदि कारणों से हो रही है। इसी तरह 20 फीसद में कान बहने और इंफेक्शन के चलते सुनने की क्षमता का नुकसान होता है। वहीं, युवा और प्रौढ़ आयु के लोगों में ध्वनि प्रदूषण समेत अन्य कारक हैं।

ऐसे बरकरार रखें सुनने की क्षमता

- यदि शोरगुल वाली जगह जैसे फैक्ट्री या कारखाना आदि जगहों पर काम करते हैं तो कानों की सुरक्षा के लिए ईयर प्लग लगा सकते हैं।

- चौराहों पर आठ से 12 घंटे खड़े होने वाले ट्रैफिक पुलिसकर्मी 70 से 80 डेसीबल की ध्वनि लगातार सुनते हैं। इससे बचने के लिए वह कानों में ईयर प्लग लगा सकते हैं।

- 90 डेसीबल ये कम आवाज कानों के लिए ठीक है। इससे तीव्र आवाज कानों के लिए हानिकारक होती है, इससे बचें।

- आईपाड, एमपी-3 प्लेयर को हेडफाेन या ईयरबड्स की मदद से जरूरत से ज्यादा आवाज और लगातार लंबे समय तक सुनना हमारी सुनने की क्षमता को कम कर सकता है।

- संगीत सुनते समय वाल्यूम हमेशा मीडियम या उससे नीचे रखें। शोरगुल वाली जगह पर तेज आवाज में संगीत सुनने से कानों को नुकसान हो सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

- देश में करीब 50 लाख लोग बहरेपन की समस्या से पीड़ित हैं।

- एसएन मेडिकल कालेज में प्रति वर्ष विभिन्न आयु वर्ग के करीब 50 हजार मरीज बहरेपन की शिकायत लेकर आते हैं।

- सुनने की क्षमता का नुकसान दो तरह का हो सकता है, कंडक्टिव हियरिंग लास और सेंसरीन्यूरल लास।

- कंडक्टिव हियरिंग लास: यह कान की बाहरी और बीच के हिस्से में आई किसी समस्या की वजह से हाेता है।

- सेंसरीन्यूरल लास: यह कान के अंदरूनी हिस्से में आई किसी गड़बड़ी की वजह से होता है। यह श्रवण सेल्स नष्ट होने या उनके ठीक से काम न करने से होता है।

- कान में 15 हजार विशेष श्रवण सेल्स होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये सेल्स नष्ट होने लगते हैं। इससे सुनने की क्षमता कम होती जाती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

नवजात शिशु में कई कारणों से सुनने की क्षमता का नुकसान हो सकता है। छह से आठ महीने का कोई बच्चा यदि तेज आवाज पर प्रतिक्रिया नहीं देता है तो इसे गंभीरता से लें। उसका टेस्ट कराने के बाद जरूरी होने पर काकलियर इंप्लांट कराएं। एक से दो साल की आयु में इंप्लांट कराने से बच्चा जल्दी रिकवर करता है।

डाक्टर धर्मेंद्र कुमार, ईएनटी विभागाध्यक्ष एसएन मेडिकल कालेज

60 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि है नुकसानदायक

काकलियर इंप्लांट या हियरिंग हेड लगाने वाले बच्चों की स्पीच थेरेपी करने वाले प्रकाश कहते हैं 60 डेसीबल से तेज ध्वनि कानों के लिए नुकसान दायक है। इससे तेज ध्वनि आवाज की जगह शोर पैदा करती है। ज्यादा देर तक उसे सुनने से नुकसान होता है।


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