World Bank ने लिया गांव गोद, दुनियाभर में होगी जैंत की तुलसी व कंठीमाला की धूम Agra News
मथुरा के जैंत गांव में एक हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में होती है तुलसी की खेती। 35 फीसद आबादी कंठीमाला के निर्माण से जुटी मिलेगा बाजार।
आगरा, एनआर राजपूत। देश-दुनिया में धर्म-अध्यात्म के लिए पहचानी जाने वाली कान्हा की नगरी की धाक अब कंठीमाला के जरिए भी दुनिया भर में होगी। जैंत गांव में तुलसी की खेती और कंठी माला के कारोबार को अब विश्व बैंक नई पहचान दिलाने जा रहा है। दुनिया भर में मथुरा जिले के जैंत गांव के मूल उत्पाद कंठीमाला की न केवल ब्रांडिंग की जाएगी, बल्कि उसे बाजार भी मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए खाका तैयार किया गया है।
मथुरा में हाईवे किनारे स्थित करीब 20 हजार की आबादी वाले इस गांव का प्रमुख कारोबार ही तुलसी की खेती और कंठीमाला का निर्माण है। करीब 35 फीसद आबादी इसी काम में लगी है, लेकिन ग्रामीणों के सामने समस्या ये है कि उन्हें कंठीमाला की बिक्री के लिए पर्याप्त बाजार नहीं मिल पाता। बीते दिनों जैंत गांव को वर्ल्ड बैंक ने विकास के लिए गोद लिया। ऐसे में यहां की खेती और कंठीमाला के कारोबार को बड़ा बाजार देने की रूपरेखा भी तैयार की गई है।
25 नवंबर को आगरा से आई तकनीकी टीम ने गांव का निरीक्षण किया और इसकी रिपोर्ट अमेरिका भेजी। वर्ल्ड बैंक की टीम लीडर स्टेफानिया अल्पाकेरी ने उस पर मुहर लगा दी। अब वर्ल्ड बैंक ने अनुमति के लिए फाइल शासन को भेजी दी है। वर्ल्ड बैंक ने तुलसी व कंठीमाला की ब्रांडिंग करने के साथ ही दुनिया भर में बाजार मुहैया कराने की योजना तैयार की है। तुलसी की खेती करने वाले किसानों के खेतों पर सोलर पंप लगेंगे। तुलसी उत्पादन वाले खेतों तक करीब सात किमी इंटरलॉकिंग व आरसीसी रोड बनेगी। कंठी माला को बढ़ाना देने के लिए हाईटेक मशीनें लगेंगी।
वर्ल्ड बैंक इकाई के सामाजिक पर्यटन विकास विशेषज्ञ शशिकांत गिरी ने बताया कि गांव का तकनीकी सर्वे कर लिया गया है। शासन को पत्रावली भेज दी है। वहां से अनुमति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
200 का माल, 5000 कीमत
आसपास के व्यापारी जैंत गांव के किसानों से जो माल 100 या 200 रुपये में खरीदते हैं, उसकी विदेश में कीमत करीब 5000 रुपये है। किसानों को बड़ा बाजार मिलने पर बिचौलिये तो खत्म होंगे ही, माला यहां से सीधे उपभोक्ता के हाथ पहुंचेगी। इससे सीधा लाभ किसान और कारोबारियों को मिलेगा।