Pulwama Terror Attack: शहादत की सलामी को इन्होंने दी परंपराओं की तिलांजलि
शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुई गांव की महिलाएं और युवतियां। अब तक परंपरा के चलते किसी अंतिम यात्रा में नहीं हुई थीं शामिल।
आगरा, यशपाल चौहान। हजारों की भीड़, हवा में लहराता तिरंगा और वंदेमातरम् के उदघोष। इसके बाद चल दी शहीद की अंतिम यात्रा। परिवार और गांव की महिलाएं भी वर्षों पुरानी परंपरा को तिलांजलि दे अंतिम यात्रा में शामिल हुईं।
पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के नायक कौशल कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार तड़के उनके पैतृक गांव ताजगंज के कहरई पहुंचा था। हजारों की भीड़ शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंच गई। सुबह 9.00 बजे सीआरपीएफ के जवानों ने सलामी दी। पंद्रह मिनट बाद शहीद के घर से अंतिम यात्रा शुरू हुई। शहीद की बेटी अपूर्वा आगे बढ़ी तो गांव की कुछ महिलाओं ने भी आगे कदम बढ़ा दिए। हालांकि गांव की परंपरा को देखते हुए कुछ महिलाओं के कदम कुछ ठिठके भी, मगर सपूत की शहादत को सलामी के लिए वे आगे चलती रहीं। इसके बाद अपने-अपने घरों से निकलकर महिलाएं अंतिम यात्रा में शामिल होने लगीं। अंतिम यात्रा में साथ चलीं गायत्री का कहना था कि पहले वे किसी की अंतिम यात्रा में नहीं निकलीं। मगर, इस बार वे शहीद के साथ चलने में गर्व महसूस कर रही हैं। गांव की कौशल्या, विमलेश, सुधा, नीलम और मंजू समेत सैकड़ों महिलाएं शामिल थीं। पाकिस्तान मुर्दाबाद और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगा तो वंदेमातरम का जयघोष करने में भी पीछे नहीं रहीं। करीब एक घंटे में गांव की परिक्रमा के दौरान वे गर्व से रथ के पीछे चलती रहीं। अंत्येष्टि स्थल पर भी बहुत संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।