Women Empowerment: इनमें है दम, फिरोजाबाद के गांव में महिलाओं ने खोल दी चिप्स फैक्ट्री
फिरोजाबाद के गांव मुहब्बतपुर अहीर की रहने वाली 27 वर्षीय मधु चौका-चूल्हा में ही लगी रहती थीं। घर-गृहस्थी से समय मिलता तो खेत पर जाकर पति का हाथ बंटाती। गुजर-बसर मुश्किल हो रही थी। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अब वह चिप्स फैक्ट्री की निदेशक हैं।
आगरा, डा. राहुल सिंघई। शादी के बाद भले उन्होंने चूल्हा-चौका संभाला, लेकिन अपने सपनों को साकार करने का ऐसा हौसला दिखाया कि एक नजीर बन गई। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 550 स्वयं सहायता समूह की 650 महिलाओं ने मिलकर चिप्स फैक्ट्री स्थापित की है। जिले के शिकोहाबाद क्षेत्र के दिखतौली गांव में प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र सिंह मोती सिंह द्वारा 11 नवंबर, 2021 को लोकार्पित चिप्स फैक्ट्री मिसाल बन गई है। इसकी हिस्सेदार सभी महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। इन्हीं में से चयनित पांच महिलाएं निदेशक हैं।
फैक्ट्री के ट्रायल में मशीन से चिप्स तैयार करती महिलाएं। जागरण
गांव मुहब्बतपुर अहीर की रहने वाली 27 वर्षीय मधु चौका-चूल्हा में ही लगी रहती थीं। घर-गृहस्थी से समय मिलता तो खेत पर जाकर पति का हाथ बंटाती। गुजर-बसर मुश्किल हो रही थी। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर नूडल्स बनाए तो कुछ आय होने लगी। अब वह चिप्स फैक्ट्री की निदेशक हैं। मधु की तरह ही मुहब्बतपुर की अनार देवी (35) हैं। पढ़ी-लिखी नहीं हैं। दूसरे के खेतों पर मजदूरी करती थीं। अब चिप्स फैक्ट्री की शेयर होल्डर हैं। मई 2021 में 550 समूहों की 650 महिला किसानों की सुहागनगरी महिला प्रेरणा उत्पादक कंपनी लिमिटेड बनी। सभी सदस्यों के अंशदान और बैंक लोन के जरिए चिप्स फैक्ट्री स्थापित हो गई। कुछ दिनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा।
फैक्ट्री के ट्रायल में मशीन से चिप्स तैयार करते कर्मचारी। जागरण
ऐसे दोगुनी होगी आय
चिप्स के एक पैकेट की लागत 2.42 रुपये आएगी। थोक कीमत तीन रुपये होगी। शेयर होल्डर महिलाएं तीन रुपये का पैकेट खरीदकर पांच रुपये में बेचेंगी। इसके अलावा, होलसेल में हुए मुनाफा में 58 प्रतिशत हिस्सा भी मिलेगा। जिले में 55 हजार हेक्टेअर रकबा में आलू की फसल होती है। चिप्स फैक्ट्री से अन्य निजी क्षेत्र भी आगे आएंगे। इससे किसानों की उपज सीधे बिकेगी।
निरक्षर से स्नातक तक हैं महिला सदस्य
निदेशक मंडल में एक महिला स्नातक और चार 12वीं पास हैं। इसके अलावा, साझेदारों में से 10 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं। 30 प्रतिशत महिलाएं पांचवीं से आठवीं तक पढ़ी हैं। 10 प्रतिशत महिलाएं स्नातक हैं। शेष 50 प्रतिशत 12वीं पास हैं।
फैक्ट्री के ट्रायल में चिप्स बनने की प्रक्रिया का निरीक्षण करते अधिकारी। जागरण
कंपनी के धरातल पर आने के बाद शामिल होने के लिए अब समूहों की महिलाएं आगे आ रही हैं। समूहों में सक्रियता के आधार पर महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
-राजेश कुरील, उपायुक्त, राष्ट्रीय आजीविका मिशन
पहले समूह की महिलाएं रोज नूडल्स बनाती थीं और ठेलों पर सप्लाई करती थी। अब चिप्स फैक्ट्री की निदेशक बन गई हूं। कमाई बढ़ेगी और अपने बच्चों का भविष्य संवारूंगी।
साधना, निदेशिका निवासी नगला सेंधलाल, शिक्षा 12वीं