बिहारीजी को भेजी राखी और दिया उलाहना, सावन पर तुमने बुलाया क्यों नहीं Agra News
राखी के साथ लिखे पत्र में मांगा आशीर्वाद। मंदिर का है खुद का डाकघर।
आगरा, जेएनएन। भाई बहन के रिश्ते को और अधिक भावुक और मजबूत करने वाला त्योहार रक्षाबंधन गुरुवार को है। त्याेहार पर अपने भाई के पास जाकर उसकी सूनी कलाई को न सजा पाने वाली महिलाएं पहले से ही नेह की डोर को भेज रही हैं। वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी के द्वार पर भी इस वक्त डाकिया सैंकड़ों राखियां लेकर पहुंच रहे हैं। जगत के रक्षक बिहारीजी की कलाई पर रक्षासूत्र न बांध पाने का अफसोस भी पत्र के रूप में राखियों के साथ बहनें भेज रही हैं।
आस्था के कई भाव होते हैं। बांकेबिहारी को भाई मान बहनें राखी तो भेज रही हैं, उन्हें उलहाना भी दे रही हैं कि सावन में उन्हें बुलाया क्यों नहीं? बहनों ने ठाकुरजी से खुशहाली का आशीर्वाद मांगा है। अपनी बात लिखने से तो हिचक लगी तो सामने आकर ही अपने दर्द को उनके आगे रखने का इरादा भी बना रही हैं। लेकिन कहती हैं कि हे बांकेबिहारी जब सामने होती हूं तो सब दुख दर्द भूल जाती हूं। कहूं तो कैसे कहूं?
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के बाहर एक डाकघर भी है। इसमें करीब एक हजार से अधिक पत्र आ चुके हैं। इन पत्रों के साथ लिफाफे में राखियां भी हैं। तमाम ऐसी बहनें हैं, जिनका कोई भाई नहीं है। उन्होंने बांकेबिहारी को ही अपना भाई मान लिया है। ऐसी ही बहनों ने बांकेबिहारी को राखी भेजने के साथ पत्र भी लिखे हैं।
ऐसी ही एक बहन की राखी और पत्र भठिंडा से आया। जिसमें बहन ने अपना नाम तो नहीं लिखा लेकिन ठा. बांकेबिहारी से अपनी रक्षा का वचन मांगा है। कहा कि आपसे बातें बहुत करनी हैं, आपका दीदार करने आऊंगी तब बात करूंगी। आगे लिखती हैं कि हे बांकेबिहारी जब आपका दीदार करती हूं तो सबकुछ कहना भी भूल जाती हूं।
दिल्ली की रहने वाली दो बहनें मौली नेगी और स्वर्णिम नेगी कहती हैं हर वर्ष की तरह इस बार भी राखी भेज रही हूं। आपको ही भाई माना है, अपनी बहानों का रक्षा सूत्र स्वीकार जरूर करना। राखी स्वीकार कर हमारी रक्षा करना, अपना हाथ हमेशा हमारे ऊपर ही रखना। इसी तरह कोलकाता से मानसी दत्ता, देहरादून से मनीषा, चंडीगढ़ से रक्षा चुघ, राधिका तिवारी, श्यामा, नोएडा से कविता भारद्वाज, भोपाल से गुडिया बजाज समेत अनेक युवतियों ने बांकेबिहारी को अपनी राखियां अर्पित करने के लिए डाक के जरिए भेजी हैं। जो रक्षाबंधन के दिन सेवायत के जरिए उन्हें समर्पित कर दी जाएंगी।
कहते हैं प्रबंधक
ठा. बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधक प्रशासन उमेश सारस्वत कहते हैं कि रक्षाबंधन पर हजारों पत्र मिले। इनमें राखियां निकली हैं। कई लिफाफों में राखियों के साथ पत्र भी आए हैं। ये सारी राखियां एकत्रित की जा रही हैं। अब रक्षाबंधन के दिन मंदिर सेवायत के जरिए ठाकुरजी के चरणों में अर्पित करवा दी जाएंगी। इस तरह राखियां हर साल ठाकुरजी के लिए आती हैं।
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