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बुद्धि और मोद का रूप है गणपति का मोदक, प्रसाद रूप में चढ़ाएं जरूर

पुराणों और शास्त्रों में भी वर्णित है गणपति के प्रिय भोग के बारे में। सेहत के लिए फायदेमंद को होता है गणेश जी का प्रिय भोग।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 03:51 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 03:51 PM (IST)
बुद्धि और मोद का रूप है गणपति का मोदक, प्रसाद रूप में चढ़ाएं जरूर
बुद्धि और मोद का रूप है गणपति का मोदक, प्रसाद रूप में चढ़ाएं जरूर

आगरा(जेएनएन): वातावरण तैयार हो चुका है, जगह- जगह पंडाल सज चुके हैं। बस इंतजार है तो हर ओर से गूंजने वाली गणपति बप्पा की जय जयकार का। 11 दिनों की साधना और सेवा, अपने आराध्य का आशीष पाने का मौका देती है। इस अवसर को हर भक्त बिना किसी गलती के पूरा करना चाहता है। गुरुवार को शुरू हो रहे गणेश उत्सव के चलते घरों में प्रसाद की तैयारी चल रही हैं तो लंबोदर के उदर को तृप्त करने के लिए विविध पकवानों की सूची बन रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके गणपति को भोग में सर्वाधिक क्या और क्यों पसंद है।

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भगवान शिव को जिस तरह भांग धतूरा, मा काली को खिचड़ी, देवी लक्ष्मी को खीर पसंद है, ठीक उसी तरह गजानन को प्रसाद रूप में मोदक सबसे ज्यादा प्रिय हैं। उनका मोदक प्रेम उनकी तस्वीरों और प्रतिमाओं में भी साफ दिखाई देता है। गणपति का एक हाथ वर मुद्रा में होता है दूसरे हाथ में उनका प्रिय भोग मोदक शोभायमान रहता है। कुछ तस्वीरों में तो गणेश जी का वाहन मूषक भी गणेश जी के साथ मोदक खाता हुआ दिखता है। शास्त्रों के अनुसार मोदक का अर्थ होता हैं मोद (आनन्द) देने वाला, जिससे आनंद मिलता है। मोदक को ज्ञान का प्रतीक भी माना गया है। इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना जरुरी है, तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं। श्री गणेश को सबसे ज्यादा खुश रहने वाला देवता माना गया है और मोदक उनकी बुद्धिमानी का भी परिचय देता है।

क्यों है गणपति को मोदक प्रिय: ज्योतिषाचार्य डॉ. शोनू मेहरोत्रा के अनुसार गौरी नंदन का एक दात टूटा हुआ है इसलिए वे एकदंत कहलाते हैं। मोदक तलकर और स्टीम करके दो तरह से बनाए जाते हैं। दोनों ही तरह से बने मोदक मुलायम और आसानी से मुंह में घुल जाने वाले होते हैं इसलिए टूटे दात होने पर भी गणेश जी इसे आसानी से खा लेते हैं। वहीं पंडित किशन वाजपेयी बताते हैं कि

यजुर्वेद में गणेश जी को ब्रह्माण्ड का कर्ता धर्ता माना गया है। इनके हाथों में मोदक ब्रह्माण्ड का स्वरूप है जिसे गणपति ने धारण कर रखा है। प्रलयकाल में गणेश जी ब्रह्माण्ड रूपी मोदक को खाकर सृष्टि का अंत करते हैं और फिर सृष्टि के आरंभ में

सेहत के लिए मोदक है बेहतर:

मोदक शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोआ, गुड़, नारियल, मेवा, दाल, बेसन आदि पौष्टिक चीजों से बनाया जाता है। डायटिशियन आकांक्षा गुप्ता के अनुसार मोदक सेहत के लिए भी बेहतर होते हैं। प्रसाद के रूप में मोदक संपूर्ण आहार का काम करते हैं।

देवी पार्वती ने बताए थे मोदक के गुण: ज्योतिषाचार्य डॉ. शोनू बताती हैं कि गणेश पुराण मे देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया। गणेश जी ने जब माता पार्वती से मोदक के गुणों को जाना तो उसे खाने की इच्छा तीव्र हो उठी और प्रथम पूज्य बनकर चतुराई पूर्वक उस मोदक को प्राप्त कर लिया। इस मोदक को खाकर गणेश जी को अपार संतुष्टि हुई तब से मोदक गणेश जी का प्रिय हो गया।


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