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A True Love Story: जहां मुमताज महल से मिले थे शाहजहां पहली बार, वह मीना बाजार भी फिर चमकने को तैयार

A True Love Story आगरा किला में फर्श का संरक्षण कर रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। मीना बाजार में हुई थी शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 08:49 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 08:49 AM (IST)
A True Love Story: जहां मुमताज महल से मिले थे शाहजहां पहली बार, वह मीना बाजार भी फिर चमकने को तैयार
A True Love Story: जहां मुमताज महल से मिले थे शाहजहां पहली बार, वह मीना बाजार भी फिर चमकने को तैयार

आगरा, निर्लोष कुमार। इतिहास में दर्ज शहंशाह शाहजहां और बेगम मुमताज महल की मोहब्‍बत की अमर दास्‍तां को बयां करतेे बहुत से स्‍थान आगरा में हैं। ताजमहल तो उसका सबसे बड़ा प्रत्‍यक्ष प्रमाण है ही। इसके अलावा अतीत से जुड़े अन्‍य स्‍थानों को भी सहेजकर रखने के प्रयास चल रहे हैं। ऐसे ही आगरा किला स्थित मीना बाजार के तीसरे कांप्लेक्स में फर्श का संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा किया जा रहा है। इसी बाजार में शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात हुई थी। अन्य दो कांप्लेक्स में एएसआइ फर्श का संरक्षण पूर्व में कर चुका है।

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आगरा किला में दिल्ली गेट (सेना के अधिकार क्षेत्र में स्थित) से मोती मस्जिद की तरफ जाने वाले मार्ग पर मीना बाजार है। यह एएसआइ के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन सैलानियों के लिए बंद है। मीना बाजार तीन कांप्लेक्स में बंटा हुआ है। मुगल काल में यहां मनसबदारों और अधिकारियों के परिवार की महिलाएं बाजार लगाया करती थीं। शाही परिवार के सदस्य ही इसमें खरीदारी करते थे।

आगरा किला में साउंड एंड लाइट शो (एक अप्रैल, 2019 से बंद) में बताया जाता था कि शहंशाह शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात मीना बाजार में ही हुई थी। मीना बाजार के तीसरे कांप्लेक्स में रास्ते के संरक्षण का काम शुरू किया गया है। यहां मलबे के ऊपर ही पत्थर लगे मिले हैं। उनके नीचे चूने का मिश्रण नहीं मिला, केवल प्वॉइंटिंग चूने से की हुई थी। भारी वाहनों और हाथियों के यहां से गुजरने से फर्श बैठ गया था। एएसआइ गड्ढों को सही कर अब चूने के मिश्रण के ऊपर पत्थर सेट कर रहा है। इसमें पुराने पत्थरों का ही उपयोग किया जा रहा है। अधीक्षण पुरात्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि मीना बाजार में फर्श को उसके प्राचीन स्वरूप में ही संरक्षित किया जा रहा है। यहां मलबा हटाने पर मुगलकालीन फर्श निकला है।

नहीं हो सकेगा पूरा काम

एएसआइ द्वारा तीसरे कांप्लेक्स के 128.80 मीटर लंबे और 7.5 मीटर चौड़े रास्ते को एस्टीमेट बनाया गया था। मलबा हटाने के बाद जब यहां काम शुरू किया गया तो 19.40 मीटर चौड़ाई में मुगलकालीन फर्श मिला, जिसके बाद अब पूरे फर्श को सही किया जा रहा है। पूर्व निर्धारित एस्टीमेट में दो-तिहाई भाग में ही काम हो पाएगा। यहां एक कोने से दूसरे कोने तक पुराना फर्श मिलने से यह माना जा रहा है कि मीना बाजार के इस कांप्लेक्स में ही बाजार लगता होगा।

ब्रिटिश काल में बना था अस्पताल

ब्रिटिश काल में मीना बाजार को सैन्य अस्पताल में बदल दिया गया था। वर्ष 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों को आगरा किला में पनाह लेनी पड़ी थी। तब उन्होंने मीना बाजार की कोठरियों को अस्पताल का रूप दिया था। यहां पाथवे कोठरियों के फर्श से काफी नीचे था और सीढ़ियां बनी हुई थीं। यहां मलबा डालकर लेवल एक कर दिया गया था।


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