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Webinar for Garment Hub: इन सुझावों पर काम हो तो बदल सकती है आगरा की तस्‍वीर

Webinar for Garment Hub गारमेंट हब के लिए उपयुक्त है आगरा। नेशनल चैंबर ने कराया गारमेंट हब की स्थापना को वेबिनार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 02:44 PM (IST)
Webinar for Garment Hub: इन सुझावों पर काम हो तो बदल सकती है आगरा की तस्‍वीर
Webinar for Garment Hub: इन सुझावों पर काम हो तो बदल सकती है आगरा की तस्‍वीर

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में गारमेंट हब की स्थापना को रविवार को नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, आगरा डवलपमेंट फाउंडेश्यान और आगरा विजन-2025 द्वारा वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें उद्यमियों ने गारमेंट उद्योग का भविष्य उज्ज्वल बताते हुए आगरा को गारमेंट हब के लिए उपयुक्त बताया। शासन से सस्ते मूल्य पर भूमि व अन्य सुविधाओं की मांग की गई।

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वेबिनार में मुंबई के 50 वर्ष के अनुभवी एक्सपर्ट अरविंद गुप्ता ने बताया कि देश में लगभग एक लाख गारमेंट इकाइयां हैं, जिनमें से संगठित क्षेत्र में 15-20 फीसद ही हैं। गारमेंट हब को गुणवत्तापूर्ण पानी, बिजली, कैपिटल इंसेटिव, ट्रेनिंग सेंटर, फायर सर्विस, स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता होगी। अहमदाबाद के गारमेंट एक्सपर्ट सुकेतु शाह ने कहा कि गारमेंट हब के लिए इंसेटिव आवश्यक है। श्रमिकों के लिए हॉस्टल, ऑपरेटर्स को एक्सपर्ट द्वारा ट्रेनिंग, श्रमिकों को टारगेट व प्रोत्साहन राशि की आवश्यकता होगी। महिला शक्ति का उपयोग व बड़े उद्योगों के लिए सिलाई का काम यहां हो सकता है। विधायक हेमलता दिवाकर ने गारमेंट हब को अपना समर्थन दिया। चैंबर के विधिक प्रकोष्ठ के चेयरमैन केसी जैन ने बताया कि चार-पांच दिन में 200 से अधिक उद्यमी नए उद्योग की स्थापना के लिए आगे आए हैं। आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के अध्यक्ष पूरन डाबर ने गारमेंट हब की अवधारणा टिप्पणी तैयार कर शासन से स्वीकृत कराने पर जोर दिया। चैंबर अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

यह भी आए सुझाव

-सस्ती औद्योगिक भूमि इंडस्ट्री के आवश्यक है। जमीन की कीमतों के कारण ही गारमेंट इंडस्ट्री दिल्ली से नोएडा से मानेसर और मानेसर से दिल्ली-जयपुर रोड पर पहुंच गई है।

-स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करना आवश्यक होगा।

-गारमेंट हब के माध्यम से रोजगार बढ़ाने को एकजुटता रखनी होगी।

-स्वॉट अध्ययन कराया जाए, जिससे अपनी योजना के अनुसार गारमेंट हब बनाया जा सके।

-दक्षिणी बाइपास के नजदीक गारमेंट हब की स्थापना को संभावना तलाशी जाए।

-डिफेंस कॉरीडोर में एडीआरडीई के माध्यम से सेना के लिए गारमेंट बनाए जाएं।

-कॉमन एफ्लूएंट प्लांट लगाया जाए।

-गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग में कोई पर्यावरणीय चुनौती नहीं है, वो व्हाइट कैटेगरी में है।

यह हुए शामिल

रिटायर्ड जज राजीव लोचन मेहरोत्रा, प्रो. नौशाद खान, साबिया खान, अनिल शर्मा, सीए प्रमोद चौहान, वाईके गुप्ता, आरके नय्यर, संजीव अग्रवाल, राजीव तिवारी, उमेश शर्मा, रजत अस्थाना, शिशिर अस्थाना, अमर मित्तल, राजीव गुप्ता, राजेंद्र गर्ग, योगेश जिंदल, मयंक मित्तल समेत 70 से अधिक लोगों ने वेबिनार में भाग लिया।

गारमेंट हब में कानूनी अड़चन पूछ रहे उद्यमी

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ उप्र (एसोचैम) के आगरा चैप्टर ने गारमेंट हब को सर्वे कराया है। चेयरमैन विश्नू भगवान अग्रवाल ने कहा कि उद्यमियों द्वारा इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने को थीम पार्क को प्राथमिकता देना स्वागत योग्य कदम है, मगर सवाल यह है कि यह जमीन 3000 रुपये वर्ग मीटर की दर में कैसे मिलेगी?

एसोचैम से कई उद्यमियों ने थीम पार्क में कानूनी अड़चनों के बारे में जानना चाहा है, कुछ ने केस चलने का हवाला देकर सवाल उठाए हैं। व्यापारियों ने दक्षिणी बाइपास के किनारे 3000 रुपये वर्ग मीटर में जमीन मिलने की बात कही है, जो उपयुक्त है। संयोजक मनीष अग्रवाल ने बताया कि एसोचैम द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार 91 फीसद लोग अलग क्लस्टर बनने के पक्ष में हैं और नौ फीसद चाहते हैं कि सहायक यूनिट भी लगे। जमीन विधिक रूप से मान्य हो और प्रदूषण सहित अन्य विभागों की एनओसी मिले। इसके लिए प्रशासन से वार्ता करनी चाहिए।


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