Lord Shiva on Bail: भक्तों की जमानत पर वनखंडेश्वर महादेव, जानिए ऐतिहासिक शिवलिंग से जुड़ा ये अनूठा मामला
Lord Shiva on Bail वर्ष 1973 में सोरों के मंदिर से हुए थे शिवलिंग चोरी। वर्ष 2001 में न्यायालय ने आठ लाख की जमानत पर दी सिपुर्दगी। किसी मामले में न्यायालय किसी भी व्यक्ति को जमानत देता है तो उसके एवज में उतने रकम की प्रतिभूति बंधक रखी जाती है।
आगरा, संजय धूपर। महादेव जमानत पर हैैं! कभी सुना है,शायद नहीं। चौकाने वाली यह खबर सोरों के वनखंडेश्वर महादेव की है। भक्तों ने अपने आराध्य की आठ लाख की भूमि बंधक रख जमानत ली है। यह फिल्मी कहानी नहीं, सौ फीसद सच वाकया है। तथ्यों पर आधारित है। वनखंडेश्वर मंदिर से लगभग 50 वर्ष पूर्व चोरी की गई वनखंडेश्वर महादेव की मूर्ति (शिवलिंग) को अलीगढ़ न्यायालय ने वर्ष 2001 में जमानत दी है। मूर्ति वर्तमान में वनखंडेश्वर मंदिर में स्थापित है और लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है।
सोरों में प्राचीन भागीरथी गुफा के सामने वनखंडेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर में स्थापित लगभग साढ़े चार फीट ऊंचा शिवलिंग 26 फरवरी, 1973 को चोरी हो गया। तत्कालीन पुजारी निर्भयपुरी ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया। 22 मई, 1993 को अलीगढ़ जिले के पाली मुकीमपुर थाना क्षेत्र में शिवलिंग बरामद हुआ। पाली मुकीमपुर पुलिस ने शिवलिंग की बरामदगी अपने यहां दर्ज कर ली और थाने के मंदिर में ही स्थापित कर लिया।
किसी तरह से ये जानकारी सोरों के लोगों को हुई। शिवलिंग लेने सैकड़ों लोग पाली मुकीमपुर थाने पहुंचे। लेकिन, पुलिस ने सिपुर्दगी नहीं दी। सोरों के निवासियों ने न्यायालय की शरण ली। वर्ष 1999 में वाद दायर किया। तत्कालीन द्वितीय न्यायिक मजिस्ट्रेट अलीगढ़ विजेंद्र कुमार त्यागी के न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कासगंज के तत्कालीन एसडीएम एके सिंह से भी आख्या मांगी। एसडीएम की आख्या और वादकारियों द्वारा पेश किए गए गवाह और सुबूतों के बाद न्यायालय ने शिवलिंग को आठ लाख रुपये की जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए श्यामपुरी, शिवपुरी, मुरारी और सुभाष ने अपनी दो-दो लाख की भूमि बंधक दी, तब वनखंडेश्वर महादेव को जमानत पर रिहाई मिली। शिवलिंग को लाकर विधि-विधान से वनखंडेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित किया गया।
जब न्यायालय ने जमानत पर महादेव को रिहा करने का आदेश सुनाया तो एकजुटता के साथ शिवलिंग को बंधक बनाया गया। लेकिन न्यायालय का आदेश था, पालन तो करना ही था। - सुभाष चंद्र शर्मा, पैरोकार
बरामदगी भी रोचक
अपनी जमीन बंधक रखने वालों में एक श्यामपुरी के मुताबिक उनके पिता निर्भयपुरी मंदिर में महंत थे। अलीगढ़ के गांव पाली मुकीमपुर के करीब २० लोगों ने शिवलिंग चोरी कर अपने गांव में तालाब के पास दबा दिया। पास ही एक बबूल का पेड़ लगा दिया। कुछ साल बाद कुछ लोगों ने पेड़ काटने की कोशिश की, तब शिवलिंग से कुल्हाड़ी टकराई। इसके बाद चोरी की वारदात आम हो गई। कूुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने शिवलिंग लाकर थाने में स्थापित करा दिया। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अलीगढ़ के गांव पाली मुकीमपुर के जिन लोगों ने शिवलिंग को चोरी किया था। वह बीमार रहने लगे। उन्होंने खुद ही पुलिस को चोरी के बारे में बताया। बकौल श्यामपुरी वह रोजााना सुबह मंदिर का ताला खोलते हैं, दिनभर वहीं रहते हैं और शाम को ताला लगाकर आते हैं। चिंता को कोई शिवलिंग को नुकसान न पहुंचा दे। उनका कोर्ट के फैसले के बारे में कहना है कि यह न्यायालय का फैसला था। जमानत के लिए भी लोगों को एकत्रित किया गया था। चार लोगों में सहमति बनी थी। भूमि के कागज रख जमानत भरी गई। आज भी भूमि के कागज कोर्ट में जमा है। हालांकि जमीन बेचने पर पाबंदी नहीं है। उनका कहना है कि कोर्ट ने हैसियत जानने के लिए भूमि के कागज अपने यहां जमा कराए हैं।