UP Bar Council President Murder Case: एक साल बाद भी न भुलाया जा सका दोस्ती- दुश्मनी का वो खूनी खेल
UP Bar Council President Murder Case पुलिस की जांच में भी न खुल सके कुछ राज। सात माह पहले पुलिस ने लगा दी हत्या के मुकदमे में एफआर।
आगरा, जागरण संवाददाता। उप्र बार कौंसिल अध्यक्ष दरवेश यादव की दीवानी परिसर में सनसनीखेज हत्या को एक वर्ष पूरा हो गया। दोस्ती, दुश्मनी और उसके बाद हुए खून खराबे में पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है। मगर, कई राज अभी ऐसे हैं, जो नहीं खुल सके। दरवेश के स्वजनों द्वारा अंतिम रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई गई, लेकिन पुलिस ने उसे नजरअंदाज कर दिया।
दीवानी परिसर में अधिवक्ता डॉ. अरविंद मिश्रा के चैंबर में 12 जून काे दिनदहाड़े उप्र बार कौंसिल की अध्यक्ष दरवेश की हत्या कर दी गई थी। पुराने दोस्त मनीष बाबू शर्मा ने उन्हें सबके सामने चार गोलियां मारी थीं। उसके बाद अपनी कनपटी पर गोली मार ली। मनीष का पुलिस अभिरक्षा में गुरुग्राम में इलाज चला। 22 जून को उसने दम तोड़ दिया। हत्या के मुकदमे में मुख्य आरोपित मनीष शर्मा था। अन्य में उसकी पत्नी वंदना शर्मा, मित्र गोलेच्छा भी नामजद थे। तत्कालीन इंस्पेक्टर न्यू आगरा और विवेचक राजेश कुमार पांडेय ने विवेचना में केवल मनीष को ही हत्यारोपी माना था। अन्य दो नामजदों को उन्होंने विवेचना में क्लीनचिट दे दी थी। पांच नवंबर 2019 को मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई। इसे कोर्ट में पेश करने के बाद दरवेश के भतीजे कंचन यादव विवेचना पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि पुलिस ने कई बिंदुओं पर जांच नहीं की है। उन्हें नजरअंदाज किया है। पुलिस ने उनकी आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया। पुलिस का कहना था कि हकीकत सामने आ चुकी है। मगर, पुलिस की विवेचना में कहीं यह स्पष्ट नहीं हो सका कि मनीष ने अचानक स्वागत समारोह में पहुंचकर हत्या क्यों की। जबकि थोड़ी देर पहले ही वह दरवेश के स्वागत समारोह में साथ चल रहे थे। मौके पर मौजूद एक इंस्पेक्टर सतीश यादव का नाम भी विवेचन में आया था। उन इंस्पेक्टर सतीश यादव पर मनीष के स्वजनों ने गंभीर आरोप लगाए थे? उनकी हकीकत क्या थी? दरवेश और मनीष की डेढ़ दशक पुरानी दोस्ती दुश्मनी में क्यों बदली? इन सवालों के जवाब नहीं मिल पाए। एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगाई गई है।
सभी चश्मदीदों ने बताई एक ही कहानी
पुलिस को घटना के समय चैंबर में मौजूद आठ से अधिक चश्मदीद मिले थे। जिन्होंने यह तो बताया कि चैंबर में हत्या कैसे हुई। किसी के बयान में इस बात का जिक्र नहीं है कि दोनों की दोस्ती में दरार क्यों आई? पुलिस ने भी अपनी जांच में इस सवाल की गहराई में जाने का प्रयास नहीं किया।
विवेचक ने केस डायरी में लिखा कि जिसने हत्या की उसने खुद को भी मार लिया। दोस्ती दुश्मनी में तब्दील के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। चश्मदीदों ने अपने बयान में कहा है कि मनीष बाबू शर्मा उस दिन वहां इंस्पेक्टर सतीश यादव को देखकर तमतमा गया था। उसने दरवेश से यह सवाल भी किया था। इसे किसने बुलाया। इसी बात पर तकरार शुरू हुई थी। वह इंस्पेक्टर सतीश यादव को पसंद नहीं करता था। पुलिस ने इंस्पेक्टर सतीश यादव के भी बयान दर्ज किए थे। उसमें भी यह साफ नहीं हुआ कि मनीष उन्हें दरवेश के साथ देखकर क्यों तमतमाया था।