UP Chunav 2022: क्या हुआ तेरा वादा...जानिए फेसबुक पर क्यों बोले सपा के पूर्व विधायक असीम भाई
UP Assembly Election 2022 2002 में फिरोजाबाद सीट से विधायक बने अजीम भाई चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2017 में तीसरी बार हार के बाद पार्टी से बागी होने पर निष्कासित किया गया था। वे प्रसपा में चले गए और लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव का साथ दिया।
आगरा, जागरण टीम। 2017 विस चुनाव में हार के बाद पार्टी से बगावत करने वाले सपा के पूर्व विधायक अजीम भाई के सुर एक बार फिर बागी हो रहे हैं। टिकट कटने के बाद पूर्व विधायक ने फेसबुक पर मैसेज वायरल किया है। जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के नाम जारी संदेश में कह रहा है कि मुझे घर आकर पूर्व सांसद ने टिकट का वादा किया था। वादे का क्या हुआ? मुझे एक बार उनसे मिलवा दो।
नगला बरी निवासी समाजवादी नेता अजीम भाई ने पहली बार फिरोजाबाद सीट से 1996 में चुनाव लड़ा और हार गए। 2002 में सपा की टिकट पर विधायक बने। इसके बाद लगातार तीन बार पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा। 2017 विस चुनाव में सदर सीट पर हार के बाद उन्होंने पार्टी से बगावत की। पार्टी से निष्कासित होने के बाद वे प्रसपा में चले गए। जनवरी 2021 में उन्हें दस साल पुराने जनआंदोलन के दौरान आगजनी के मामले में दस साल की सजा हो गई। लगभग दस माह तक जेल में रहने के बाद वे जमानत पर रिहा हुए। इसके बाद उनकी सपा में वापसी हो गई। सजा सुनाए जाने के कारण वे अपनी पत्नी के लिए सदर सीट से टिकट मांग रहे थे और चार प्रमुख दावेदारों में शामिल थे।
सोमवार को सदर सीट पर सपा ने सैफुर्रहमान उर्फ छुट्टन भाई को प्रत्याशी घोषित किया। इसके 24 घंटे बाद पूर्व विधायक अजीम भाई का वीडियो वायरल हुआ। वे कह रहे हैं कि पूर्व सांसद अक्षय यादव ने घर आकर टिकट का वादा किया था। उस वादे का क्या हुआ? अब उनकी मुलाकात पूर्व सांसद से करवा दो। इस संबंध में जागरण ने अजीम भाई से संपर्क किया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। इस संबंध में पूर्व सांसद अक्षय यादव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई। सपा जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र चंचल का कहना है कि पूर्व विधायक को इस तरह का वीडियो वायरल नहीं करना चाहिए। पूर्व सांसद शहर से बाहर हैं, उनके आने पर मुलाकात कराई जाएगी।
ननि के चुनाव में सपा के खिलाफ खुलकर की थी तकरीर
2017 में बागी हुए अजीम भाई ने नगर निगम चुनाव मे सपा के खिलाफ और एआइएमआइएम प्रत्याशी के समर्थन में खुलकर तकरीर की थी। मेयर पद की प्रत्याशी ने 50 हजार से ज्यादा वोट पाकर दूसरा स्थान हासिल किया था। इसके बाद बगावत बढ़ती गई और वे शिवपाल खेमे में चले गए।