पढ़ें पिता के किस खास फार्मूले से इस बार चुनाव लड़ेंगे सपा मुखिया अखिलेश यादव
UP Assembly Election 2022 एक बार आएंगे अखिलेश फिर कमान संभालेंगे तेजप्रताप। केवल नामांकन को ही बुलाने की तैयारी रणनीति बनाने में जुट गया संगठन। मैनपुरी की करहल सीट पर रहा है सपा का वर्चस्व। तीन बार लगातार जीती है पार्टी।
आगरा, दिलीप शर्मा। पिता मुलायम सिंह की कर्मस्थली से पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने जा रहे सपा अखिलेश यादव भी उनके बीते लोकसभा चुनाव जैसी ही रणनीति अपनाने जा रहे हैं। 2019 के लोस चुनाव में मुलायम सिंह नामांकन के बाद केवल एक सभा करने आए थे। फिर पूरा चुनाव पार्टी ने लड़ा था। इस बार भी संगठन अखिलेश यादव को केवल नामांकन के लिए ही बुलाने की तैयारी कर रहा है। चुनाव की पूरी कमान पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव के नेतृत्व में अन्य नेता संभालेंगे।
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर सपा का वर्चस्व माना जाता है। यहां सपा लगातार तीन बार से जीत रही है। बीते चुनाव में सपा के सोबरन सिंह यादव 38 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से तीसरी बार विधायक बने थे। सीट को अखिलेश यादव के लिए सुरक्षित सीट के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी की रणनीति के तहत ही उनको यहां से लड़ने की बात तय हुई है। पार्टी ने सपा मुखिया को प्रस्ताव भी यही कहकर दिया कि उनको केवल नामांकन करने आना है, संगठन बड़ी जीत दिलाएगा। सपा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यह रणनीति आजमा चुकी है। तब मुलायम सिंह यादव जिस दिन नामांकन करने आए थे, उस दिन उन्होंने कोई सभा नहीं की थी। बाद में 19 अप्रैल 2019 को को शहर के क्रिश्चियन मैदान में बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ संयुक्त सभा की थी, जिसमें अखिलेश यादव भी शामिल थे। उस चुनाव पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव के नेतृत्व में स्थानीय नेताओं ने संभाली थी। तब मुलायम सिंह 92 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे। इस बार भी चुनाव इसी तरह लड़ा जाएगा। संगठन की रणनीति है कि अखिलेश केवल नामांकन करके चले जाएं। यदि वह खुद चाहें तो चुनाव आयोग की रोक हटने के बाद एक रैली या जनसभा का फैसला ले सकते हैं। वैसे स्थानीय नेताओं ने इसकी जरूरत न होने की बात कह दी है। जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि पार्टी ने रणनीति लगभग तैयार कर ली है। अखिलेश के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद पूरा संगठन जोश में है।
पूर्व सांसद ने ली जानकारी, आतंरिक बैठक कल
पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव करहल के प्रमुख नेताओं के साथ शुक्रवार सुबह सैफई में माहौल पर मंथन किया। अब पार्टी संगठन और प्रमुख नेताओं की आतंरिक बैठक शनिवार को बुलाई गई है। मैनपुरी के जिला कार्यालय में यह बैठक होगी। इसमें जिम्मेदारियांत तय कर रणनीति को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
करहल से लड़ने के पीछे पूर्वांचल साधने की रणनीति
सपा मुखिया अखिलेश यादव का मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। चुनाव में पश्चिम से लेकर पूरब तक लड़ाई जोर-शोर से चल रही है। पूर्वांचल में भाजपा शुरुआत से पूरी ताकत झोंक रही है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद वाराणसी से सांसद हैं और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी गोरखपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टीजनाें के मुताबिक अखिलेश यादव यदि आजमगढ़ से लड़ते तो छठवें और सातवें चरण में पूरी ताकत नहीं झोंक पाते। क्योंकि सपा में अखिलेश यादव ही सबसे बड़े चेहरे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते संगठन और चुनावी रणनीति को लेकर भी उनको भूमिका निर्वहन करना है। पार्टी के रणनीति कारों के मुताबिक करहल से चुनाव लड़ने से पश्चिम में तो बेहतर परिणाम की उम्मीद है ही, तीसरे चरण के बाद अखिलेश यादव पूरी तरह आगे चरणों में सक्रियता दिखा सकेंगे।