Move to Jagran APP

तो मैनपुरी की इस सीट से लड़ सकते हैं अखिलेश, सहेजेंगे मुलायम की विरासत

UP Assembly Election 2022 मैनपुरी की करहल सीट से लड़ने की सबसे ज्यादा जताई जा रही संभाावना। मुलायम सिंह ने भी सपा से मैनपुरी जिले में ही लड़ा था पहला विस चुनाव। मैनपुरी जिला मुलायम सिंह की सियासी कर्मस्थली रहा है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 03:10 PM (IST)
तो मैनपुरी की इस सीट से लड़ सकते हैं अखिलेश, सहेजेंगे मुलायम की विरासत
मैनपुरी की करहल सीट से लड़ने की सबसे ज्यादा जताई जा रही संभाावना।

आगरा, दिलीप शर्मा। अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मैनपुरी जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं गर्म हैं। पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत सहेजने के साथ चुनावी समीकरण साधने को अखिलेश जल्द यह फैसला ले सकते हैं। अखिलेश के चुनाव लड़ने  के लिए करहल विधानसभा सीट को सबसे ज्यादा मुफीद माना जा रहा है। यहां पहले भी सैफई परिवार के सदस्य पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव के चुनाव लड़ने के कयास भी लगते रहे हैं। इस सीट पर सजातीय यादव मतदाता सर्वाधिक हैं। ऐसे में अखिलेश के करहल सीट से लड़ने की संभावनाएं सबसे ज्यादा प्रबल हैं। खुद पार्टी संगठन भी यही चाहता है। अखिलेश के चुनाव लड़ने का संकेत देते ही बुधवार शाम को संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल यह अनुरोध लेकर सपा मुखिया से मिलने के लिए रवाना भी हो गया। दूसरे विकल्प के तौर पर मैनपुरी सीट को रखा गया है।

loksabha election banner

विधानसभा चुनाव की दौड़ में सबसे ज्यादा चर्चाओं में चल रही समाजवादी पार्टी, सत्ताधारी भाजपा को किसी मामले में बढ़त नहीं देना चाहती है। सपा की बड़ी सेंधमारी के बाद भाजपा ने रणनीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया है। उनकी सीटें भी घोषित हो चुकी हैं। इसके बाद से भाजपा अखिलेश यादव सहित अन्य दलों के प्रमुख नेताओं के भी विधानसभा चुनाव में न उतरने को लेकर सवाल उठा रही है। माना जा रहा है कि भाजपा की इसी रणनीति को विफल करने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद से मैनपुरी या आजमगढ़ से उनके मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि पार्टी नेताओं का मानना है कि अखिलेश यादव को मैनपुरी से ही चुनाव लड़ना चाहिए। मैनपुरी को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ माना जाता है। ऐसे में उनको अपने पिता की विरासत संभालने का पूरा अधिकार है।

मैनपुरी जिला मुलायम सिंह की सियासी कर्मस्थली रहा है। वर्ष 1993 में जब समाजवादी पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरी थी, तब मुलायम सिंह यादव ने अपना पहला विधानसभा चुनाव यहां की शिकोहाबाद विधानसभा सीट से लड़ा था। उस समय शिकोहाबाद सीट मैनपुरी जिले में आती थी। 1993 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव साढ़े 15 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीते थे। उस चुनाव के बाद से मैनपुरी के विधानसभा चुनावों में सपा का दबदबा रहा है। करहल सीट की बात करें तो वर्ष 2002 के चुनाव को छोड़कर वर्ष 1993 से 2017 तक का हर चुनाव सपा ने ही जीता है। विधानसभा में यादव मतदाताओं की संख्या सवा लाख के आसपास मानी जाती है। पार्टी संगठन जातीय समीकरणों के लिहाज से भी इस सीट को सबसे ज्यादा सुरक्षित मान रहा है।

सपा के जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि जिले सभी नेता-कार्यकर्ता चाहते हैं कि अखिलेश यादव यहीं से चुनाव लड़ें। संगठन करहल से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव देने जा रहा है। इसके लिए वह खुद और जिला महासचिव रामनारायन बाथम पार्टी मुखिया से मिलने लखनऊ रवाना हो रहे हैं। वैसे तो पार्टी मुखिया जिले की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, परंतु दूसरे विकल्प के तौर पर मैनपुरी विधानसभा सीटठ को रखा गया है।

इसलिए कहा जाता है सपा का गढ़

मुलायम सियासी कर्मस्थली रहे मैनपुरी को सपा के गढ़ के तौर पर माना जाता है। मैनपुरी को सपा का सियासी दुर्ग माना जाता है। लोकसभा चुनाव में सपा लगातार नौ चुनावों से जीत रही है। वर्ष 2014 में मोदी लहर के समय भी मुलायम सिंह यादव सवा लीन लाख वोटों के अंतर से जीते थे। इसके बाद उप चुनाव में उनके पौत्र तेजप्रताप यादव ने साढ़े तीन लाख मतों से जीत दर्ज की थी। फिर 2019 के चुनाव में भी मुलायम सिंह 92 हजार मतों के अंतर से विजयी रहे थे। विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2012 के चुनाव में सपा ने जिले की चारों सीटें जीती थीं। बीते चुनाव में सपा ने भोगांव को छोड़ शेष तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी।

लड़े तो कई जिलों के बदलेंगे समीकरण

सपा की चुनावी रणनीति के लिहाज से भी यह फैसला अहम साबित हो सकता है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि अखिलेश यदि मैनपुरी की किसी सीट से लड़ते हैं तो कानपुर और आगरा मंडल की कई सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। इनमें फिरोजाबाद, एटा, औरेया, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद आदि जिले शामिल हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.