देहात में भी तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज के रोगी, बढ़ गई संख्या
भारत में 7.2 करोड़ लोग अब तक शिकार, जिले में करीब 3.5 लाख लोगों को है डायबिटीज
आगरा, (जागरण संवाददाता)। डायबिटीज धीरे-धीरे देहात में भी यह अपने पैर पसार रही है। लोगों की बदलती जीवनशैली हर वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहीं है। हैरानी की बात है कि 18 साल से कम उम्र के किशोरों में भी टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों की संख्या 10 फीसद पहुंच चुकी है।
इंटरनेशनल डायबिटिक फेडरेशन के ताजा सर्वे के मुताबिक देश में अब तक 7.2 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार बन चुके हैं। वहीं 7.5 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज के शिकार हैं। आगरा में 15 लाख वयस्कों की आबादी में 1.50 लाख लोग औसतन यहा डायबिटीज से पीड़ित हैं। शहर में 12 फीसदी और गाव में छह फीसदी लोग डायबिटिक हैं। वरिष्ठ डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. बीके अग्रवाल बताते हैं कि प्राय: मोटे लोगों में देखी जाने वाली बीमारी अब दुबले-पतले लोगों में भी तेजी से बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण जंग फूड, फास्ट फूड का प्रचलन और अनियमित जीवन शैली है। घरों में सरसों के तेल के बने समोसे, पूड़ी-कचौड़ी इतनी नुकसान देय नहीं है, जितना कि ट्रासफैट्स तेल से पके खाद्य पदार्थ। समोसे, इडली, साभर, डोसा खस्ते की जगह पिज्जा, फ्रैंच फ्राइज, चायनीज, इटेलियन, पैक्ड खाद्य पदाथरें ने लोगों को डायबिटिक की राह पर धकेल दिया। डॉक्टरों के मुताबिक देहात में भी तेजी से लोगों की जीवनशैली बदल रही है। खानपान में बदलाव के साथ शारीरिक व्यायाम की कमी होने से डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
मीठा न खाओ, फिर भी डायबिटीज
डॉक्टर बीके अग्रवाल के मुताबिक डायबिटीज का कारण मीठा खाना नहीं है। बिना मीठा खाने वाले भी इसके शिकार हो रहे हैं। हा, मधुमेह होने के बाद मीठा बिल्कुल खत्म कर दिया जाए।
शुगर का स्तर
खाली पेट
100 से कम - सामान्य
100 से 126 - प्री डायबिटिक
126 से अधिक - डायबिटिक
खाना खाने के बाद
140 से कम - सामान्य
140 से 200 - प्री डायबिटिक
200 से अधिक - डायबिटिक
डायबिटीज के कारण
-व्यायाम की कमी
-खानपान में बदलाव और बदलती जीवनशैली
-तनाव
-नींद की कमी
-प्रदूषण और प्लास्टिक के कारण हार्मोन में होने वाले बदलाव
डायबिटीज के प्रकार
टाइप-1 डायबिटीज
टाइप-1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्था में अचानक इंसुलिन के उत्पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इंसुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है या उन्हें पेट के मोटापे की समस्या होती है। यह कई बार आनुवाशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।
डायबिटीज के मरीज किससे करें परहेज
ग्लूकोज, चीनी, जैम, गुड़, मिठाइया, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्रीज और चाकलेट आदि से डायबिटीज के मरीजों को दूर रहना चाहिए। तला हुआ भोजन या प्रोसेस्ड फूड भी इसमें नुकसान देते हैं। अल्कोहल का सेवन या कोल्ड ड्रिंक भी डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है। मधुमेह रोगियों को धूम्रपान से दूर रहने के साथ ही सूखे मेवे, बादाम, मूंगफली, आलू और शकरकंद जैसी सब्जिया बहुत कम या बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को फलों में केला, शरीफा, चीकू, अंजीर और खजूर से परहेज करना चाहिए।
क्या खाएं डायबिटीज रोगी
डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों के लिए सलाद के साथ ही सब्जियों में मैथी, पालक, करेला, बथुआ, सरसों का साग, सोया का साग, सीताफल, ककड़ी, तोरई, टिंडा, शिमला मिर्च, भिंडी, सेम, शलजम, खीरा, ग्वार की फली, चने का साग और गाजर आदि का सेवन अच्छा रहता है। इसके अलवा उन्हें फाइबर व ओमेगा थ्री फैटी एसिड युक्त आहार का भी ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। यदि आप नॉनवेज खाना पसंद करते हैं तो तंदूरी या उबले मुर्गे का मीट और मछली को उबालकर या भूनकर खा सकते हैं। एक-दो अंडे भी आप खा सकते हैं।
आहार के साथ जरूरी सावधानिया
नियमित शुगर स्तर की जाच कराए।
किसी भी तरह के घाव को खुला ना छोड़ें।
फलों का रस लेने के बजाय, फल खायें।
व्यायाम करें और अपना वजन नियंत्रित रखें।
योग भी डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्छा है।