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Eco Tourism: ईको टूरिज्‍म का बनने जा रहा नया सर्किट, आगरा-चंबल और इटावा लॉयन सफारी का पर्यटक ले सकेंगे आनंद

नौ स्थानों को किया गया है चिन्हित पर्यटकों को लुभाने के लिए लेंगे होटलों और टूरिज्म गिल्ड का सहयोग। कान्क्लेव में मिले सुझाव ब्रोशर का हुआ लोकार्पण शासन स्तर से शुरू हुई कवायद। हाथियों की देख सकेंगे अठखेलियां। गांवों के घरों में होम स्‍टे कराने की भी योजना।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 10:34 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 10:41 AM (IST)
Eco Tourism: ईको टूरिज्‍म का बनने जा रहा नया सर्किट, आगरा-चंबल और इटावा लॉयन सफारी का पर्यटक ले सकेंगे आनंद
चंबल सफारी में धूप के आनंद लेता घडि़याल।

आगरा, प्रभजोत कौर। आगरा-चंबल-इटावा सर्किट को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने के लिए शासन स्तर से कवायद शुरू हो गई है। आगरा, चंबल और इटावा के नौ ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया है, जिनके माध्यम से इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। ताज रोड स्थित होटल में वन विभाग और उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म के संयुक्त तत्वावधान में कान्क्लेव में टूरिज्म गिल्ड और होटल व्यवसायियों से सहयोग और योजना संबंधी चर्चा हुई है।

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इन नौ स्थानों को किया चिन्हित

ताज नेचर वाक, कीठम स्थित सूरसरोवर, कीठम भालू संरक्षण केंद्र, चुरमुरा स्थित हाथी संरक्षण केंद्र, नेशनल चंबल वाइल्डलाइफ सेंचुरी, नंदगवा स्थित नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर, इटावा सफारी पार्क।

गांवों और जंगल की सीमा में रहने वालों से लेंगे सहयोग

कान्क्लेव में फैसला लिया गया कि आगरा, चंबल और इटावा के इन नौ चिन्हित स्थानों के पास के गांवों औ जंगलों के पास रहने वाले लोगों से सहयोग लिया जाएगा। इन स्थानों को बढ़ावा देने के लिए। ऐसे घरों को भी ढूंढा जाएगा, जिन्हें होम स्टे में बदला जा सके।

ज्यादा होंगी गतिविधियां

इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आगरा-चंबल- इटावा में नेचर कैंप, ट्रैकिंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स, फोटो सफारी, फासिल सफारी व स्काइ गेजिंग कराई जाएगी।

यह मिले सुझाव-

- आगरा में रात्रि प्रवास कम होता है, इसके लिए होटलों व टूर पैकेज में इन नौ स्थानों के टूर भी शामिल किए जाएं।

- ताज नेचर वाक में फोटोशूट व अन्य कार्यक्रमों की इजाजत मिले, इससे भी पर्यटक आएंगे।साथ ही आय भी होगी।

- सूरसरोवर में बैटरी चालित गाड़ियां चलाई जाएं। वाटर बाडीज विकसित की जाएं।

- इन नौ स्थानों की एक ही टिकट विंडो हो, जिससे पर्यटकों को आसानी हो।

- होम स्टे ज्यादा से ज्यादा विकसित हों, इससे पर्यटकों को रोक सकेंगे।

- जोधपुर झाल भी एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।

- सूरसरोवर तक पहुंचने का रास्ता खराब है, इसे ठीक कराया जाए। कैफेटेरिया व शौचालय हों। एेसी ही सुविधाएं पटना पक्षी विहार में भी हों। कचरा प्रबंधन हो। कूड़ेदान रखे जाएं।

- ताजमहल और यमुना के पास एक वाकवे बनाया जाए।

- ताज नेचर वाक को वीकेंड पर खोला जाए।

- आगरा- चंबल-इटावा की वेबसाइट बनाई जाए। इंटरनेट मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो। होटलों और टूर वेबसाइट पर भी इनका प्रचार किया जाए।

हाथियों को नहलाएं और खिलाएं

चुरमुरा स्थित हाथी संरक्षण केंद्र पर पर्यटकों को लुभाने के लिए हाथियों को नहलाने के लिए क्या सुविधा हो सकती है, इसकी जानकारी वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एमवी से ली गई। इस पर बैजूराज ने बताया कि केंद्र पर 28 हाथी हैं, जिनका इलाज चल रहा है। ऐसे में आम लोगों के साथ वे कैसा बर्ताव करेंगे, यह असुरक्षित हो सकता है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि हाथियों को दूर से नहाते देखना या खाना खिलाना संभव है। इस संबंध में योजना बनाई जा सकती है। इसके साथ ही सेल्फी विद एलीफेंट भी शुरू करने की योजना है।

लगातार हो रहा है विकास

कान्क्लेव में जानकारी दी गई कि चंबल नदी में 1970 में 200 घड़ियाल थे, जिनकी संख्या अब लगभग दो हजार है। इसी तरह इटावा लायन सफारी में भी तीन शेर हैं, जिसमें से एक नर व दो मादा हैं। यहां वैक्सीन सेंटर भी विकसित किया गया है, जहां से गिर नेशनल पार्क से भी वैक्सीन मंगवाई जाती हैं।

यूपी टूरिज्म की वेबसाइट पर करेंगे अपलोड

कान्क्लेव में उपस्थित यूपी टूरिज्म के डिप्टी डायरेक्टर अमित श्रीवास्तव ने कहा कि वे इस सर्किट की जानकारी यूपी टूरिज्म की वेबसाइट पर भी साझा करेंगे।

यह रहे उपस्थित

फारेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज डवलपमेंट विभाग के एसीएस एवायरमेंट मनोज कुमार सिंह, यूपी फारेस्ट कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय सिंह, टूरिज्म गिल्ड के वाइस प्रेसीडेंट राजीव सक्सेना, प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट एंड हाफ सुनील पांडे, आइएफएस राकेश चंद्रा, आइएफएस सुनील चौधरी, इटावा लायन सफारी के निदेशक केकेसिंह, डीएफओ अखिलेश पांडे, समीर पांडे, अखिलेश दुबे, कुणाल जैन व अन्य। कान्क्लेव में सर्किट के ब्रोशर का लोकार्पण भी हुआ।


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