Shekh Salim Chisti Dargah: 440 वर्षों में पहली बार चिश्ती की दरगाह में बदली गईं तीन बीम
Shekh Salim Chisti Dargah दरार आने पर बचाने को लगाया था सपोर्ट। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कराया संरक्षण।
आगरा, जागरण संवाददाता। फतेहपुर सीकरी स्थित सूफी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह मेंं करीब 440 वर्षों के इतिहास में पहली बार छत की संगमरमर की तीन बीम बदली गई हैं। उनमें दरार आने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पूर्व में सपोर्ट लगा दिया था, जिससे वो गिरे नहीं। अब संरक्षण कर बीम बदलने के साथ ही सपोर्ट हटा दिए गए हैं।
फतेहपुर सीकरी में सफेद संगमरमर की बनी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह अकीदतमंदों के लिए आस्था का केंद्र है। दरगाह में पीछे की तरफ छत की एक बीम में दो दशक से पूर्व दरार अा गई थी। तब उसे गिरने से रोकने को एएसआइ द्वारा संगमरमर का पिलर लगा दिया गया था। पीछे की तरफ ही एक अन्य बीम में दरार आने पर करीब 15 वर्ष पूर्व स्केफोल्डिंग (पाड़) लगा दी गई थी। दरगाह में आगे की तरफ भी एक बीम में दरार आ गई थी। करीब दो वर्ष पूर्व पुणे के उत्तरा देवी ट्रस्ट के प्रतिनिधि सीकरी आए तो दरगाह की दशा देख उन्हाेंने संरक्षण कार्य में आर्थिक सहयोग की पेशकश की थी। एएसआइ द्वारा करीब 76 लाख रुपये का एस्टीमेट संरक्षण को बनाया गया था। पिछले वर्ष अप्रैल में काम शुरू कर जुलाई तक एक बीम बदल दी गई थी। इसके बाद बजट नहीं होने पर काम रुक गया था और छत खुली पड़ी रही थी। बजट उपलब्ध होने के बाद अनलॉक-1 में यहां दोबारा काम शुरू किया गया। यहांं दरार वाली तीनों बीम बदलने के साथ छत की मरम्मत की गई है। फर्श के खराब पत्थर बदले गए हैं।
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि दरगाह में अक्टूबर तक संरक्षण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। पच्चीकारी में सीप वर्क का काम करने के साथ छत पर वाटर प्रूफिंग को शीट लगाई जानी है।
ब्रिटिश काल में हुआ था संरक्षण
दरगाह की छत पर ब्रिटिश काल में संरक्षण कार्य हुआ था। अब संरक्षण कार्य के दौरान जिस बीम में दरार आने पर गिरने से रोकने को संगमरमर का पिलर लगाया गया था, उसके ठीक ऊपर लोहे का गर्डर मिला था। यह जंग लगने से फूल गया था। ब्रिटिश काल में इसे इसलिए लगाया गया था कि बीम पर छत का वजन नहीं पड़े, लेकिन जंग लगने से गर्डर के फूलने पर बीम में दरार आ गई। अब यहां नया गर्डर लगाया गया है।