करवाचौथ 2018: यहां कोई नहीं रखता इस खास दिन पर व्रत, जाने क्यों
सती के श्राप के बाद मुहल्ले में नहीं मनाई जाती करवाचौथ। सुरीर में सैकड़ों वर्ष से चली आ रही रूढि़वादी परंपरा।
आगरा [अभय गुप्ता]: शनिवार को करवाचौथ का चांद आसमान पर चमकेगा, लेकिन सामाजिक रूढि़वादिता के बंधन में बंधी चांदनी पर मायूसी ही छाई रहेगी। मथुरा के कस्बा सुरीर के एक मुहल्ले में ठाकुर समाज के सैकड़ों परिवारों की सुहागिनें इस बार भी करवाचौथ का व्रत नहीं करेंगी।
मुहल्ला वघा निवासी विवाहिता पूजा कहती हैं कि शादी के बाद करवाचौथ पर निर्जला व्रत एवं सोलह शृंगार कर अपने चांद का दीदार करने की तमन्ना थी। ब्याह कर आए तो यहां की इस बंदिश का पता चला। विवाहिता रेखा का कहना है कि शादी के बाद इस त्योहार से परहेज की बात सुनी तो मनमसोस कर रह गईं। विवाहिता रुक्मिणी ने बताया कि इस अजब बंदिश की वजह से कभी व्रत नहीं रख पाई हैं।
सती के श्राप की कहानी
सैकड़ों वर्ष पहले गांव राम नगला (नौहझील) का एक ब्राह्मण युवक नवविवाहिता पत्नी को ससुराल से लेकर आ रहा था। वघा मुहल्ले के ठाकुरों ने झगड़ा होने पर उसकी हत्या कर दी। पति की हत्या से कुपित नवविवाहिता मुहल्ले के लोगों को श्राप देते हुए सती हो गई। संयोगवश घटना के बाद कई विवाहिताएं विधवा हो गईं। बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मानकर मुहल्ले में सती का मंदिर बनवाया। तभी से मुहल्ले की महिलाएं करवाचौथ का व्रत और साज-शृंगार नहीं करती हैं।
पानी से भी परहेज
गांव राम नगला के ब्राह्मण आज भी सुरीर में पानी पीने से भी परहेज करते हैं। प्रेमचंद्र शर्मा का कहना है कि परंपरा का निर्वहन पीढ़ी दर पीढ़ी होता आ रहा है।