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आगरा में विकसित किए जा रहे तीसरी पीढ़ी के पैराशूट, ये है इतिहास Agra News

तीसरी पीढ़ी के पैराशूट टेक्टिकल असॉल्ट (पीटीए)-जी टू को विकसित किया जा रहा है। पीटीए-जी टू पैराशूट हर ट्रायल में पास हुआ है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 08:46 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 08:46 AM (IST)
आगरा में विकसित किए जा रहे तीसरी पीढ़ी के पैराशूट, ये है इतिहास Agra News
आगरा में विकसित किए जा रहे तीसरी पीढ़ी के पैराशूट, ये है इतिहास Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। एडीआरडीई तीसरी पीढ़ी के पैराशूट विकसित करा रहा है। अब तक जो भी पैराशूट बनाए गए हैं। उन सभी का प्रदर्शन तीन से सात जनवरी तक 107वीं इंडिया साइंस कांग्रेस का आयोजन बेंगलुरु में किया जा रहा है। इसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। वर्तमान में सेना व एयरफोर्स में जेनरेशन टू (पीटीए-एम) के पैराशूट इस्तेमाल कर रही है, जबकि तीसरी पीढ़ी के पैराशूट टेक्टिकल असॉल्ट (पीटीए)-जी टू को विकसित किया जा रहा है। पीटीए-जी टू पैराशूट हर ट्रायल में पास हुआ है।

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रफ्तार नहीं बनेगी बाधा

रैम एयर मार्क-टू पैराशूट की मदद से 260 किमी की रफ्तार से उड़ने वाले विमान से भी छलांग लगाई जा सकेगी।

पैराशूट की खासियत

पैराशूट में उन्नत किस्म के नायलॉन, कैबलार सहित अन्य मैटेरियल का प्रयोग किया गया है। यह मैटेरियल मुंबई, अहमदाबाद सहित अन्य शहरों में बन रहा है।

हल्के वजन का है पैराशूट

एडीआरडीई के वैज्ञानिक इस कोशिश में हैं कि पैराशूट अधिक चले। यह हल्के वजन का होगा। जिसकी पैकिंग और इसे लेकर जाने में अधिक दिक्कत नहीं होगी।

सौ के करीब होंगे ट्रायल

गगनयान में इस्तेमाल किए जाने वाले स्वदेशी पैराशूट के सौ के करीब ट्रायल होंगे। यह ट्रायल विभिन्न विमानों और अधिक से अधिक ऊंचाई से किए जाएंगे। कुछ ट्रायल राकेट से भी किए जाएंगे। अब तक आधा दर्जन से अधिक ट्रायल हो चुके हैं। प्रारंभिक ट्रायल सबसे कठिन माने जाते हैं। 


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