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आगरा में स्‍मारकों पर पथकर घटाने का हुआ था गजट, एडीए ने की नाफरमानी

एडीए ने शासन को भेजा है ताज समेत अन्य स्मारकों पर पथकर बढ़ाने का प्रस्ताव। आगरा का पर्यटन उद्योग करीब दो दशक से ताजमहल आने वाले पर्यटकों से एडीए द्वारा लिए जा रहे 500 रुपये के पथकर को घटाने की मांग कर रहा है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 09:49 AM (IST)
आगरा में स्‍मारकों पर पथकर घटाने का हुआ था गजट, एडीए ने की नाफरमानी
आगरा विकास प्राधिकरण ने पथकर बढ़ाने का प्रस्‍ताव भेजा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने ताजमहल समेत अन्य स्मारकों पर पथकर बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। उसे स्मारकों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के प्रवेश शुल्क के समान स्मारकों पर पथकर चाहिए। ताजमहल के मुख्य मकबरे पर एएसआइ द्वारा अलग से लागू टिकट में भी उसे हिस्सा चाहिए। एडीए पथकर बढ़ाने की मांग तो शासन से कर रहा है, लेकिन शासन के आदेशों का पालन उसने आज तक नहीं किया। पथकर बढ़ाने का गजट नवंबर, 2003 में किया गया था, लेकिन एडीए ने उसे माना ही नहीं।

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आगरा का पर्यटन उद्योग करीब दो दशकों से ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों से एडीए द्वारा लिए जा रहे 500 रुपये के पथकर को घटाने की मांग कर रहा है। पथकर के टिकट को दो दिन के लिए वैध करने की भी मांग की जा रही है, जिससे कि पर्यटक अन्य स्मारक देख सकें। एडीए ने पर्यटन कारोबारियों की इस मांग को ताे माना नहीं, उल्टे स्मारकों पर पथकर बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया। पर्यटन कारोबारी इसकी मुखालफत कर रहे हैं। अागरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पथकर घटाने से संबंधित आदेश के अनुपालन में आवास एवं शहरी नियाेजन विभाग उप्र शासन ने 24 नवंर, 2003 को संशोधित गजट जारी किया था। इसमें विदेशी पर्यटकों के लिए ताजमहल का पथकर घटाकर 200 रुपये, आगरा किला का 100 रुपये, सिकंदरा, फतेहपुर सीकरी व एत्माद्दौला तीनों को मिलाकर 100 रुपये तय किया था। एडीए ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पथकर को यथावत रखा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी

आवास अनुभाग उप्र सरकार द्वारा पथकर (निर्धारित एवं संग्रह) नियमावली, 22 दिसंबर, 1999 को जारी अधिसूचना के तहत ताजमहल, आगरा किला, सिकंदरा, एत्माद्दौला, फतेहपुर सीकरी पर विदेशी पर्यटकों से 500 रुपये से पथकर लिया जाता है। केवल ताजमहल देखने वाले पर्यटकों को अन्य स्मारकों का पथकर भी चुकाना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर, 2000 को एमसी मेहता बनाम यूनियन आफ इंडिया एंड अदर्स वाद में इस विसंगति को दूर करने के लिए पथकर कम करने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने उप्र सरकार को पत्र भी लिखा था, लेकिन पथकर कम नहीं किया गया।

एएसआइ ने सार्क व बिम्सटेक देशों के पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सार्क व बिम्सटेक देशों के नागरिकों के लिए स्मारकों का प्रवेश शुल्क घटाकर भारतीय पर्यटकों के समान कर दिया था। एडीए से इन देशों के पर्यटकों के लिए पथकर घटाने का अनुरोध किया गया था, लेकिन उसने इस प्रस्ताव को नकार दिया। सार्क देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। वहीं, बिम्सटेक देशों में बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं। सार्क व बिम्सटेक देशों के नागरिकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। यह भारत बुद्धिस्ट सर्किट के साथ ताजमहल देखने आते थे, लेकिन पथकर बढ़ने के बाद इनका आगरा आना और यहां रात्रि प्रवास करना बंद हो गया।

पथकर की वजह से महंगा डेस्टिनेशन है आगरा

आगरा देश का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां स्मारकों पर पथकर लागू है। यहां देश के अन्य शहरों की अपेक्षा भारतीय और विदेशी पर्यटकों को अधिक राशि का भुगतान करना होता है। इससे आगरा एक महंगा डेस्टिनेशन बना हुआ है।

एक दिन स्मारकों पर नहीं लगाना था पथकर

वर्ष 1999 में आवास अनुभाग द्वारा जारी पथकर नियमावली के अनुसार सप्ताह में एक दिन स्मारकों को पथकर से मुक्त रखा जाना था। शुक्रवार को स्मारकों में पथकर लागू नहीं होता, लेकिन ताजमहल साप्ताहिक बंदी के चलते बंद रहता है, जिससे पर्यटकों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। 


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