Move to Jagran APP

खून का रिश्‍ता नहीं, मगर हर मौत पर भीगती हैं आंखें, पढि़ए मोक्षधाम तक ले जाने वाले इस व्‍यक्ति की दास्‍तां

आगरा में क्षेत्र बजाजा संस्‍था द्वारा संचालित मोक्ष वाहन के ड्राइवर हैं केके गौतम। यूं ही रास्‍ते में मिल गए तो बातों-बातों में बाहर आईं दिल की बातें। जवान अपरिचित की मौत पर अक्‍सर फूट पड़ती है रुलाई। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान रात दिन कराए अंतिम संस्‍कार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 08:18 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 08:18 AM (IST)
खून का रिश्‍ता नहीं, मगर हर मौत पर भीगती हैं आंखें, पढि़ए मोक्षधाम तक ले जाने वाले इस व्‍यक्ति की दास्‍तां
क्षेत्र बजाजा का मोक्ष वाहन चलाने वाले केके गौतम।

आगरा, राजेश मिश्रा। ये हैं श्री के के गौतम। मूल रूप से मथुरा के बलदेव क्षेत्र के निवासी हैं। वर्तमान में रहते हैं आगरा के शास्‍त्रीपुरम में। गुरुवार की रात करीब 11 बजे कारगिल चौराहे ( सिकंदरा-बोदला रोड) पर किसी वाहन के इंतजार में खडे थे। मैं आफ‍‍िस से लौट रहा था। अनजान से इन्‍हीं शख्‍स ने मदद का इशारा किया तो मैं रुक गया। मेरे पास स्‍कूटी थी। सर जी, कहां तक जाओगे। मैंने पलटकर पूछा- आपको कहां जाना है।जवाब दिया- शास्‍त्रीपुरम। मैंने कहा कि मैं अगले मोड से ही मुड जाऊंगा। वे बोले- सर जी, बहुत देर से परेशान हूं, कोई आटो नहीं आया। ठीक है वहां तक ही छोड दो। मैंने ये सोचकर उन्‍हें स्‍कूटी पर बैठाकर एक्‍सीलेटर घुमा दिया कि अगले मोड पर उतार दूंगा। रास्‍ते में मैंने पूछा-कहां से आए हो, क्‍या करते हो। जवाब सुनकर मैं पशोपेस में आ गया। वो बोले- क्षेत्र बजाजा कमेटी से आ रहा हूं। शव वाहन पर ड्राइवर हूं। मेरे घर के लिए सडक का मोड आने ही वाला था मगर ये सुनते ही मैंने अपने निर्णय का गियर बदल दिया। हाथ की अंगुलियों ने स्‍कूटी के एक्‍सीलेटर को उसी स्थिति में बनाए रखा। पूछा- शास्‍त्रीपुरम में कहां रहते हो, जवाब मिला- बी ब्‍लाक में। मैंने कहा कि मुझे रास्‍ता बताते चलना, मैं तुम्‍हें घर छोड दूंगा। पीछे बैठा शख्‍स गदगद हो गया मगर हिचकने भी लगा- अरे नहीं सर जी, आप रात में कहां परेशान होंगे। यहीं पर छोड दो, मैं पैदल ही चला जाऊंगा। मैंने उनके प्रतिकार को नकार दिया। कहा कि आप शव को मोक्षधाम तक पहुंचाने का पुण्‍य कार्य करते हो तो मैं भी आपको घर तक क्‍यों नहीं छोड सकता। कहीं स्‍ट्रीट लाइट तो कहीं अंधेरे में वे रास्‍ता बताते रहे और मैं स्‍कूटी चलाता रहा। आखिर, रात करीब बारह बजे उनके घर पर पहुंच गया। इसके बाद अपने घर पहुंचा। अरे हां, एक बात बताना भूल ही गया। के के गौतम ने रास्‍ते में बताया था कि डयूटी तो आठ बजे तक की है, इसके बाद एक कॉल आ गई तो गाडी लेकर चले गए, लौटते में देर हो गर्ई।

loksabha election banner

सर जी, जवां का शव देख दिल दहल जाता है

सर्द रात में स्‍कूटी अपनी रफ्तार से रेंग रही थी। मैंने पूछा कि‍ मोक्ष वाहन पर कब से हो। जवाब दिया-ढाई साल हो गए। आप  तो दिन भर आंसुओं के बीच ही रहते हो। हां सर जी। संवेदनाओं की उत्‍सुकता जारी थी। पूछा- रोज-रोज, कहीं न कहीं जाना और शव लेकर मोक्षधाम तक पहुंचाना। ये सब देखकर विचलित नहीं होते। सर जी,कभी-कभी तो दिल दहल जाता है। खासकर जवां का शव देखकर। अक्‍सर ही आंखें भीग जाती हैं। वो बोले जा रहे थे। कोरोना काल में तो मैंने जो देखा है उसे जीतेजी तो नहीं भूल सकता। एक शव को मोक्षधाम पर पहुंचाने के तत्‍काल बाद ही दूसरे के लिए चला जाता था। कई-कई दिन तो एक पल के लिए भी गाडी नहीं रुकी थी। ह्रदयविदारक समय था वो। हमने अपने हाथों से कई शवों को चिता पर रखवाया था। खून का रिश्‍ता भले ही नहीं था मगर, हम तो अपना काम कर रहे थे। भगवान वो दौर फि‍र कभी न आए।

कमेटी मदद करेगी

श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी के अध्‍यक्ष अशोक गोयल को जब इस वाकये की जानकारी दी तो उन्‍होंने कहा कि अपने कर्मचारियों के लिए कमेटी पूरी मदद करेगी। प्रयास होगा कि भविष्‍य में इस तरह की स्थिति न आए।

ये हैं क्षेत्र बजाजा कमेटी, आगरा के कार्यकलाप

-ताजगंज श्‍मशान घाट पर दाह संस्‍कार सामग्री की व्‍यवस्‍था व घाट की देखरेख

- शव वाहन उपलब्‍ध कराना

- ताजगंज विद्युत शवदाह गृह का स‍ंचालन

- पोस्‍टमार्टम गृह का जीर्णोद्धार

- लावारिस शव की अस्थियों का विसर्जन

- देहदान और नेत्रदान संकल्‍प अभियान

- एसी ताबूत उपलब्‍ध कराना

- डायलिसि‍स चिकित्‍सा उपलब्‍ध कराना

- नेत्र चिकित्‍सालय का संचालन 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.