Rotiwali Amma: चेहरे की मुस्कान बता रही थी अम्मा की खुशी का हाल, चमचमाते ठेले पर लग गई भीड़
दैनिक जागरण ने बीते दिनों अम्मा की व्यथा को प्रकाशित किया। खबर प्रकाशित होते ही मददगारों ने अम्मा के सहयोग में कमी नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत अम्मा के बैंक अकाउंट में दस हजार रुपये भी आ चुके हैं।
आगरा, प्रभजोत कौर। शुक्रवार को सेंट जोंस चौराहे के पास फुटपाथ की तस्वीर बदली हुई थी। जहां पिछले 20 वर्ष से रोटी वाली अम्मा सुबह से शाम तक अपने मिट्टी के चूल्हे पर रोटी सेंकती थीं, वहां एक चमचमाता ठेला खड़ा था। सिर पर पन्नी की जगह मजबूत स्टील की छत थी। टपकता पसीना नहीं चेहरे पर हवा देता पंखा था। अम्मा उकड़ू जमीन पर नही बल्कि प्लास्टिक के ऊंचे स्टूल पर बैठी थी। मिट्टी के चूल्हे की जगह गैस के चूल्हे ने ले ली थी। इन सबके अलावा एक और चीज थी, जो सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। वो थी अम्मा के चेहरे की मुस्कान, आंखों की चमक और सांसों में राहत।
दैनिक जागरण ने बीते दिनों अम्मा की व्यथा को प्रकाशित किया : पिछले एक हफ्ते में रोटी वाली अम्मा यानी भगवान देवी की जिदंगी ने 360 डिग्री का यूटर्न मारा है। पति की बीमारी के बाद फुटपाथ पर बैठकर अपनी जिंदगी की गाड़ी को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रही अम्मा को पति की मौत और उसके बाद लाकडाउन ने पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था। बेटे भी अपने परिवार के साथ अलग रहने लगे थे। दैनिक जागरण ने बीते दिनों अम्मा की व्यथा को प्रकाशित किया। खबर प्रकाशित होते ही मददगारों ने अम्मा के सहयोग में कमी नहीं छोड़ी।
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत अम्मा के बैंक अकाउंट में दस हजार रुपये भी आ चुके हैं। कई मददगार भी अलग-अलग स्तर से आर्थिक सहयोग कर चुके हैं। शुक्रवार को रोजर फाउंडेशन के सहयोग से यूरो सेफ्टी ग्रुप आफ कंपनीज ने अम्मा को नया ठेला दिया। इस ठेले में गैस के चूल्हे, सिलिंडर के साथ ही पंखा, रात के लिए लाइट, डस्टबिन आदि की व्यवस्था है। यूरो सेफ्टी की शगुफ्ता खान ने बताया कि अम्मा में हमने देवी का रूप देखा। इस उम्र में भी जिंदगी की जिद्दोजहद को जिस जिंदादिली से अम्मा अनदेखा कर अपना जीवन जी रही हैं, वो काबिले तारीफ है।
जागरण के 20 और 21 अक्टूबर के अंक में प्रकाशित खबरें
चमचमाते ठेले पर लग गई भीड़ : अम्मा के नए ठेले पर रोज के पहुंचने वाले ग्राहकों के अलावा कई मददगार भी पहुंचे। किसी ने अम्मा के साथ सेल्फी खिंचवाई तो किसी ने अम्मा के हाथ के बने पनीर के परांठे खाए। अम्मा ने दैनिक जागरण का धन्यवाद देते हुए कहा कि मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि मुङो यह शहर इतना सहयोग देगा। यह शहर मुङो बहुत दे रहा है।