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ADRDE: बढ़ने जा रही भारतीय वायुसेना की ताकत, मिलेंंगे एडवांस पैराशूट, युद्धस्‍थल पर पहुंचाएंगे हथियार

एडीआरडीई मालवाहक विमान सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर के लिए विकसित कर रहा बीस टन वजनी सिस्टम। इस साल के अंत में मलपुरा ड्रापिंग जोन में पहले स्वदेशी सिस्टम के होंगे फाइनल ट्रायल वर्ष 2022 में सेना और भारतीय वायुसेना में होगा शामिल।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 08:11 AM (IST)
ADRDE: बढ़ने जा रही भारतीय वायुसेना की ताकत, मिलेंंगे एडवांस पैराशूट, युद्धस्‍थल पर पहुंचाएंगे हथियार
एडीआरडीई आगरा ने हैवी ड्रॉप सिस्‍टम विकसित किया है, जो जल्‍द ही वायुसेना को दिया जाएगा।

आगरा, अमित दीक्षित। कोविड संक्रमण काल में भी हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापन (एडीआरडीई) के वैज्ञानिकों ने मिसाल कायम की है। देश के लिए कुछ करने के जज्बे ने जैसी जरूरत, उतनी क्षमता का हैवी ड्राप सिस्टम विकसित किया है। यह सिस्टम मालवाहक विमान सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर के लिए है। यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है। बीस टन वजनी सामान को चीन हो या फिर पाकिस्तान की सीमा पर किसी भी दुर्गम क्षेत्र में आसानी से जमीन पर उतारा जा सकता है। इससे युद्ध के दौरान जवानों को रसद और हथियार पहुंचाने में मदद मिलेगी। इस साल के अंत तक मलपुरा ड्रापिंग जोन में इस सिस्टम के फाइनल ट्रायल होंगे। वर्ष 2022 में इसे सेना और भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा।

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जरूरत: सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर अत्याधुनिक मालवाहक विमान हैं। अभी तक पी-7 और पी-16 हैवी ड्राप सिस्टम हैं। दोनों ही सिस्टम एडीआरडीई ने विकसित किए हैं। यह सिस्टम अत्याधुनिक मालवाहक विमानों के लिए कारगर नहीं हैं। जिसे देखते हुए एडीआरडीई की टीम ने डेढ़ साल पूर्व बीस टन वजन के हैवी ड्राप सिस्टम को विकसित करना शुरू किया। अब जाकर कामयाबी मिली है।

खासियत: दोनों मालवाहक विमानों के लिए जरूरत के हिसाब के अनुसार ड्राप सिस्टम विकसित किया जा रहा है। यानी वजन को कम भी किया जा सकेगा। यह पहला मौका है जब एक हैवी ड्राप सिस्टम दो मालवाहक विमानों में काम करेगा।

फायदा: युद्ध हो या फिर दैवीय आपदा। मालवाहक विमानों का अहम रोल होता है। हाल ही में आई आपदाओं में इन विमानों का प्रयोग किया गया है। हैवी ड्राप सिस्टम होने से बीस टन वजनी सामान को जमीन पर आसानी से उतारा जा सकेगा।

तकनीक: हैवी ड्राप सिस्टम में बकायदा सेंसर सहित अन्य अत्याधुनिक उपकरण लगे होंगे जिससे इसे निर्धारित स्थल पर उतारा जा सकेगा।

होंगे आठ पैराशूट: एडीआरडीई ने अभी तक जो हैवी ड्राप सिस्टम विकसित किए हैं। उसमें बड़े पैराशूट होते थे लेकिन मालवाहक विमानों के लिए विकसित किए जा रहे इस सिस्टम में आठ छोटे पैराशूट होंगे। इन पैराशूट का वजन 20 से 25 किग्रा होगा। जबकि पूरे ढांचा का वजन 1400 किग्रा होगा।

15 साल से अधिक होगी उम्र: एडीआरडीई हैवी ड्राप सिस्टम की मजबूती पर विशेष ध्यान दे रहा है। सिस्टम की उम्र 15 साल की होगी। इसके लिए पैराशूट में नायलान के अलावा विशेष तरीके से तैयार किए गए मैटेरियल का इस्तेमाल होगा।

यह हैं मालवाहक विमान: भारतीय वायुसेना के पास सी-130जे, सी-17 ग्लोब मास्टर, सीएच-47एफ-आई चिनूक, आइएल-76, एएन-32, एचएस-748, डीओ-228 बोइंग, ईआरजे-135 जैसे मालवाहक विमान हैं।

आत्म निर्भर भारत को लगेंगे पंख: एडीआरडीई के निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एके सक्सेना का कहना है कि मालवाहक विमानों के लिए बीस टन वजनी हैवी ड्राप सिस्टम विकसित किया जा रहा है। यह पूरी तरह से स्वदेशी होगा। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत को पंख लगेंगे। दुनिया भर में भारत का रुतबा और भी बढ़ेगा।


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