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शहीदों के इस मंदिर में शहादत की होती है पूजा, जानिये अनोखे मंदिर का पूरा इतिहास

मैनपुरी के बेवर में लगता है हर वर्ष मेला। आजादी की जंग-ए-मैदान का हाल आज भी होता है यहां बयां।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 01:28 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 01:28 PM (IST)
शहीदों के इस मंदिर में शहादत की होती है पूजा, जानिये अनोखे मंदिर का पूरा इतिहास
शहीदों के इस मंदिर में शहादत की होती है पूजा, जानिये अनोखे मंदिर का पूरा इतिहास

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।

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वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।।

आगरा, सुनील मिश्रा। देशभक्ति का मेला देखना है तो आइए मैनपुरी जिले के बेवर। यहां पर 23 जनवरी से एक मेला शुरू हो गया है। 10 फरवरी तक चलने वाला ये आयोजन देशभक्ति से ओतप्रोत रहेगा। इस दौरान यहां पर शहीदों की पूजा की जाएगी, शहादत को याद किया जाएगा। मगर, यहां बने मंदिर में शहीदों की हर रोज ही पूजा की जाती है, आरती उतारी जाती है। देशभक्ति के पर्व विशेष पर भी ये मंदिर शहीदों की गाथाओं का गुणगान करता है। आजादी की जंग-ए-मैदान का हाल मानो आज भी बयां करती है कि तब सांस थमती गई थी, नब्ज जमती गई थी, मगर उन्होंने अपने कदम न रुकने दिए। शहीदों की ये प्रतिमाएं संदेश देती हैं कि जान देने के मौसम भले ही बहुत हों, मगर जान देने की ऋतु रोज नहीं आती। बलिदान होते वक्त शायद इन शहीदों ने देश के युवाओं से कहा होगा-बांध लो अपने सर पर कफन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।

ऐसे लिया गया था मंदिर निर्माण का संकल्प

भारत माता को गुलामी की बेडिय़ों से मुक्त कराने में मैनपुरी जिले के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। बेवर में अंग्रेजों से खुलकर मोर्चा लिया गया था। 15 अगस्त 1942 को क्रांतिकारियों ने बेवर जूनियर हाईस्कूल से 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' के तहत जुलूस निकाला था। जब क्रांतिकारी जुलूस लेकर थाने के नजदीक पहुंचे तो वहां अंग्रेजों ने बैरियर लगा रखा था। थानेदार आले अली ने सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे दिया। इसमें बेवर नगर के सपूत जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्त और कृष्ण कुमार शहीद हो गए। दर्जनों क्रांतिकारी घायल हुए थे। इन घायलों में जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नारायण त्रिपाठी भी शामिल थे। जगदीश नारायण उस वक्त 16 वर्ष के थे।

आजादी के बाद जगदीश नारायण त्रिपाठी ने सभी शहीदों की याद में शहीद मंदिर बनाने का संकल्प लिया। वर्ष 1971 में मंदिर निर्माण पूरा हुआ। यहां पर 26 शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित की गईं। अब हर राष्ट्रीय दिवस पर यहां शहीदों को याद किया जाता है। 23 जनवरी शहीद दिवस पर मेले की शुरुआत होती है। जो 10 फरवरी तक चलता है। इस बार भी मेला पूरे उल्लास के साथ चल रहा है।

गूंज रहीं शहीदों की शौर्य गाथाएं

शहीद मेले में 10 फरवरी तक प्रतिदिन सांस्कृतिक आयोजन होंगे। इसमें देश के शहीदों की शौर्य गाथाओं को गीत-संगीत और अभिनय के जरिए प्रस्तुत किया जाता है। स्थानीय शहीदों की शहादत से भी युवाओं को परिचित कराया जाता है। अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का सिलसिला भी पूरे आयोजन में चलता रहता है। 

शहीद की तीसरी पीढ़ी जलाए है सम्मान की मशाल

बेवर में शहीद मंदिर बनने के बाद अब शहीद जमुना प्रसाद त्रिपाठी परिवार की तीसरी पीढ़ी सम्मान की मशाल को जलाए हुए हैं। जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नारायण त्रिपाठी ने यह मंदिर बनवाया था। इसके लंबे समय तक वह यहां आयोजनों का जिम्मा संभालते रहे। अब उनके बाद उनके पुत्र इंजीनियर राज त्रिपाठी ने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है।

राष्ट्रीय दिवसों पर निकलती है तिरंगा यात्रा

कस्बा में देशभक्ति भावना से सभी ओतप्रोत रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर विशेष आयोजन होता है। कस्बे में तिरंगा यात्रा निकाली जाती है। देशभक्ति के नारों से गूंजती यह यात्रा शहीद मंदिर पर आकर संपन्न होती है। जहां तिरंगा फहराने के बाद शहीदों को नमन किया जाता है। युवाओं को देशभक्ति का संदेश दिया जाता है। इस तिरंगा यात्रा का नेतृत्व भी राज त्रिपाठी ही करते हैं। 

शहीद भगत सिंह के भांजे बने मेले के गवाह

इस बार बुधवार से शुरू हुए शहीद मेले में शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह भी शामिल हुए। उनके द्वारा ही मेले का शुभारंभ कराया गया। कार्यक्रम में आइपीएस विनोद मल्ल, विनायक राव टोपे, तुलसीराम, यशंवत सिंह, राहुल इंकलाब, जैस चौहान, अनिरुद्ध प्रताप सिंह और कुमार मनोज ने शिरकत की।

सुभाष चंद बोस की प्रतिमा भी हुई स्थापित

इस साल शहीद मेले की शुरुआत के साथ कस्बे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई है। शहीद दिवस वाले दिन इसका अनावरण हुआ।

सियासी हस्तियां भी झुका चुकी हैं शीश

शहीद मंदिर में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं के सामने देश की कई बड़ी सियासी हस्तियां भी अपने शीश नवा चुकी हैं। वर्ष 2005 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव यहां लगे शहीद मेले में शामिल हुए थे। तब उन्होंने मेले को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी और मेले को व्यापक रूप देने की बात भी कही थी। हालांकि इसके बाद किसी सरकार ने मेले के प्रचार-प्रसार आदि के लिए कुछ नहीं किया। शहीद मंदिर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सांसद राजबब्बर, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया आदि भी आ चुके हैं।


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