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TajMahal: पत्थर से पहले लकड़ी पर साकार हुआ था ताज, बड़ा रोचक है ये इतिहास

TajMahal संगमरमर से पहले लकड़ी का बना था ताजमहल। हुमायूं के मकबरे के आधार पर मुहम्मद ईसा ने बनाया था स्मारक का डिजाइन। भारत तुर्की समरकंद फारस बगदाद अरब के लोगों का निर्माण में योगदान। मुख्य वास्तुकार उनके सहायक को उस समय प्रतिमाह एक हजार रुपये वेतन दिया जाता था।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 07:59 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 07:59 AM (IST)
TajMahal: पत्थर से पहले लकड़ी पर साकार हुआ था ताज, बड़ा रोचक है ये इतिहास
संगमरमर से पहले लकड़ी का बना था ताजमहल!। फाइल फोटो

आगरा, निर्लोष कुमार। ताजमहल देखने ताजनगरी आने वाले दुनियाभर के सैलानी संगमरमर के बने हुए ताज के खूबसूरत माडल अपने साथ ले जाना नहीं भूलते। ताजमहल का पहला माडल संगमरमर नहीं बल्कि लकड़ी का बनाया गया था, वो भी उसके निर्माण से पहले। शहंशाह शाहजहां द्वारा माडल को अनुमोदन देने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया गया था। इसके निर्माण में भारत के अलावा तुर्की, समरकंद, फारस, बगदाद, अरब समेत कई देशों के लोगों का योगदान है। ताजमहल के मुख्य वास्तुकार और उनके सहायक को उस समय प्रतिमाह एक हजार रुपये वेतन दिया जाता था।

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लकड़ी से ताजमहल का माडल बनाने का जिक्र लेखक केसी मजूमदार ने अपनी किताब 'इंपीरियल आगरा आफ द मुगल्स' में किया है। मजूमदार लिखते हैं कि ताजमहल का डिजाइन दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे के आधार पर मुहम्मद ईसा द्वारा बनाया गया था। तुर्की के मुहम्मद ईसा अफांदी ही ताजमहल के मुख्य वास्तुकार थे। समरकंद के मुहम्मद शरीफ उनके सहायक थे। दोनों को उस समय प्रतिमाह एक हजार रुपये वेतन दिया जाता था। आगरा के मुहम्मद हनीफ ताजमहल के मुख्य अभियंता थे। ताजमहल का गुंबद तुर्की के इस्माइल खान के निर्देशन में बनाया गया था। दुनियाभर में बेमिसाल खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध ताजमहल की पच्चीकारी का काम लाहौर के मनोहर सिंह, मुल्तान के बंशीधर, कन्नौज के मोहनलाल के निर्देशन में कारीगरों द्वारा किया गया था।

ताजमहल और रायल गेट पर हो रही कैलीग्राफी का काम फारस के अमानत खान और मुहम्मद खान द्वारा किया गया था। फारसी भाषा में रही कैलीग्राफी की खासियत यह है कि नीचे से लेकर ऊंचाई तक एक समान नजर आती है, जिससे उसे पढ़ने में कोई दिक्कत महसूस नहीं होती है। दिल्ली के अब्दुल्ला, बल्ख के मुहम्मद सज्जन, मुल्तान के शकरुल्ला राजमिस्त्री और बल्देव दास, अमीर अली और मुल्तान के रोशन खान ने ताजमहल में फूलों की कार्विंग की थी। अरब के जादिर जमान खान सामान्य कारीगर थे और बुखारा के अता मुहम्मद संगतराश थे। बादशाहनामा में उल्लेख मिलता है कि मीर अब्दुल करीम और मकरामत खान की देखरेख में मकबरे का निर्माण हुआ था। ताज के निर्माण को 20 हजार मजदूरों ने काम किया था। 


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