हत्या को खुदकशी बना लगा दी एफआर
जागरण संवाददाता, आगरा: सैंया के जाजऊ में दो साल पहले रेलवे ट्रैक के पास मिले ढाबा संचालक की लाश के र
जागरण संवाददाता, आगरा: सैंया के जाजऊ में दो साल पहले रेलवे ट्रैक के पास मिले ढाबा संचालक की लाश के राज को पुलिस नहीं सुलझा सकी। परिजनों का दावा था कि मृतक के हाथ-पैर बंधे मिले थे। इसके बावजूद पुलिस ने विवेचना में मामला खुदकशी का ही माना। घटनास्थल के आसपास बिखरे खून के निशान किसी गहरी साजिश की ओर इशारा कर रह रहे थे। परिवार के लोग चीख-चीखकर हत्या का दावा कर रहे थे। वह सबूत और तथ्यों की गवाही देते रह गए। पुलिस ने इसे दरकिनार करते हुए फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी। एसपी ग्रामीण डॉ. अखिलेश नारायन का कहना है कि मामला काफी पुराना है, इसे दिखवाया जाएगा।
फ्लैश बैक
सैंया कस्बा के बघेल बस्ती निवासी 35 वर्षीय नरेंद्र बघेल पुत्र ताराचंद का सैंया चौराहे पर ढाबा था। वह 13 जनवरी 2016 की आधी रात को पत्नी शांति देवी से कुछ देर बाद आने की कहकर निकले थे। कई घंटे बाद भी नहीं लौटे तो परिजनों ने तलाश शुरू कर दी। 14 जनवरी को ग्रामीणों ने परिजनों को नरेंद्र की लाश जाजऊ रेलवे ट्रैक के पास पड़ी होने की जानकारी दी। परिजन मौके पर पहुंचे तो घटनास्थल के हालात देखकर उनको मामला हत्या का लगा।
ट्रैक के पास खेत में की हत्या
ढाबा संचालक के भाई लोकेश का दावा था कि नरेंद्र की रेलवे लाइन के पास एक खेत में हत्या की गई थी। साफी से हाथ-पैर बांधने के बाद सिर पर भारी वस्तु से प्रहार किया गया था, गले में भी रस्सी के निशान और कपड़े मिट्टी से सने थे। साजिश के तहत हत्या को हादसे का रूप देने के लिए लाश को वहां से लाकर जाजऊ रेलवे लाइन पर फेंक दिया।
इसलिए था हत्या का शक
परिजनों के मुताबिक नरेंद्र का शव दो टुकड़ों में बंट गया था। जल्दबाजी में हत्यारे मृतक के हाथ-पैर खोलना भूल गए थे। मौके पर पहुंची जीआरपी और थाना पुलिस को लाश के घसीटने के निशान भी मिले थे। आठ घंटे चला था सीमा विवाद
रेलवे ट्रैक के पास मिली लाश को लेकर सैंया थाने की पुलिस और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के बीच ठन गयी थी। जीआरपी का दावा था कि घटनास्थल खेत है, जबकि पुलिस का दावा था कि लाश रेलवे लाइन पर मिली थी, इसलिए घटनास्थल भी वही है। दोनों के बीच आठ घंटे तक विवाद चला था। समाज के नेताओं में आक्रोश व्याप्त होने पर मामला सैंया थाने में दर्ज हुआ।
परिजनों का आश्वासन देती रही पुलिस
परिजनों के मुताबिक नरेंद्र की जान लेने वालों का पता लगाने को वह नेताओं से लेकर अधिकारियों तक की चौखट के चक्कर काटते रहे। इस पर पुलिस उनको कातिल का सुराग लगाने का आश्वासन देती रही। बाद में उनको पता चला कि पुलिस ने मौत के राज पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी है।