सुपर स्पेशलिटी विंग का काम अटका, विकास कार्यो पर ब्रेक
- 200 करोड़ से बननी हैं बिल्डिंग, मिलेगा अत्याधुनिक इलाज 15 दिसंबर को होना था शिलान्यास, कई बार स्थगित हो चुका है कार्यक्रम
जागरण संवाददाता, आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज में 200 करोड़ से बनने वाली सुपर स्पेशलिटी विंग का काम अटक गया है। 15 दिसंबर को बिल्डिंग का शिलान्यास प्रस्तावित किया गया था। इसे एक बार फिर स्थगित कर दिया है। बिल्डिंग के निर्माण में 16 महीने लगने हैं।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना से 2017 में एसएन में 200 करोड़ से सुपर स्पेशलिटी विंग का प्रस्ताव पास हुआ था। 2018 का अंतिम महीना चल रहा है लेकिन बिल्डिंग का काम शुरू नहीं हो सका है। इस साल कई बार बिल्डिंग के शिलान्यास की तिथि स्थगित की जा चुकी है। 15 दिसंबर को शिलान्यास प्रस्तावित था, इसे भी स्थगित कर दिया गया है। एसएन में सुपर स्पेशलिटी विंग के लिए पुरानी ओपीडी, हृदय रोग, मानसिक रोग वार्ड को ध्वस्त कर 16967 वर्ग मीटर जमीन चिन्हित की गई है। पिछले एक महीने से कोई काम नहीं हो रहा है, जमीन को भी समतल नहीं किया गया है। प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने बताया कि जल्द ही शिलान्यास के बाद बिल्डिंग का काम शुरू किया जाएगा। 250 बेड की बननी है सुपर स्पेशलिटी विंग
सुपर स्पेशलिटी विंग में हृदय रोग, कैंसर, न्यूरो सर्जरी, पब्लिक सर्जरी सहित 15 सुपर स्पेशलिटी विंग होंगी। इसमें 250 बेड, आइसीयू में 52 बेड होंगे। वहीं, डीएम और एमसीएच की 42 सीटें, सर्जरी की तीन सीटें बढ़ जाएंगी। इसके लिए अलग से डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। झोलाछापों का जुटाया जा रहा ब्योरा : झोलाछाप द्वारा बांझपन से लेकर वजन कम करने का शर्तिया इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग झोलाछापों का ब्योरा जुटा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) प्रभारियों को झोलाछापों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
शहर के साथ ही देहात में झोलाछाप बांझपन, वजन कम करने सहित कैंसर का शर्तिया इलाज करने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए बोर्ड लगा रखे हैं, मरीजों को गुमराह कर सीरप और टेबलेट दे रहे हैं। सैंया में छापे के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महिला झोलाछाप को बांझपन का शर्तिया इलाज करते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद से झोलाछापों को चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ डॉ. मुकेश वत्स ने बताया कि सीएचसी प्रभारियों द्वारा झोलाछापों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी है। इसकी हर महीने रिपोर्ट देनी होगी। सीएमओ कार्यालय और सीएचसी पर झोलाछापों की शिकायत की जा सकती है।