सुई की चुभन का हल्का सा दर्द और बीमारी के दर्द से मिलता है आराम
इस थेरेपी से दूर हो रहीं लाइलाज बीमारी लाइलाज बीमारी को दूर कर रही सुजोक थेरेपी। बिना दवा और ऑपरेशन के किया जाता है इलाज कई गंभीर मजरे में मिलता है लाभ।
आगरा, कुलदीप सिंह। तकलीफ जब हद से अधिक बढ़ जाए और उससे पूरी तरह मुक्ति का रास्ता न मिले तो परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अगर कोई चिकित्सा पद्धति ऐसा उपचार कर दे, जिससे तकलीफ पूरी तरह खत्म हो जाए तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। ऐसी ही एक पद्धति है सुजोक, जिसके तहत एक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर आदि आते हैं। यह पद्धति कई बीमारियों का समूल नष्ट कर रोगी को चमत्कारिक लाभ देती है। आगरा में भी अब लोग परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपना रहे हैं। आजकल लोगों का रुझान वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ता जा रहा है। ऐसी ही एक पद्धति है सुजोक, जिसके तहत एक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर, कलर थेरेपी आदि आते हैं। सुजोक थेरेपी के अनुसार शरीर मुख्यत: पांच अंगों से बना है- सिर, दो-दो हाथ पांव। ये अंग शरीर के बीच के हिस्से से जुड़े होते हैं। इसी तरह हाथ के साथ हथेली होती हैं, जिसके साथ पांच-पांच उंगलियां भी होती हैं। पांव में भी ऐसी ही व्यवस्था होती है। अंगूठे एवं सभी उंगलियों में तीन-तीन जोड़ होते हैं। ऐसे ही दोनों हाथों में तीन-तीन ज्वॉइंट होते हैं- कंधा, कोहनी और कलाई। इनकी सहायता से इस बीमारी में इलाज किया जाता है।
कई प्रमुख रोगों का आसान उपचार
साइनस
साइनस की समस्या में आपकी नाक लगातार बहेगी या फिर बिल्कुल जाम हो जाएगी। नाक के कॉरेसपॉन्डिंग प्वॉइंट्स की पहचान की जाती है। फिर उस प्वॉइंट पर नीला रंग लगाया जाता है। इससे साइनस में तुरंत आराम मिलना शुरू हो जाता है।
दमा
सुजोक थेरेपी के मुताबिक फेफड़ों से जुड़े प्वॉइंट्स को ढूंढ़ कर उन्हें एक्यूप्रेशर या एक्यूपंचर से स्टिम्युलेट करते हैं।
माइग्रेन
सुजोक थेरेपी में सिर व दिमाग से संबंधित किसी भी रोग का इलाज संभव है। सिरदर्द और माइग्रेन का अधिकतर कारण गैस का बनना होता है।
अर्थराइटिस
सुजोक थेरेपी के मुताबिक मध्यमा व अनामिका उंगलियों के ज्वॉइंट से बिंदुओं की पहचान होती है। यह उंगलियां हमारे पैरों से संबंधित होती हैं। अर्थराइटिस में भी दो तरह की समस्याएं होती हैं। पहला, जोड़ों में जकड़न।
सर्वाइकल
गर्दन के ऊपर चार से छह इंच का हिस्सा सर्वाइकल रीजन कहलाता है। सुजोक में अंगूठे को पलटने पर इसके पहले जोड़ से लेकर दूसरे जोड़ तक का हिस्सा सर्वाइकल रीजन होता है। इसके बीचो-बीच मेरुदंड का प्वॉइंट है। यहां धीरे से प्रेशर देंगे तो दर्द महसूस करेंगे।
क्या है यह उपचार
ऊर्जा में आए असंतुलन को ठीक करने के अनेक तरीके हैं। जैसे सुई से, चुंबक से, बीज से, लेजर से, मॉक्सा हर्ब से, विशेष किस्म के स्प्रिंग मेटल रिंग से या जोड़ पर मसाज से सुविधा के अनुसार हाथ और पांव पर मुख्य रूप से इलाज किया जाता है। यह एक पीड़ाविहीन पद्धति है, जिसमें अधिकांश मामलों में बीज या छोटा चुम्बक समस्या से संबंधित जोड़ या क्षेत्र में टेप से चिपका दिए जाते हैं। इसमें शरीर के आगे का हिस्सा हथेली की ओर तो पीछे का हिस्सा हथेली के पीछे की ओर माना जाता है।
कैसे होता है इलाज
सुजोक में दो तरह से इलाज किया जाता है-फिजिकल और मेटाफिजिकल। फिजिकल में वह अंग आते हैं, जिन्हें हम देख सकते हैं। इन्हें हमें फिजिकल तरीके से ही स्टिम्युलेट करना होता है। मेटाफिजिकल में उन अंगों को शामिल किया जाता है, जिन्हें हम देख नहीं सकते।
इसमें हैं तरह-तरह के टूल्स
थेरेपी के लिए प्रोब या स्टिम्युलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। प्रोब से स्टिम्युलेट करने के बाद मसाजर और मॉक्सा हर्ब आदि से इलाज शुरू किया जाता है। शरीर में कहीं भी कोई दर्द या ब्लॉकेज है, जोड़ों में दर्द है, रीढ़ की हड्डी से संबंधित कोई परेशानी है या किसी भी रुकावट को पिघलाना है तो इसके लिए इस जड़ी-बूटी का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा गठिया, दमा, बंद नाक, कब्ज, एसिडिटी, मधुमेह जैसे कई रोगों में मॉक्सा हर्ब कारगर होती है।
विशेषज्ञ की राय
सुजोक थेरेपी से हार्ट की ब्लॉकेज और एचआइवी तक के मरीजों को लाभ मिल रहा है। लाइलाज बीमारी और दवाई व ऑपरेशन से छुटकारा पाने के लिए लोग इस थेरेपी को अपना रहे हैं।
राजू पोनिया, सुजोक थेरेपिस्ट
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