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Annapurna Statue: 108 साल पहले चोरी हुई मां अन्‍नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से लौटी भारत, सोरों में होगा आज स्‍वागत

अक्टूबर में तीर्थस्थल घोषित कर सूकरक्षेत्र की महत्ता को नमन कर चुके हैं सीएम योगी आदित्‍यनाथ। अन्‍नपूर्णा की मूर्ति सोरों आने के बाद यहां से शुरू होगी शोभायात्रा। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के पड़ाव से नए क्षितिज पर चमकेगी नगरी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 10:14 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 07:26 AM (IST)
Annapurna Statue: 108 साल पहले चोरी हुई मां अन्‍नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से लौटी भारत, सोरों में होगा आज स्‍वागत
मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा के स्‍वागत को तीर्थनगरी सोरों को इस तरह सजाया गया है। फोटो: जागरण

आगरा, अंबुज उपाध्याय। सन 1913 में भारत से मां अन्‍नपूर्णा की एक बेशकीमती चोरी हुई थी। चोरी होने के बाद ये विदेश पहुंच गई थी। अब 108 साल के बाद इसकी वापसी कनाडा से हुई है। ये मूर्ति सबसे पहले सोरों पर पड़ाव डालेगी, यहां से शोभायात्रा निकाली जाएगी। ये शोभायात्रा काशी में पहुंचकर स्‍थापित होगी। अब सबसे बड़ा सवाल है कि अन्‍नपूर्णा की मूर्ति की शोभायात्रा के लिए प्रमुख पहले पड़ाव के लिए सोरों को ही क्‍यों चुना है। संभवत: इसका जवाब है कि काशी में बाबा विश्वनाथ धाम का अलौकिक स्वरूप और अयोध्या में श्रीराम के भव्य व दिव्य मंदिर के शिलान्यास के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ब्रज पर बलिहारी हैं। कान्हा की नगरी मथुराी में विकास की तमाम योजनाओं की घोषणा करने के साथ ही ब्रज के ही अभिन्न अंग सूकरक्षेत्र सोरों को उसकी महत्ता के अनुरूप विकसित कराने का उद्घोष कर चुके हैं। गुरुवार को जब मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की शोभायात्रा सोरों पहुंचेगी तो ये सूकरक्षेत्र नए क्षितिज पर स्थापित हो जाएगा।

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भाजपा के एजेंडे में अयोध्या, काशी और मथुरा रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के बनारस से सांसद निर्वाचित होने और प्रधानमंत्री बनने के बाद काशी का कायाकल्प होने लगा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ तो भाजपा सरकार ने राम की इस दिव्य पौराणिक नगरी को भव्यता देने में पूरी ताकत झोंक दी है। अब बारी ब्रज की थी। ब्रज तीर्थ विकास परिषद प्रदेश में अकेली ऐसी संस्था है जिसके जरिए धार्मिक नगरी मथुरा में सुनियोजित और समेकित विकास की रूपरेखा लिखी जाती है। कासगंज जिले का सूकरक्षेत्र सोरों भी ब्रज का अभिन्न अंग है। धर्म के नजरिए से और भाजपा के संविधान के तहत भी।

सोरों को तीर्थस्थल का दर्जा अक्टूबर माह में मिला मगर, 30 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद। ये गौरव भी योगी आदित्यनाथ ने 28 अक्टूबर को प्रदान किया। पीएम के प्रयास से दो नवंबर को कनाडा से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति जब दिल्ली पहुंची तो इसे शोभायात्रा के रूप में बाबा काशीनाथ धाम के नए परिसर तक पहुंचाने का शंखनाद किया गया। यात्रा का प्रमुख और पहला पड़ाव सोरों रहेगा।

सियासी पड़ाव स्थापित करेगा शोभायात्रा का रूट

दिल्ली से चलकर शोभायात्रा गुरुवार को सोरों पहुंचेगी। शुक्रवार को एटा, मैनपुरी, कन्नौज होते हुए कानपुर जाएगी। विकास हो या विस्तार, धार्मिक आयोजन हो या सांस्कृतिक, हर सत्ता अपने राजनीतिक लाभ की संभावना अवश्य तलाशती है। राजनीति के जानकार इस शोभायात्रा को लेकर भी ऐसी ही संभावना जता रहे हैं। कहते हैं कि वर्ष 2017 के विस चुनाव से पहले सपा के गढ़ माने जाने वाले एटा, मैनपुरी और कन्नौज जिला में भाजपा की राजनीतिक स्थिति कभी मजबूत नहीं रही। इस शोभायात्रा के जरिए हजारों लोग आस्था के वशीभूत होकर जुड़ेंगे। पिछले चुनाव की तरह आगामी चुनाव में आस्थावानों का ये समर्पण लाभदायक होगा।

शोभायात्रा की ये रहेगी खासियत

-दिल्ली से रवाना शोभायात्रा को प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा गाजियाबाद के रास्ते तीर्थ क्षेत्र सोरों लेकर पहुंचेंगे।

- कानपुर और अयोध्या होते हुए शोभायात्रा 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ धाम पहुंचेगी। वहां मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

ये आस्था का विषय है। राजनीतिक नहीं, सांस्कृतिक उद्देश्य से इसे देखा जा सकता है। उप्र के जिन स्थानों को यात्रा जोड़ रही है उनका भी धर्म में अपना महत्व है। सोरों तीर्थ क्षेत्र है तो कन्नौज में माता अन्नपूर्णा का प्रसिद्ध मंदिर है। कानपुर के माता मंदिर और अयोध्या के महत्व को भी सब जानते ही हैं।

- अश्वनी त्यागी, भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं ब्रजक्षेत्र प्रभारी

मूर्ति का इतिहास

मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वर्ष 1913 में काशी से चोरी हो गई थी। अलग-अलग माध्यमों से होते हुए ये मूर्ति कनाडा के रेजिना यूनिवर्सिटी पहुंच गई थी। यहां से दो नवंबर को यह मूर्ति दिल्ली पहुंचाई गई। अब इस प्रतिमा के स्‍थापना को शोभायात्रा की शुरुआत गुरुवार से तीर्थनगरी सोरों से होगी।


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