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Vehicle Registration: टैक्स बचाने का खेल, रोकने में राज्यों की सीमाएं फेल

Vehicle Registration मप्र राजस्थान की बसाेें का उत्‍तर प्रदेश में करा रहे पंजीकरण। प्रति माह टैक्स में है चार गुने का अंतर। फर्जी एड्रेस प्रूफ के लिए यहां किराए की दुकानें लेकर एग्रीमेंट कराया जा रहा है। इस काम में भी माफिया हो गए सक्रिय।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 01:17 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 01:17 PM (IST)
Vehicle Registration: टैक्स बचाने का खेल, रोकने में राज्यों की सीमाएं फेल
आगरा-राजस्‍थान बार्डर पर फर्जी आरटीओ कार्यालय भी संचालित होता पकड़ा जा चुका है।

आगरा, अम्‍बुज उपाध्‍याय। जम्मू-कश्मीर में पंजीकृत बस फर्जी टैक्स रसीद और बिना परमिट के साथ हाल ही में आरटीओ की टीम ने एक्सप्रेस वे पर पकड़ी। इससे पहले टैक्स जमा का अनाधिकृत केंद्र सैंया में पकड़ा गया। व्यावसायिक यात्री वाहन टैक्स बचाने का खेल कर रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग और राज्य की सीमा इस खेल को रोकने में फेल हो रही हैं। मप्र, राजस्थान के वाहन टैक्स बचाने के लिए उप्र के लिए बार्डर के जिलों या दूसरे जिलों में पंजीकरण करा लेते हैं।

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आगरा, आस-पास के जिले में भी ये वाहन पंजीकृत हैं। इसके बाद देशभर में वाहन को दौड़ाते हैं। बस का पंजीकरण, परमिट लेने के बाद व्यावसायिक वाहनों को सड़कों पर दौड़ने के लिए टैक्स देना होता है। पहले रोड टैक्स, अतिरिक्त कर दो टैक्स दिए जाते थे, लेकिन अब ये जोड़ दिए गए हैं। बसों का टैक्स प्रति सीट के हिसाब से प्रति माह निर्धारित है। उप्र में 127 रुपये प्रति सीट प्रति माह टैक्स लिया जाता है, जबकि एसी बस पर इसके डेढ़ गुना टैक्स हो जाता है। मप्र में 700 रुपये प्रति माह प्रति सीट और राजस्थान में 885 रुपये प्रति माह प्रति सीट है। व्यावसायिक वाहन पंजीकृत कराने के लिए वाहन स्वामी के पास एक पंजीकृत ऑफिस संबंधित राज्य में होना चाहिए। इसके एड्रेस प्रूफ के आधार पर वाहन पंजीकरण कराया जा सकता है। इसके लिए या तो फर्जी दस्तावेज लगा दिए जाते हैं या किसी दुकान में ऑफिस बनाने के लिए 11 महीने का एग्रीमेंट करा लिया जाता है। जांच के अभाव का लाभ कॉकस उठा रहा है। माफिया इन राज्यों के वाहन स्वामियों से पंजीकरण कराने का ठेका कर लेते हैं या कुछ ट्रांसपोर्टर्स टैक्स बचाने को खुद ही कम टैक्स वाले राज्य में पंजीकरण कराते हैं। आरटीओ प्रशासन प्रमोद कुमार ने बताया कि टैक्स कम है, जिसका लाभ दूसरे राज्यों के ट्रांसपोर्टर्स उठाना चाहते हैं। पंजीकृत एड्रेस पर वाहन पंजीकरण करा सकते हैं।

आरटीओ आगरा के अनुसार ये है टैक्स के नियम

- नए वाहन का पांच वर्ष तक प्रति सीट प्रति माह 127 रुपये

- पांच से 10 वर्ष तक प्रति सीट प्रति माह 132 रुपये

- 10 वर्ष से ऊपर प्रति सीट प्रति माह 138 रुपये

- एसी बसें में ये टैक्स डेढ़ गुना हो जाएगा

- राजस्थान में 885 रुपये प्रति सीट प्रति माह

- मप्र में 700 रुपये प्रति सीट प्रति माह

ये है आंकड़ा

- आगरा संभाग में कुल जारी परमिट, 613

- आगरा से विभिन्न रूटों के लिए परमिट, 323

- स्कूलों के लिए कुल परमिट, 2882

- पांच वर्ष के लिए परमानेंट परमिट होता है जारी

- पार्टी परमिट समय अवधि के लिए होता है जारी 


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