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World Breast Feeding Week: प्रसव होने के आधे घंटे के भीतर ही करवाएं स्तनपान

कोविड-19 का संक्रमण स्तनपान से नहीं फैलता है। मां और शिशु दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ही है ये वरदान।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 10:12 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 10:12 AM (IST)
World Breast Feeding Week: प्रसव होने के आधे घंटे के भीतर ही करवाएं स्तनपान

आगरा, जेएनएन। कोविड-19 संक्रमण के दौर में बहुत सी मां इस असमंजस में हैं कि बच्‍चे को स्‍तनपान कराएं या नहीं। कहीं उनके स्‍तनपान कराने से बच्‍चे को तो कोरोना वायरस संक्रमण नहीं हो जाएगा। वहीं कुछ आधुनिक जीवनशैली में रह रहीं मां ये सोचती हैं कि स्‍तनपान कराने से उनके फिगर पर असर आएगा। ये सभी भ्रांतियां ही हैं। दरअसल कोविड-19 भी स्‍तनपान कराने से नहीं फैलेगा और न ही मां के फिगर पर इसका कोई दुष्‍प्रभाव आएगा। ये तो मां और बच्‍चे, दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहतर है।

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विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में इसकी समीक्षा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.नीरज यादव व यूनिसेफ की ममता पाल ने प्रिजेंटेशन देकर स्तनपान के महत्व को समझाया। डॉ. नीरज यादव ने बताया कि कोविड-19 का संक्रमण मांँ द्वारा बच्चे को स्तनपान कराने से नहीं फैलता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.सी. पांडेय ने इस मौके पर बताया कि अब सभी प्रसव केंद्रों पर एक घंटे के अंदर ही मांँ द्वारा बच्चे को स्तनपान कराया जाएगा। इसके लिये वार्ड में शिफ्ट होने का इंतेजार नहीं किया जाएगा ।

कार्यशाला में यूनिसेफ, डब्लूएचओ की टीम व डीपीएम कुलदीप भारद्वाज, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी अमित कुमार, डॉ. संजीव वर्मन, डॉ. यू.के त्रिपाठी, डॉ. बी.एस. चंदेल, डॉ. आर.के अग्निहोत्री, संगीता भारती, अमृतांशु, डॉ. विनय कुमार, डी.सी.पी.एम. विजय सिंह, मयूर पाल उपस्थित रहे ।

पूरे सप्ताह स्तनपान की जागरुकता के लिये हुए कार्यक्रम के तहत जिले की सभी सी.एच.सी. व पी.एच.सी. पर स्तनपान का संदेश आमजन तक पहुंँचाने के लिये आशा और ए.एन.एम. की बैठक की गई। समस्त ग्रामीण एवं शहरी आशाओं द्वारा अपने क्षेत्रों में गृह भ्रमण कर समस्त धात्री मांँ एवं परिवार के लोगों से संम्पर्क नवजात शिशु को छः माह तक केवल स्तनपान कराने के महत्व पर चर्चा की गई एवं कोविड-19 में स्तनपान कराने के लिये प्रोटोकॉल से भी अवगत कराया। प्रतिदिन एक घंटे प्रसवोत्तर वार्ड में स्तनपान और कुपोषण से बचाव के लिये जानकारी दी गई. स्तनपान के लिये प्रतिदिन विशिष्ट एक घंटे का आयोजन कराया जाये। सभी सीएचसी व पीएचसी तथा जिला अस्पताल में जहांँ पर टीकाकरण होता है, वहां शिशु की देखभाल के लिये पोस्टर व सीडी का प्रदर्शन किया गया। स्तनपान विषय पर सी.एम.ओ. कार्यालय में जनपद स्तरीय गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।

स्तनपान से शिशु को फायदे

यूनिसेफ की ममता पाल ने बताया बौद्धिक स्तर में सुधार, शिशु और मांँ के बीच जुड़ाव, दस्त रोग निमोनिया कान व गले का संक्रमण आदि का खतरा कम होता है। मांँ के दूध में बच्चों के लिए प्रोटीन वसा कैलोरी लैक्टोज विटामिन लोहा खनिज पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते हैं। मांँ का दूध पचने में त्वरित और आसान होता है। बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित करता है। बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्तनपान से नहीं फैलता कोविड-19

डॉ. नीरज यादव ने  बताया कि स्तनपान का महत्व कोविड संक्रमण के दौरान और अधिक हो जाता है क्योकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। प्रत्येक मांँ को शिशु को अवश्य स्तनपान कराना चाहिए। कोविड-19 से संक्रमित मांँ भी बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं। अभी तक किसी भी शोध में यह नहीं साबित हुआ है कि वायरस मांँ के दूध से शिशु में पहुँच सकता है। बस मां को सावधानी बरतने की आवश्यकता है जैसे शिशु को दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथों को साबुन से कम से कम ४० सेकंड तक धोना  तथा चेहरे , नाक व मुंँह पर मास्क लगाना चाहिए। यदि मांँ बीमार है और दूध पिलाने में सक्षम नहीं है तो परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से मांँ के दूध को एक साफ़ कटोरी में निकालने के बाद उसे चम्मच से पिलाना चाहिए 

स्तनपान के फायदे

-सर्वोत्तम पोषक तत्व।

-सर्वोच्च मानसिक विकास में सहायक।

-संक्रमण से सुरक्षा।

-शिशु के ठंडा होने से बचाव।

-प्रौढ़ और वृध्द होने पर उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से सुरक्षा।

मांँ के लिये भी फायेदमंद है स्तनपान

-बच्चे के जन्म के पश्चात रक्तस्राव एवं एनीमिया से बचाव।

-कारगर गर्भनिरोधक।

-मोटापा कम करने एवं शरीर को सुडौल बनाने में सहायक।

-स्तन एवं अंडाशय के कैंसर से बचाव।

-सुविधाजनक।

कृत्रिम आहार एवं बोतल से दूध पिलाने के खतरे

-पोषक तत्वों का अभाव।

-सुपाच्य नहीं।

कुपोषण एवं संक्रमण के खतरे

-दस्त, श्वांस के एवं अन्य संक्रमण होेने का खतरा।

-बौध्दिक विकास में कमी की संभावना।

-बचपन में मृत्यु की संभावना।


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