Sawan 2021: घटा की अद्भुत छटा में दर्शन देंगे ''गिरिराजजी'', जानिए क्या होंगे विशेष आयोजन
Sawan2021 एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिन दानघाटी मंदिर पर होगा विशेष आयोजन। कल हरित श्रंगार में विराजेंगे प्रभु कासगंज के भक्त तैयार करा रहे घटाओं की पोशाक। भक्त अपने आराध्य का अद्भुत रूप निहारने को बेकरार हैं।
आगरा, जेएनएन। घटाओं के दर्शन यानि एक ही रंग का अद्वितीय सौंदर्य, अद्भुत छवि, श्रृंगार पोशाक परदे और प्रसाद में एक ही रंग का प्रयोग ही गिरिराजजी के घटाओं के दर्शन की परिभाषा है। सावन के महीने में पांच दिन विभिन्न घटाओं का यह विशेष श्रृंगार होता है। एकादशी से रक्षाबंधन तक दानघाटी गिरिराजजी मंदिर पर यह खूबसूरती भक्तों को बरबस ही आकर्षित कर, दूर-दराज के भक्तों को ब्रज की पावन रज को चूमने पर मजबूर कर देगी। कलियों को प्रभु के श्रृंगार में शामिल किया जाएगा।
बुधवार से रविवार तक पांच दिन दानघाटी मंदिर में घटा दर्शन का आयोजन होगा। मंदिर व्यवस्था से जुड़े अशोक पुरोहित ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल यह आयोजन नहीं हो पाया था, लेकिन इस बार भक्तों को परंपरागत दर्शनों का लाभ मिल सकेगा। कासगंज के श्याम लाल द्वारा पांच रंग की पांच पोशाक तैयार कराई गई हैं। पुजारी मुकुट कौशिक ने बताया कि पांच दिनों तक गोवर्धन महाराज के श्रृंगार के लिए घटाएं सजाई जाएंगी। गिरिराजजी के साथ मंदिर परिसर भी एक ही रंग में रंगा होगा। रंग विशेष के पर्दे, पोशाक, जेवरात के साथ ठोड़ी पर सजा लाल रंग का हीरा प्रभु की झांकी को एकटक निहारने पर मजबूर करेगा। गिरिराजजी के अद्वितीय श्रृंगार के लिए जेवरात का प्रयोग कर झांकी को अद्भुत बनाने का प्रयास किया जाता है। घटाओं के श्रृंगार में एकादशी बुधवार को हरे रंग की तो पूर्णिमा रविवार को सफेद रंग की घटाएं सजाई जाएंगी। विभिन्न प्रजातियों के पुष्पों से प्रभु का श्रृंगार और उनके स्थल को खूबसूरती दी जाएगी। हालांकि सावन महीना होने के कारण हरियाली का प्रयोग रोजाना किया जाएगा।
यूं होते हैं घटा के दर्शन
सेवायत समाज के परीक्षित कौशिक ने बताया कि विशेष श्रृंगार में पांच चुनिंदा हरा, केशरिया, लाल, सफेद और काला रंग का प्रयोग किया जाता है। घटा दर्शन में जब पीले रंग के विशेष दर्शन होते हैं, तो इसमें गिरिराजजी पीले हरे रंग की पोशाक धारण करते हैं। स्वर्ण मुकुट के साथ पीली कलियां और पुष्प पीली घटा एहसास कराते हैं। मस्तक पर सजा कस्तूरी तिलक और गालों पर चंदन भी पीले रंग का होता है। प्रभु के प्रसाद में पीले रंग की वस्तुओं को वरीयता दी जाती है, यहां तक कि दूध को भी केसर डालकर पीले रंग में परिवर्तित कर दिया जाता है। श्रृंगार में घटा अनुसार ही उसी रंग के जेवरात प्रयोग में लाए जाते हैं। पुष्प महल में भी खास रंग का प्रयोग होगा, मानो ब्रज वसुंधरा एक ही रंग में रंग गई हो