खुली खिड़की: साहब का सारथी बजा रहा था हूटर, पकड़ा तो लगा गिड़गिड़ाने Agra News
सरकारी महकमे में तमाम ऐसी बातें होती हैं जो अंदर ही अंदर चर्चा का मुद्दा बन जाती हैं। ऐसी ही चटपटी बातों के कुछ अंश आपके लिए।
आगरा, गौरव भारद्वाज। साहब से ज्यादा, सारथी जलवा गांठते हैं और फंसने पर साहब को भी शर्मिंदा करा देते हैं। यही हुआ। मामला लौहपथगामिनी में सुरक्षा वाले सीनियर साहब का है। साहब की गाड़ी दौड़ रही थी और उसका हूटर सांय सांय कर रहा था। एमजी रोड पर हूटर की आवाज सर्किल वाले आइपीएस के कान तक पहुंची। साहब ने तुरंत 'सैनिक' भेजे। थोड़ी देर बाद सैनिक 'सारथी' को लेकर हाजिर हुए। पता चला कि गाड़ी में साहब नहीं थे, तब भी सारथी हूटर का इस्तेमाल कर जलवा गांठ रहा था। सर्किल वाले साहब ने डपटा तो सारथी गिड़गिड़ाने लगा। आइंदा हरकत से तौबा की। गलती मानी, माफी मांगी लेकिन आइपीएस नहीं पसीजे। सुरक्षा वाले साहब का फोन आया तो भी आइपीएस टस से मस न हुए। चालान कट ही गया। अब मामले के निस्तारण की जिम्मेदारी सुरक्षा वाले साहब ने अपने जूनियर अफसर को सौंप दी है।
ठेका लेकर दिखाया ठेंगा
सरकारी काम सरक सरक कर ही चलता है। कभी आदतन तो कभी इरादतन। यही रेलवे में हो रहा है। आगरा कैंट स्टेशन पर सामान का 'एक्सरे' करने वाली मशीन आए दिन खराब हो जाती है। इस समय भी खराब है। यह मशीन अच्छा-खासा भुगतान कर लगवाई गई थी। इस बार जब मशीन खराब हुई तो 'डॉक्टर' साहब को बुलाया गया। डॉक्टर यानी मशीन की मेंटीनेंस का ठेका लेने वाले। पर, डॉक्टर चेकअप के लिए आ ही नहीं रहे। अधिकारी 'डॉक्टर' को घंटी मार-मारकर थक गए, लेकिन डॉक्टर साहब तो जैसे फीस मिलने के बाद मशीन को भूल ही गए। अब स्टेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले सुरक्षा और सुरक्षा वाले मंडल के अफसरों की तरफ गेंद उछाल रहे। इनके बीच मशीन की बीमारी फुटबाल बनी है। अंदर की बात यह है कि मशीन की देखरेख का ठेका लेने वाली कंपनी ने अफसरों को ठेंगा दिखा दिया है।
'विभीषण' तलाश रहे साहब
लौहपथ गामिनी के बड़े ठहराव स्थल पर सामान्य से हटकर कुछ भी घटता है तो साहब से पहले उसकी जानकारी खबरनवीसों तक पहुंच जाती है। सुबह-सुबह जब अखबार के जरिए सुरक्षा वाले साहब को इसकी जानकारी होती है तो वह परेशान हो उठते हैं। उनकी समझ नहीं आ रहा है कि घर का भेदिया कौन है। कौन विभीषण है, जो सारे राज खेमे से बाहर भेज रहा है। ऐसे में उन्होंने घर के भेदी का पता लगाने के लिए अपने खास कारकूनों को जिम्मेदारी सौंपी है। साहब की खास टोली ने अपना काम शुरू कर दिया है। किसके पास कौन बैठ रहा है, कौन किसको फोनिया रहा है, सीट से उठकर कौन इधर-उधर कोने में सटा है, इस सबकी जानकारी ऊपर तक दी जा रही है। साहब की टोली की नजर से बचने के लिए महकमे के 'विभीषण' आजकल खबरचियों की पकड़ से बाहर बने हैं।
तीसरी आंख की रेंज
लौहपथ गामिनी के बड़े वाले ठहराव स्थल आगरा कैंट में पर्यटकों को लपकने वालों पर सुरक्षा वाले साहब तीसरी आंख से नजर रखे हैं। ऐसे में खाकी और यात्रियों को लपकने वालों का तालमेल गड़बड़ा गया है। सात समंदर पार के लोगों को लेकर आने वाली लौहपथ गामिनी जब आती है तो 'लपका गैंग' सक्रिय हो जाता है, लेकिन साहब के डर के चलते खाकी अपना याराना नहीं निभा पा रही। साहब के डर से गैंग को इधर-उधर करना होता है। अब गैंग ने इसका रास्ता खोज लिया है। तीसरी आंख की रेंज नाप ली गई है। अब यह लपका गैंग रेंज से बाहर ही सक्रिय होता है। याराना निभाने में खाकी को भी परेशानी नहीं हो रही। रेंज के बाहर दोनों की दोस्ती भी परवान चढ़ रही है। साहब को भनक न लगे, इसका भी ख्याल रखा जा रहा है। धंधा फिर से चालू है।