कुदरत रूठी पर ममता नहीं छूटी, 'बाई' बन गई मां, जानिए क्या है अनूठे रिश्ते की अनूठी दास्तां
जगदीशपुरा निवासी मुकेश बाई किन्नर ने गोद ली बेटी सामाजिक समस्याओं का करती हैं निपटारा।
आगरा, सुबान खान। तीन विभागों की समन्वित योजना को सरकारी अमला भले ही जमीनी हकीकत नहीं बना सका लेकिन एक ‘थर्ड जेंडर’ ने इसे फलीभूत कर दिया है। समाज की समस्याओं के निपटारे को ताली बजाने वाली दृढ़ निश्चयी मुकेश बाई को छह साल पहले जब एक मंदिर में नवजात मिली तो उनका दिल दरिया बन गया। वैसे तो उन्हें हर गली में ‘बुआ’ के नाम से पुकारा जाता है लेकिन अब वह मां बन गई हैं। ममता के आंचल में यह मासूम सिर्फ पल नहीं रही, पढ़ भी रही है। मां मुकेश का सपना है कि वह बढ़ी होकर डॉक्टर बने। कहना गलत न होगा कि ममता किसी रिश्ते या किसी रक्त संबंध की मोहताज नहीं होती।
बालिकाओं के संरक्षण और उन्हें सशक्त बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रलय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय और मानव संसाधन विकास मंत्रलय समन्वित रूप से ‘बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ’ योजना चला रहे हैं। विभागों की योजना हकीकत से ज्यादा कागजों में दौड़ रही हैं। इसके उलट जगदीशपुरा निवासी मुकेश बाई किन्नर तो मानो इस योजना की ब्रांड एंबेसडर ही बन गई हैं। मुकेश बाई ने आवास विकास कॉलोनी सेक्टर आठ के पार्क में 2012 में मंदिर बनवाया था। वह रोजाना शाम को मंदिर पर जाने लगीं। लगभग छह महीने बाद एक दिन पास ही एक नवजात बालिका लावारिस पड़ी मिली। क्षेत्र के लोगों ने उसे मुकेश बाई को सौंप दिया। उन्होंने बताया कि बच्ची की डॉक्टरों से जांच कराई तो उन्होंने बताया कि वह मात्र 12 घंटे की है। बच्ची के गोद में आते ही उनके दिन में मातृत्व जाग उठा। कुदरत को शायद उन्हें इसी रास्ते मां बनाना था। रातभर बच्ची ने उन्हें सोने नहीं दिया और यहीं से उसे कलेजे से दूर न करने का अहसास उनके दिल में आया। 54 वर्ष की उम्र में बच्ची का ख्याल रखना मुश्किल बना, लेकिन नामुमकिन नहीं। छह वर्ष आंगन में किलकारियां भरने वाली सोनिया अब बड़ी हो गई है। लेकिन वह मां के बिना नहीं रह पाती है। दोनों के बीच का रिश्ता देखकर लगता ही नहीं कि कोई खून का रिश्ता इनके बीच नहीं है। दोनों की जान जैसे एक दूसरे में बसती है। आसपास के लोग भी इनके इस रिश्ते को देखकर हैरानगी में रहते हैं।
डॉक्टर बनाने का सपना
मां मुकेश बाई बताती हैं कि सोनिया कक्षा एक में पढ़ती हैं। एपीएस में पढ़ने वाली सोनिया को वह डॉक्टर बनाना चाहती हैं। वे बताती हैं कि कुछ समय पहले बीमार होने पर एक अस्पताल में बेहतर इलाज नहीं मिला था, तभी से बच्ची को डॉक्टर बनाने की ठानी है।
गरीब परिवारों की लड़कियों की कराई शादी
जजमानों के लिए दुआ करने वाली मुकेश बाई ने जगदीशपुरा में कई गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी में आर्थिक मदद की है। सामूहिक विवाह सम्मेलन भी आयोजित किया है। वह सामाजिक समस्याओं का निपटारा भी करती हैं। मुहल्ले में अगर कहीं झगड़ा होता है तो वह मध्यस्थ की भूमिका में रहती हैं। क्षेत्र के लोगों के काम अगर नगर निगम और अन्य विभागों में नहीं होते तो वह उनके साथ भी जाती हैं और ताली बजाकर कर्मचारियों को काम करने को मजबूर कर देती हैं।