Move to Jagran APP

आलू के मुनाफे से मिटी घाटे की टीस, किसानों के चेहरों पर रौनक

आगरा: कहते हैं कि आलू की मार से सिर्फ आलू ही उबार सकता है। पिछले कुछ सालों से लगातार घाटा

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 08:00 AM (IST)
आलू के मुनाफे से मिटी घाटे की टीस, किसानों के चेहरों पर रौनक
आलू के मुनाफे से मिटी घाटे की टीस, किसानों के चेहरों पर रौनक

आगरा: कहते हैं कि आलू की मार से सिर्फ आलू ही उबार सकता है। पिछले कुछ सालों से लगातार घाटा उठा रहे आलू किसानों को इस बार आलू ने बड़ी राहत दी। आलू की लागत जरूर बढ़ी लेकिन प्रति हेक्टेअर उत्पादन भी बढ़ गया। बाजार में किसानों को अच्छे भाव भी मिले और जिससे पिछले नुकसान की भरपाई हो गई। अब जब दूसरे राज्यों का आलू आने का समय आ रहा है, तब भी शीतगृहों में बड़ी मात्रा में आलू का भंडारण है। किसान अभी भी कीमत बढ़ने की आस में आलू नहीं निकाल रहे हैं। आलू की स्थिति को लेकर जेएनएन की विशेष रिपोर्ट।

loksabha election banner

-------------

किसानों के लिए अभी भी राहत आगरा: तीन साल से नुकसान झेल रहे आलू किसानों को इस बार राहत मिली है। दाम तो ऊंचे मिल ही रहे हैं, साथ ही दूसरे राज्यों की फसल में देरी होने के कारण फिलहाल मांग भी नहीं घटनी है। वहीं शीतगृह में कुल भंडारित 75 फीसद आलू में से 60 फीसद की निकासी भी हो चुकी है। बचे हुए में से 15 फीसद बीज के रूप में प्रयोग होना है।

जिले में 72 हजार हेक्टेयर में आलू का उत्पादन होता है। पानी की कमी के कारण किसान आलू की फसल को ही महत्व देते हैं, लेकिन बंपर पैदावार और दाम गिरने के कारण मुश्किल होती है। पिछले तीन साल में तो मौसम की मार ने किसानों को बर्बादी की स्थिति में पहुंचा दिया था। किसानों ने उबरने की कोशिश की तो दूसरे राज्यों की फसल और बाजार में भाव की कमजोरी ने उन्हें पीछे कर दिया था। इस बार बारिश के कारण पूर्वी उप्र और पंजाब की फसल कुछ देरी से आने की संभावना है। इससे बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा नहीं होगी और किसानों को बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को निकासी में निरंतरता रखनी होगी। दाम बढ़ने का इंतजार करते-करते कहीं दूसरे राज्यों का आलू नहीं आ जाए।

---

आलू का दाम इस समय बाजार में ऊंचा है। किसानों को निकासी रोकनी नहीं चाहिए। दूसरे स्थानों की नई फसल बाजार में आने के बाद उसी की मांग होती है। ऐसे में किसानों को मुश्किल आ सकती है।

कौशल कुमार, उप निदेशक उद्यान

---

30 नवंबर को बंद हो जाएंगे शीतगृह

शीतगृह का संचालन 15 फरवरी से 30 नवंबर के मध्य होता है। गत वर्ष निकासी नहीं हो पाने के कारण एक महीने का अतिरिक्त समय प्रशासन की ओर से दिलाया गया था। इस दौरान शीतगृह की सफाई, तकनीकि कार्य होता है।

---

240 कुंतल उत्पादन की भेजी रिपोर्ट

उद्यान विभाग ने शासन को इस वर्ष 240 कुंतल प्रति हेक्टेयर में उत्पादन की रिपोर्ट भेजी थी। गत वर्ष 260 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन का उत्पादन हुआ था। इसके बाद मांग भी घट गई थी। भाड़ा भी निकल पाने के कारण किसान आलू को फेंकने को मजबूर हो गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.