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Agra Footwear Industry: जूता निर्यातकों के लिए बढ़ा संकट, एक वर्ष में तीन गुना हो गया कंटेनर का भाड़ा

ताजनगरी से जूते का निर्यात यूरोपीय व अमेरिकी देशों को किया जाता है। हैंडीक्राफ्ट्स आइटम का निर्यात अमेरिका व अन्य देशों को होता है। कोरोना काल में आयात-निर्यात में गिरावट से कंटेनर की उपलब्धता कम। आर्डर कम होने से भी अधिक पड़ रहा है भाड़ा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 12:03 PM (IST)
Agra Footwear Industry: जूता निर्यातकों के लिए बढ़ा संकट, एक वर्ष में तीन गुना हो गया कंटेनर का भाड़ा
आगरा फुुटवियर निर्यातकों के सामने दुश्‍वारियां खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण काल में निर्यातकों के लिए संकट बढ़ गया है। यूरोपीय बाजारों के बंद होने से आर्डर पहले से ही कम था, दूसरे एक वर्ष में कंटेनर के तीन गुना हुआ भाड़े ने उनकी दुश्वारियां और बढ़ा दी हैं। आर्डर कम हैं और भाड़ा बढ़ने से माल का निर्यात करना महंगा हो गया है।

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आगरा से जूते का निर्यात यूरोपीय व अमेरिकी देशों और हैंडीक्राफ्ट्स आइटम का निर्यात अमेरिका व अन्य देशों को किया जाता है। निर्यातक कंटेनरों के माध्यम से मुंबई के मेवासिवा पोर्ट और गुजरात के मुंदरा पोर्ट भेजेे जाते हैं। वहां से शिप के द्वारा गंतव्य को माल भेजा जाता है। निर्यातकों की मानें तो वर्ष 2020 में चीन से जो कंटेनर 900 डालर में आ रहा था, वो अब करीब 3200 डालर में आ रहा है। तुर्की को जाने वाले कंटेनर का भाड़ा 700 डालर से बढ़कर 1700-1800 डालर हो गया है। स्पेन भेजे जाने वाले कंटेनर का भाड़ा 800 डालर से बढ़कर 1500 डालर हो गया है। मार्च, 2020 में यूरोपीय देशों के लिए कंटेनर का भाड़ा 1518 डालर का था, अप्रैल, 2021 में यह बढ़कर 3950 डालर का हो गया। भाड़ा बढ़ने से माल भेजना महंगा हो गया है। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की प्रशासनिक समिति के सदस्य रजत अस्थाना ने बताया कि कंटेनर के भाड़े में निरंतर उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इसकी मुख्य वजह कंटेनर की उपलब्धता कम होना है। जूता निर्यातकों की संस्था आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर (एफमेक) के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि आयात व निर्यात कम होने की वजह से माल की आवाजाही कम है। कंटेनर कम होने व शिप पर लोड कम होने की वजह से भी भाड़ा बढ़ा है। पूर्व की अपेक्षा मांग कम होने से कंटेनर में कम माल जा रहा है, जिससे भाड़ा बढ़ रहा है। 


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