Shani Amavasya 2021: इस विशेष योग कल मनाई जाएगी शनि अमावस्या, जानिए किन दोषाें में मिलती है राहत
Shani Amavasya 2021 अमावस्या तिथि दोपहर 113 बजे तक रहेगी। इस दिन शनि पूजा से पितृ दोष साढ़े साती संतान हीन योग व राहु के दुष्परिणामों से छुटकारा मिलता है। शनि अमावस्या पर पड़ने वाला ग्रहण भारत मे दिखाई नही देगा।
आगरा, जागरण संवाददाता। अगहन अमावस्या शनिवार 4 दिसंबर को मनाई जाएगी। ये अमावस्या शनिवार को होने के कारण शनिचरी अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा ने बताया कि इस दिन चतुर्ग्रही योग भी बनेगा। जिसमें सूर्य, चंद्र, बुध एवं केतु मंगल की राशि वृश्चिक में विराजमान रहेंगे। अमावस्या तिथि दोपहर 1:13 बजे तक रहेगी। इस दिन शनि पूजा से पितृ दोष, साढ़े साती, संतान हीन योग व राहु के दुष्परिणामों से छुटकारा मिलता है।
शनि अमावस्या पर पड़ेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण
शनि अमावस्या पर पड़ने वाला ग्रहण भारत मे दिखाई नही देगा। इसका यम-नियम सूतक नही लगेगा। खगास सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र, साउथ अफ्रीका के दक्षिण भाग में दृश्य होगा। ग्रहण का भारतीय समय में स्पर्श दिन में 10:49 बजे से एवं मोक्ष दिन में 03:07 बजे होगा। इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से भारत मे कोई महत्व नही है।
शनि अमावस्या का महत्व
शनिदेव को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर दण्ड और फल प्रदान करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि पर शनिवार के दिन ही हुआ था। उनके नाम के कारण ही इस दिन को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सूर्य देव शनिदेव के पिता हैं लेकिन उनकी उपेक्षा के कारण शनिदेव उनसे नारज रहते हैं। ऐसे में शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग अति विशिष्ट माना जाता है। इस दिन शनि पूजा करने से कुण्डली में व्याप्त शनिदोष समाप्त होता है।
शनि अमावस्या के उपाय
जिन लोगों की कुण्डली में शनिदोष व्याप्त हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के मंदिर जाकर काले तिल और सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें। इस दिन शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल दिया जला कर उनके बीज मंत्र का जाप करें। इस दिन पीपल के पेड़ पर काले तिल और जल अर्पित करने से भी शनिदोष दूर होता है।