नेशनल क्रिकेट खिलाड़ी के साथ शर्मनाक रवैया, ऐसे तो प्रतिभाएं तोड़ जाएंगी दम Agra News
महाराष्ट्र में यूपी की टीम से नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने गए देव कुशवाहा ने सुनाई आपबीती। ट्रेन में फर्श पर किया सफर वापस लौटे तो देना पड़ा फाइन भी ।
आगरा, जागरण संवाददाता। देश और प्रदेश में खेल को आगे बढ़ाने के सरकार लगातार दावे कर रही है। लेकिन जिला व प्रदेश स्तर ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों के साथ भी ऐसे बर्ताव सामने आते रहें हैं जिससे परिजन अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने का विचार एक बार फिर त्याग देते हैं। एक ऐसा ही मामला यूपी की अंडर-14 टीम के खिलाड़ी आगरा के देव कुशवाहा ने महाराष्ट्र से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर लौटने पर बयां किया है।
23 फरवरी से एक मार्च तक महाराष्ट्र के जिला कोपरगांव में अंडर-14 राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग लेने गई यूपी की टीम में आगरा से एक मात्र खिलाड़ी देव कुशवाहा भी शामिल रहा। देव ने बताया कि कोपरगांव को जाने वाले ट्रेन में हमारी टीम के स्लीपर के टिकट थे लेकिन टिकट कन्फर्म न होने की वजह से सभी ने स्लीपर के फर्श पर सफर किया। यहां तक तो ठीक था लेकिन लौटते वक्त कोच व टीम मैनेजर कमल कुमार और कोच अनुराग मिश्रा ने प्रयागराज व लखनऊ के खिलाडिय़ों को अपने साथ ट्रेन में ले गए। वहीं देव व उन्नाव के खिलाड़ी ध्रुव को 200-200 रुपये दे दिए और कहा कि आगरा की ओर जाने वाली ट्रेन से चले जाना। ऐसे में इन खिलाडिय़ों की जनरल की एक टिकट ही 315 रुपये की थी और इन दोनों खिलाडिय़ों को रास्ते में खाने के लिए भी कुछ नहीं दिया गया। खुद से अतिरिक्त रुपये डालकर टिकट खरीदकर यह ट्रेन तक आए तो जनरल बोगी में जगह नहीं मिली। स्लीपर बोगी में चढ़ गए। रास्ते में स्लीपर बोगी में सफर करने का फाइन भी दोनो खिलाडिय़ों ने खुद से ही दिया।
एक भी मैच में नहीं किया शामिल
देव ने बताया कि 16 सदस्यीय टीम में प्रतियोगिता के दौरान उन्हेंं एक भी मैच में प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी। जबकि बेहतर प्रदर्शन के दम पर उन्हें इस प्रतियोगिता के लिए चुना गया था। वहीं प्रयागराज व लखनऊ के सभी खिलाडिय़ों को प्रत्येक मैच में शामिल किया गया। देव ने बताया कि हमें लौटने के लिए 200-200 रुपये देते वक्त भी कोच व मैनेजर ने यह नहीं सोचा कि इतने कम रुपये में हम आगरा तक कैसे पहुंचेंगे।
दिल्ली की टीम का फ्लाइट से आना जाना
यूपी के इन खिलाडिय़ों को भले ही स्लीपर के फर्श पर सफर करना पड़ा हो और फाइन तक दिया हो पर इसी प्रतियोगिता में दिल्ली की टीम फ्लाइट से ही गई और फ्लाइट से ही आई। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश में खिलाडिय़ों के लिए जो बजट था उसे कौन हजम कर रहा है।
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इसके लिए हम अपने स्तर से कुछ नहीं कर सकते है। इसके लिए राज्य विद्यालय क्रीड़ा संस्थान, फैजाबाद की जिम्मेदारी है।
मुकेश अग्रवाल, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक