सूली पर चढ़ने को तीन सौ मीटर चलेगी शबनम, तारीख मुकर्रर होने का है जेल प्रशासन को इंतजार
मथुरा जिले जेल की महिला बैरक में रहेगी अकेली जेल प्रशासन कर रहा आदेश का इंतजार। उत्तर प्रदेश में महिला फांसी घर मथुरा जिला कारागार में ही है। जिला कारागार में शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारियां पूरी हैं।
आगरा, जेएनएन। बावनीखेड़ा (अमरोहा) कांड की खलनायिका शबनम के जिला कारागार आने की अभी तारीख तय नहीं हुई है। यहां आने पर उसको जहां रखा जाएगा, वहां से शबनम और सूली के बीच तीन सौ मीटर की दूरी रहेगी। उसे महिला बैरक में ही बने एक कक्ष में अलग रखा जाएगा। सूली पर लटकाने के लिए उसको पैदल यह दूरी तय करनी होगी। इस पूरे रास्ते पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए जाएंगे।
बावनीखेड़ा (अमरोहा) के मास्टर शौकत अली परिवार का नरसंहार करने वाली उसकी बेटी शबनम को फांसी की सजा हो गई है। फांसी के फंदे से बचने के लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा से दया याचिका भी दाखिल कराई है। मगर, आज तक उसको सूली पर लटकाने के फरमान में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जिस दिन उसको फांसी देने का वारंट सेशन कोर्ट जारी कर देगा। उसके बाद शबनम मथुरा आ जाएगी। उत्तर प्रदेश में महिला फांसी घर मथुरा जिला कारागार में ही है। जिला कारागार में शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारियां पूरी हैं। उसके आने का इंतजार जेल प्रशासन कर रहा है। जेल सूत्रों का कहना है कि डेथ वारंट पर जो समय और तारीख मुकर्रर होगी। उसी दिन उसको मेरठ का पवन जल्लाद शूली पर चढ़ा देगा। शूली पर चढ़ने से पहले शबनम को महिला बैरक में बने एक कक्ष में अलग रखा जाएगा। महिला बैरक से लेकर फांसीघर तक की दूरी करीब तीन सौ मीटर है। उसको बैरक से फांसीघर तक पैदल ले जाया जाएगा।
खंगाला पुराना रिकार्ड
जेल में 1930 से अब तक बंद रहे बंदियों का रिकार्ड है। इस बीच किसी महिला को फांसी होने की जानकारी के लिए जेल प्रशासन ने पुराना रिकार्ड खंगाल लिया। जेल प्रशासन को ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिला, जिसमें महिला को फांसी दी गई हो।