Shri Krishna JanamBhoomi Case: अब इतिहास के पन्नों से अदालत में किया दावा, मूर्तियों काे बताया आगरा किला में दबा हुआ
Shri Krishna JanamBhoomi Case श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में कई किताबों का अदालत में दिया गया हवाला। आगरा किला की मस्जिद में सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबी होने का किया गया दावा। शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर 13.37 एकड़ की पूरी जमीन ठाकुर केशव देव को सौंपने की मांग की है।
आगराए जेएनएन। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में दायर वाद में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने केशव देव मंदिर तोड़े जाने के बाद प्रतिमा और विग्रह आगरा किला की छोटी मस्जिद की सीढ़ियों में दबाने का जो तर्क अदालत में पेश किया है, उसके पीछे कई किताबों का हवाला भी दिया है। अदालत से मांग की है कि प्रतिमा और विग्रह मस्जिद से निकलवाकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में ही सुरक्षित रखे जाएं।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर कर रखा है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर 13.37 एकड़ की पूरी जमीन ठाकुर केशव देव को सौंपने की मांग की है। पिछले दिनों अदालत में उन्होंने एक प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत किया, जिसमें कहा कि मुगलकाल में औरंगजेब ने केशव देव मंदिर तोड़कर उसकी मूर्तियां और विग्रह आगरा किला के दीवाने खास स्थित छोटी मस्जिद की सीढ़ियों में दबवा दी थीं। इन्हें वहां से निकलवाया जाए। महेंद्र प्रताप ने अदालत में इसे लेकर किताबी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। महेंद्र प्रताप बताते हैं कि पुरातत्व संग्रहालय मथुरा के अध्यक्ष रह चुके कृष्ण दत्त बाजपेयी ने 1955 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ब्रज का इतिहास के प्रथम खंड में केशव देव मंदिर को तोड़े जाने का जिक्र किया है। पुस्तक के पृष्ठ संख्या 163 में इस बात का उल्लेख है कि मंदिर में तोड़फोड़ के बाद बहुमूल्य रत्न जड़ी छोटी-बड़ी मूर्तियां आगरा ले जाई गईं और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दी गईं।
जबकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व साहित्यकार प्रोफेसर चिंतामणि शुक्ल ने 1983 में प्रकाशित अपनी पुस्तक मथुरा जनपद का राजनैतिक इतिहास के पृष्ठ संख्या 31 में लिखा है कि मथुरा का मंदिर तोड़ने के बाद उसकी छोटी-बड़ी मूर्तियां ले जाई गईं और आगरा के कुदसिआ बेगम की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दी गईं। महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि उन्होंने अदालत में प्रसिद्ध साहित्यकार प्रभु दयाल मीतल की पुस्तक ब्रज के धर्म संप्रदायों का इतिहास में भी इस बात का जिक्र है। अदालत में इस पुस्तक को भी रेखांकित किया गया है।