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आगरा में आज से खुल गए छठवीं से आठवीं तक के स्‍कूल, कहीं पहुंचे एक दो बच्चे तो कहीं होता रहा इंतजार

तीन दिन से बंद विद्यालयों में नहीं हो सकी सफाई और सैनिटाइजेशन। विद्यार्थियों को नियमों के अंतर्गत बुलाकर कराया जाएगा शिक्षण कार्य। कांवेंट स्‍कूल्‍स में पेरेंट्स अभी नहीं भेजना चाहते हैं छोटे बच्‍चों को। बच्‍चों की वैक्‍सीन लग जाने के बाद भेजने का है इरादा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 10:39 AM (IST)
आगरा में आज से खुल गए छठवीं से आठवीं तक के स्‍कूल, कहीं पहुंचे एक दो बच्चे तो कहीं होता रहा इंतजार
खुल गए स्‍कूल...स्‍कूल में शिक्षक तो पहुंच गए लेकिन पहले दिन स्‍टूडेंट्स नहीं आए।

आगरा, जागरण संवाददाता। मंगलवार से कक्षा छठवीं से लेकर आठवीं तक के स्कूल भी खुल गए। निजी स्कूलों में तो विद्यार्थी पहले दिन आना शुरू हो गए लेकिन परिषदीय विद्यालयों में महज कुछ स्कूलों में ही विद्यार्थी पहुंचे अन्य जगह पर उनके पहुंचने का इंतजार होता रहा।

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स्थिति यह थी कि शिक्षक सुबह 8:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक विधार्थियों के आने का इंतजार करते रहे। छात्रों को बुलाने के लिए फोन किए गए, कुछ शिक्षक तो बुलाने घर तक गए लेकिन फिर भी मामूली विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचे हैं। उम्मीद है कि बुधवार से उनके आने की शुरुआत होगी। सिकंदरा स्थित उच्च प्राथमिक कन्या विद्यालय है। लेकिन यहां साफ-सफाई के नाम पर कुछ नहीं। स्कूल के गेट पर थाने की गाडियां खड़ी हैं। सैनिटाइजेशन के नाम पर भी वहां कोई कवायद नहीं की गई। वहीं छीपीटोला चौराहा स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय।यहां पिछले तीन दिन से कोई साफ-सफाई नहीं हुई। परिसर में गंदगी और पेडों के पत्ते पड़े थे। सैनिटाइजेशन के नाम पर कुछ नहीं था।

क्‍लास में पहले दिन पहुंचे सिर्फ दो छात्रों को पढ़ातीं शिक्षिका। 

यह सिर्फ इन्हीं दो परिषदीय विद्यालयों की नहीं, बल्कि जिले के सभी उच्च प्राथमिक विद्यालयों के यही हालात है। कोरोना संक्रमण में थोड़ी राहत मिलने के साथ ही मंगलवार से कक्षा छठवीं से आठवीं तक की कक्षाएं भी शुरू हो रही हैं। लेकिन विद्यार्थियों को परिषदीय विद्यालय गंदे ही मिलेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले तीन दिनों से बंद स्कूलों में न साफ-सफाई हुुई, न ही सैनिटाइजेशन कराया गया।

यह हाल तब है, जब शासन ने बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी विद्यालय खोलने के लिए बाकायदा लंबे-चौड़े दिशा-निर्देश जारी किए, लेकिन हालात यह है कि पिछले साढ़े पांच महीनों से बंद जिले के एक भी परिषदीय स्कूल में न तो साफ-सफाई हुई और न ही परिसर को सैनिटाइज कराया गया।

जारी किए हैं निर्देश, कराएंगे पालन

यह स्थिति लगभग सभी स्कूलों की है। हालांकि प्रभारी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ब्रजराज सिंह का कहना है कि उन्हें स्थानीय स्तर पर भी निर्देश जारी किए हैं, जिनका अनुपालन स्कूलों में किया जाएगा। मंगलवार सुबह ही विद्यालयों में साफ-सफाई कराई जाएगी, जो त्योहार के कारण नहीं हो पाई। अभिभावकों की अनुमति से विद्यार्थी विद्यालय आएंगे और शिक्षण कार्य शुरू होगा।

एमजी रोड स्थित सेंट पॉल्‍स, यहां भी बहुत कम स्‍टूडेंट्स पहुंचे। 

निजी स्कूलों में भी तैयारी

वहीं निजी विद्यालयों ने भी कक्षा छठवीं से आठवीं तक की कक्षाएं शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है। 50 फीसद विद्यार्थियों को ही बुलाया जाएगा। हालांकि इन स्‍कूलों में ज्‍यादातर अभिभावक अपने बच्‍चों को अभी भेजने को तैयार नहीं हैं। शहर के प्रमुख स्‍कूल में अनुमति पत्र जमा कराने को कहा गया था, 64 बच्‍चों की क्‍लास में सिर्फ पांच ही अभिभावकों ने रजामंदी जताई है। यही हाल दूसरे स्‍कूलों का भी है।

यह हैं निर्देश

- विद्यालय परिसर और शौचालय साफ-सफाई कराई जाएगी।

- विद्यार्थियों की थर्मल स्क्रीनिंग कर सैनिटाइजेशन कराया जाएगा।

- विद्यार्थियों को शारीरिक दूरी के साथ कक्षा में बैठाया जाएगा।

- 50 फीसद विद्यार्थियों को ही बुलाया जाएगा।

अभिभावकों के मन का डर

अभिभावकों के मन में तमाम आशंकाएं हैं। सरकारी निर्देश तो बहुत हैं लेकिन उनका धरातल पर पालन कितना हो पाता है, यही सबसे बड़ा संशय है। शनिवार और रविवार की साप्‍ताहिक बंदी के दौरान पूरे शहर के बाजारों को सेनेटाइज कराने के निर्देश थे लेकिन आगरा का उनका पालन शून्‍य ही हुआ। यही हाल स्‍कूलों का है कि वहां कितना सेनेटाइजेशन हो पाएगा। साथ ही यदि बच्‍चे को संक्रमण लगा तो उसकी पूरी जिम्‍मेदारी माता पिता की होगी। उन तमाम परेशानियों को ध्‍यान में रखकर पेरेंट्स तब तक रिस्‍क लेने के मूड में नहीं हैं, जब तक बच्‍चों की वैक्‍सीन नहीं लग जाती।


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