Sawan 2021: आगरा का ये शिवालय जिसके शिवलिंग का नहीं है कोई छोर, पढ़ें इतिहास और महत्व
Sawan 2021 वनखंडी महादेव मंदिर बाबरपुर सिकंदरा आगरा के शिव मंदिरों में एेसे अनेक मंदिर हैं जिनके नाम एक जैसे हैं। गैलाना रोड सिकंदरा स्थित वनखंडी महादेव मंदिर के बारे में तो शहरवासी जानते हैं लेकिन दूसरा वनखंडी महादेव मंदिर सिकंदरा के बाबरपुर है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा शहर को शिवालय की नगरी की संज्ञा यदि दी जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मुगलिया इमारतों से घिरे इस शहर में सनातन धर्म के मंदिरों की जैसे श्रंखला सरीखे है। शहर के चारों कोनों प्राचीन शिव मंदिरों कैलाश, राजेश्वर, पृथ्वीनाथ और बल्केश्वर महादेव मंदिर जहां विशेष स्थान रखते हैं। वहीं शहर के मध्य में बने मनः कामेश्वर मंदिर, रावली मंदिर के साथ ही वनखंडी महादेव की भी कम मान्यता नहीं है। सावन के सोमवार के साथ ही प्रत्येक सोमवार को महादेव के भक्त यहां उमड़ते ही हैं। शिव मंदिरों की श्रंखला आइये जानते हैं वनखंडी महादेव मंदिर का इतिहास, मान्यता और महत्व....।
वनखंडी महादेव मंदिर, बाबरपुर सिकंदरा आगरा के शिव मंदिरों में एेसे अनेक मंदिर हैं, जिनके नाम एक जैसे हैं। गैलाना रोड, सिकंदरा स्थित वनखंडी महादेव मंदिर के बारे में तो शहरवासी जानते हैं, लेकिन दूसरा वनखंडी महादेव मंदिर सिकंदरा के बाबरपुर (केके नगर के पास) है। इस मंदिर की काफी मान्यता है।
इतिहास
मंदिर काफी प्राचीन है। पुजारी स्वामी अखंडानंद उदासी के अनुसार यह शिवलिंग सैकड़ों वर्ष पुराना है। मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार वर्ष 2005 में कराया गया था। उस समय ककैया ईंटों और चूने की चिनाई निकली थी। उस समय शिवलिंग को हटाकर दूसरा शिवलिंग लगाने के लिए खोदाई की गई तो उसका छोर नहीं मिला। इसलिए इसे ज्यों का त्यों रहने दिया गया।
विशेषता
यह उदासीन संप्रदाय का मंदिर है। मंदिर परिसर में संप्रदाय के श्रीचंद्र भगवान, गुरु जयकिशन की मूर्तियां भी हैं। इनके अलावा चतुर्भुज दुर्गा देवी, राधा-कृष्ण, राम दरबार, साईं बाबा, शनि देव आदि की प्रतिमाएं भी हैं।
यह एक सिद्ध पीठ है। उदासीन संप्रदाय में सभी की सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है। समाज की एकजुटता के लिए प्रयास किए जाते हैं।
-आचार्य महेश्वरदास शास्त्री, महंत
इस मंदिर में आकर बहुत शांति मिलती है। हमारे पूर्वज भी इस मंदिर में आते थे। भगवान वनखंडी महादेव हम को झोली भर कर देते हैं।
-हरिगोविंद प्रसाद, श्रद्धालु